जघन्य अपराधों में समयबद्ध ट्रायल जरूरी, वरना अपराधी सिस्टम को हाइजैक कर लेंगे: सुप्रीम कोर्ट

Praveen Mishra

4 Sept 2025 6:29 PM IST

  • जघन्य अपराधों में समयबद्ध ट्रायल जरूरी, वरना अपराधी सिस्टम को हाइजैक कर लेंगे: सुप्रीम कोर्ट

    राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने आज सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वह समर्पित NIA अदालतों के गठन को लेकर राज्यों के साथ विचार-विमर्श कर रही है और जल्द ही इस पर सकारात्मक फैसला लिया जा सकता है।

    जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की खंडपीठ इस मामले की सुनवाई कर रही थी, जिसमें अदालत ने पहले विशेष मामलों जैसे गैरकानूनी गतिविधियां (निवारण) अधिनियम (UAPA) और महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (MCOCA) के तहत मुकदमों की सुनवाई के लिए समर्पित अदालतों की आवश्यकता पर जोर दिया था।

    आज की सुनवाई के दौरान, अदालत ने मुकदमों को समयबद्ध तरीके से पूरा करने के महत्व को रेखांकित किया। जस्टिस सूर्यकांत ने एडिसनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी से कहा,"यह आपके लिए एक अवसर है कि आप इसे प्रोत्साहित करें… अगर इन जघन्य अपराधों में समयबद्ध ट्रायल हो, तो यह समाज को एक अच्छा संदेश देगा, उन अपराधियों को भी जो सोचते हैं कि वे पूरे सिस्टम को हाइजैक कर सकते हैं, 10 साल तक मुकदमे को खत्म नहीं होने देंगे और अदालतें मजबूरी में जमानत दे देंगी।"

    ASG ने NIA की ओर से अदालत को बताया कि इस प्रक्रिया के लिए राज्यों को शामिल करना होगा क्योंकि समर्पित NIA अदालतों के गठन का अधिकार उन्हीं के पास है। इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, "आप बस यह वचन दें कि आवश्यक बजट आवंटन करेंगे, राज्यों और हाईकोर्ट्स की भूमिका बाद में देखी जाएगी।"

    इस दौरान ASG ने एक प्रस्ताव की जानकारी दी, जिसके तहत ₹1 करोड़ गैर-आवर्ती व्यय और ₹60 लाख प्रति वर्ष आवर्ती व्यय के रूप में आवंटित किए जाएंगे और भूमि व भवन का खर्च राज्यों को उठाना होगा।

    सीनियर एडवोकेट त्रिदीप पाइस (याचिकाकर्ता की ओर से) ने निवेदन किया कि मामले की सुनवाई गुण-दोष के आधार पर की जाए, क्योंकि याचिकाकर्ता पिछले 6 साल से हिरासत में है और उसके खिलाफ केवल 1 फोन कॉल का सबूत है।

    इस पर पीठ ने कहा कि वह आज मामला खारिज नहीं करना चाहती और इसे गैर-मिसलेनियस दिन पर सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करेगी।

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