राज्यों को खनिज कर लगाने का अधिकार देने वाले फैसले के खिलाफ केंद्र ने दायर की क्यूरेटिव याचिका

Praveen Mishra

27 Nov 2025 2:45 PM IST

  • राज्यों को खनिज कर लगाने का अधिकार देने वाले फैसले के खिलाफ केंद्र ने दायर की क्यूरेटिव याचिका

    केंद्र सरकार ने खनन अधिकारों और खनिज-समृद्ध भूमि पर राज्यों के कर लगाने के अधिकार को बरकरार रखने वाले सुप्रीम कोर्ट के 9-न्यायाधीशों की पीठ के फैसले के खिलाफ क्यूरेटिव पिटीशन दायर की है।

    जुलाई 2024 में, सुप्रीम कोर्ट की 9-जजों की खंडपीठ ने 8:1 के बहुमत से Mineral Area Development Authority बनाम SAIL मामले में फैसला देते हुए कहा था कि रॉयल्टी कोई टैक्स नहीं है और खनिज अधिकारों पर कर लगाने की शक्ति राज्य विधानसभाओं के पास है।

    अगस्त 2024 में, उसी खंडपीठ ने केंद्र की यह मांग ठुकरा दी थी कि फैसला केवल भावी (prospective) रूप से लागू किया जाए। कोर्ट ने राज्यों को बीते वर्षों के कर बकाया वसूलने की अनुमति दी, लेकिन 1 अप्रैल 2005 से पहले का बकाया वसूलने पर रोक लगा दी। कोर्ट ने यह भी कहा कि करदाता इन बकायों को 12 वर्षों में 12 किस्तों में 1 अप्रैल 2026 से चुका सकते हैं।

    अक्टूबर 2024 में, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की रिव्यू पिटीशन भी खारिज कर दी थी।

    आज, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने चीफ़ जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की खंडपीठ को बताया कि केंद्र ने इस फैसले के खिलाफ क्यूरेटिव पिटीशन दायर कर दी है। उन्होंने यह जानकारी उस समय दी जब एक वकील ने फैसले के बाद सामान्य पीठ को भेजी गई 80 से अधिक अपीलों को सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया।

    SG ने सुझाव दिया कि इन अपीलों पर विचार करने से पहले केंद्र की क्यूरेटिव पिटीशन सुनी जाए।

    यह फैसला देने वाली पीठ की अध्यक्षता तत्कालीन CJI डी.वाई. चंद्रचूड़ ने की थी। अन्य सदस्य थे—

    जस्टिस हृषिकेश रॉय, जस्टिस अभय ओका, जस्टिस बी.वी. नागरत्ना, जस्टिस जे.बी. पर्दीवाला, जस्टिस मनोज मिश्रा, जस्टिस उज्जल भुइयां, जस्टिस एस.सी. शर्मा और जस्टिस ए.जी. मसीह।

    जस्टिस बी.वी. नागरत्ना ने असहमति (dissent) का फैसला लिखा था।

    फैसले के मुख्य बिंदु

    बहुमत ने कहा कि—

    • MMDR Act, 1957 की धारा 9 के तहत ली जाने वाली रॉयल्टी टैक्स नहीं है।

    • रॉयल्टी खनन पट्टाधारक द्वारा जमीन के मालिक को दिया जाने वाला संविदात्मक भुगतान है, जो जनता के कल्याण के लिए सरकार द्वारा लगाए गए कर से अलग है।

    • इसलिए राज्य सरकारें MMDR Act के तहत ली जाने वाली रॉयल्टी के अलावा अपने कानूनों के तहत अतिरिक्त कर लगा सकती हैं।

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