टेंडर अथॉरिटी टेंडर आमंत्रण सूचना के विपरीत शर्तें नहीं लगा सकता: सुप्रीम कोर्ट

Shahadat

31 Oct 2025 8:07 PM IST

  • टेंडर अथॉरिटी टेंडर आमंत्रण सूचना के विपरीत शर्तें नहीं लगा सकता: सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (31 अक्टूबर) को ने एक टेंडर प्रक्रिया में एक बोलीदाता को अयोग्य ठहराए जाने का फैसला खारिज कर दिया और कहा कि टेंडर अथॉरिटी ने बोलीदाता को टेंडर आमंत्रण सूचना (NIT) में निर्धारित नहीं की गई शर्त को पूरा करने के लिए बाध्य किया।

    अदालत ने कहा,

    "हमारा मानना ​​है कि अपीलकर्ता की तकनीकी बोली को इस आधार पर खारिज करना कि अपीलकर्ता का प्रमाण पत्र जिला मजिस्ट्रेट द्वारा जारी नहीं किया गया, NIT की शर्तों के विरुद्ध है और इसे रद्द किया जाना चाहिए।"

    जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की खंडपीठ ने उस मामले की सुनवाई की, जिसमें मंडी परिषद द्वारा बैंक्वेट हॉल को पट्टे पर देने के लिए जारी किए गए टेंडर में विवाद उत्पन्न हो गया। इस प्रक्रिया में दो चरण शामिल थे - तकनीकी और वित्तीय बोलियां। टेंडर आमंत्रण सूचना (NIT) के खंड 18 के तहत बोलीदाताओं को न्यूनतम ₹10 करोड़ मूल्य का एक 'हैसियत प्रमाण पत्र' (साधन/संसाधनों का प्रमाण पत्र) प्रस्तुत करना आवश्यक है।

    अपीलकर्ता-बोलीदाता ने आयकर विभाग के पैनल में शामिल वास्तुकार और मूल्यांकनकर्ता द्वारा जारी मूल्यांकन प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया, जिसमें अचल संपत्ति में उसके हिस्से का मूल्यांकन लगभग ₹99 करोड़ किया गया। हालांकि, परिषद ने यह कहते हुए बोली अस्वीकार कर दी कि यह प्रमाण पत्र अमान्य है, क्योंकि यह किसी ज़िला मजिस्ट्रेट (डीएम) द्वारा जारी नहीं किया गया।

    इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा प्रतिवादी-परिषद के निर्णय की पुष्टि करने के निर्णय से व्यथित होकर बोलीदाता ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और तर्क दिया कि चूंकि NIT में यह उल्लेख नहीं है कि बोलीदाता को ज़िला मजिस्ट्रेट द्वारा जारी किया जाने वाला 'हैसियत प्रमाण पत्र', यानी सॉल्वेंसी प्रमाणपत्र प्रस्तुत करना होगा, और जब उसने वास्तुकार और मूल्यांकनकर्ता द्वारा जारी वैध प्रमाणपत्र प्रस्तुत कर दिया तो प्रतिवादी उसे ज़िला मजिस्ट्रेट द्वारा जारी प्रमाणपत्र की आवश्यकता का हवाला देकर अयोग्य नहीं ठहरा सकता है, क्योंकि यह NIT की शर्तों के विरुद्ध होगा।

    हाईकोर्ट का निर्णय रद्द करते हुए जस्टिस बागची द्वारा लिखित निर्णय में पाया गया कि प्रतिवादी की कार्रवाई NIT की शर्तों के विरुद्ध होने के कारण NIT में निहित नहीं होने वाली योग्यता की आवश्यकता को लागू करके अपने अधिकार का अतिक्रमण कर गई।

    कोर्ट ने आगे कहा कि यद्यपि टेंडर मामलों में NIT अथॉरिटी के व्यावसायिक विवेक में हस्तक्षेप करने पर न्यायिक संयम बरतना आवश्यक है, "ऐसे मामलों में जहां ऐसा निर्णय NIT की शर्तों के विरुद्ध हो या स्पष्ट रूप से मनमाना हो, न्यायालय न्यायिक पुनर्विचार की शक्तियों का प्रयोग करेगा और ऐसे निर्णय को रद्द कर देगा।"

    अपीलकर्ता की तकनीकी बोली का नए सिरे से मूल्यांकन करने के लिए प्रतिवादी को निर्देश देते हुए मामले का निपटारा कर दिया गया।

    अदालत ने आदेश दिया,

    "यह मामला प्रथम प्रतिवादी-मंडी परिषद को वापस भेजा जाता है ताकि वह अपीलकर्ता की तकनीकी बोली पर पुनर्विचार कर सके और यदि वह संतुष्ट हो कि अपीलकर्ता द्वारा प्रस्तुत मूल्यांकन प्रमाण पत्र में बताई गई परिसंपत्ति का शुद्ध मूल्य (ऋणभार से मुक्त, यदि कोई हो) NIT की धारा 18 की आवश्यकता को पूरा करता है तो वह तकनीकी बोली को स्वीकार करेगा और अपीलकर्ता और पांचवें प्रतिवादी (सफल बोलीदाता) के बीच उचित बातचीत के बाद यह निर्णय लेगा कि अनुबंध का शेष हिस्सा अपीलकर्ता को दिया जाए या यदि पांचवें प्रतिवादी द्वारा अपीलकर्ता की वित्तीय बोली या उन्नत प्रस्ताव से मेल खाता है तो पांचवें प्रतिवादी को शेष अवधि के लिए अनुबंध जारी रखने की अनुमति दी जाए।"

    Cause Title: KIMBERLEY CLUB PVT. LTD. VERSUS KRISHI UTPADAN MANDI PARISHAD & ORS.

    Next Story