सुप्रीम कोर्ट ने सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा के बाद उत्तर कुंजी प्रकाशित करने के UPSC के निर्णय की सराहना की
Praveen Mishra
14 Oct 2025 5:23 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने आज (14 अक्टूबर) संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) द्वारा सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा के उत्तर कुंजी (Answer Keys) परीक्षा के तुरंत बाद प्रकाशित करने के निर्णय से अपनी संतुष्टि व्यक्त की।
यह नीति परिवर्तन हाल ही में UPSC द्वारा एक हलफनामे (Affidavit) में प्रस्तुत किया गया, जो एक रिट याचिका के जवाब में दायर किया गया था। याचिका में सिविल सेवा परीक्षा प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ाने के उपायों की मांग की गई थी। याचिकाकर्ताओं की राहत के संबंध में, अदालत ने मामला निपटाते हुए उन्हें संबंधित हाईकोर्ट में जाने की स्वतंत्रता दे दी।
जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा और जस्टिस ए.एस. चंदुरकर की खंडपीठ ने UPSC के इस निर्णय की सराहना की। खंडपीठ ने सीनियर एडवोकेट और अमिकस क्यूरी (Amicus Curiae) जयदीप गुप्ता की भी सराहना की, जिन्होंने सुझाव दिया था कि UPSC को प्रारंभिक परीक्षा के तुरंत बाद उत्तर कुंजी प्रकाशित करनी चाहिए।
जस्टिस नरसिम्हा ने कहा, "हमने कहीं समाचार में पढ़ा, और उसी समय आपके प्रस्ताव [अमिकस जयदीप गुप्ता का प्रस्ताव] के बारे में बात कर रहे थे। आपका प्रस्ताव उत्कृष्ट था — सहभागिता आधारित विरोधाभास (Participatory Adversarialism)।" उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में, राहत मांगना एक बात है, लेकिन कानून का विकास मुख्य पक्ष है।
यह प्रस्ताव सीनियर एडवोकेट जयदीप गुप्ता और उनके जूनियर अधिवक्ता प्रांजल किशोर द्वारा पेश किया गया था। उन्होंने सुझाव दिया कि UPSC को प्रारंभिक परीक्षा के अगले दिन अस्थायी उत्तर कुंजी (Provisional Answer Key) प्रकाशित करनी चाहिए। 15 मई को दायर हलफनामे में, UPSC ने इस सुझाव का विरोध किया था और कहा था कि यह "उत्पादक विरोधाभासी" और "अंतिम परीक्षा परिणामों के निर्धारण में अनिश्चितता और देरी" का कारण बनेगा। हालांकि, सितंबर में दायर एक अन्य हलफनामे में UPSC ने अपनी स्थिति बदल दी और उत्तर कुंजी प्रकाशित करने पर सहमति दी।
वर्तमान में, UPSC केवल तब उत्तर कुंजी प्रकाशित करता है जब पूरी परीक्षा प्रक्रिया समाप्त हो जाती है और अंतिम परिणाम घोषित हो जाते हैं।
याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि यदि प्रश्न गलत हैं, तो छात्रों को अदालत में आना पड़ेगा। उन्होंने जोड़ा कि वर्तमान याचिकाकर्ताओं के साथ ऐसा हुआ — गलत प्रश्नों के कारण उन्होंने कई साल गंवाए। उन्होंने अनुरोध किया कि याचिकाकर्ताओं को अगले वर्ष मेन्स परीक्षा में उपस्थित होने का अवसर दिया जाए।
इस संबंध में गुप्ता ने कहा कि उनका प्रस्ताव यह सुझाता है कि यदि अंतिम उत्तर कुंजी प्रकाशित होने के बाद कोई उत्तर गलत पाया जाता है, तो अदालत को ऐसी राहत प्रदान करनी चाहिए जिससे पूरी प्रक्रिया प्रभावित न हो। इसे अगले वर्ष मेन्स परीक्षा में भाग लेने का अवसर देकर किया जा सकता है।
हालांकि, UPSC ने इस प्रस्ताव पर सहमति नहीं दी। UPSC के वकील ने कहा कि UPSC केवल परीक्षा आयोजित करने वाला निकाय है, और नियम कर्मचारियों और प्रशिक्षण विभाग द्वारा बनाए जाते हैं। वकील ने सुझाव दिया कि याचिकाकर्ताओं को केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (Central Administrative Tribunal) भेजा जा सकता है, लेकिन अदालत ने उन्हें उच्च न्यायालय में जाने की अनुमति दी। अदालत ने याचिकाकर्ताओं को एक साथ प्रतिनिधित्व (Simultaneous Representation) प्रस्तुत करने की भी अनुमति दी।
नीति परिवर्तन के बारे में:
• अस्थायी उत्तर कुंजी (Provisional Answer Keys) जारी होने के बाद, परीक्षा में शामिल उम्मीदवारों से आपत्तियां/प्रतिनिधित्व आमंत्रित किए जाएंगे।
• प्रत्येक आपत्ति/प्रतिनिधित्व में कम से कम तीन प्राधिकृत स्रोतों का समर्थन होना चाहिए।
• अस्थायी उत्तर कुंजी और आपत्तियों को संबंधित विषय के विशेषज्ञ पैनल के समक्ष रखा जाएगा। विशेषज्ञ पैनल उत्तर कुंजी को अंतिम रूप देगा, जो परिणाम घोषित करने का आधार बनेगी।
• अंतिम उत्तर कुंजी अंतिम परिणाम घोषित होने के बाद प्रकाशित की जाएगी।
UPSC ने कहा कि यह निर्णय शीघ्र प्रभावी किया जाएगा। आयोग ने यह भी कहा कि यह निर्णय याचिकाकर्ताओं द्वारा उठाए गए शिकायतों का समाधान करेगा।
यह रिट याचिका 2024 में दायर की गई थी, जिसमें UPSC की उस प्रथा को चुनौती दी गई थी जिसमें सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा के अंक, कट-ऑफ और उत्तर कुंजी केवल पूरी परीक्षा प्रक्रिया समाप्त होने के बाद ही प्रकाशित किए जाते थे।

