तेलंगाना सीएम रेवंथ रेड्डी पर 2015 के 'कैश-फॉर-वोट्स' मामले में मुकदमे की कानूनी स्थिरता नहीं: मुकुल रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा

Praveen Mishra

15 Oct 2025 8:21 PM IST

  • तेलंगाना सीएम रेवंथ रेड्डी पर 2015 के कैश-फॉर-वोट्स मामले में मुकदमे की कानूनी स्थिरता नहीं: मुकुल रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा

    सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (15 अक्टूबर) को तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंथ रेड्डी की उस याचिका की सुनवाई की जिसमें 2015 के “कैश फॉर वोट्स” मामले को रद्द करने की मांग की गई थी। इस मामले में आरोप है कि उन्होंने विधान परिषद चुनाव में वोट सुनिश्चित करने के लिए एक विधायक को रिश्वत देने का प्रस्ताव रखा था।

    इस मामले की सुनवाई जस्टिस जे.के. महेश्वरी और जस्टिस विजय बिश्नोई की खंडपीठ ने की।

    रेवंथ रेड्डी की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने कहा कि एंटी-करप्शन ब्यूरो (ACB) द्वारा 2015 में लगाए गए ट्रैप पूरी तरह अवैध थे, क्योंकि यह किसी FIR के पंजीकरण से पहले किया गया था। रोहतगी ने अदालत को बताया कि दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) के तहत बिना FIR के कोई जांच शुरू नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा, “FIR दर्ज होने से पहले ट्रैप लगाया गया। यह पूरी तरह अवैध है। न तो सामान्य डायर में कोई एंट्री हुई और न ही FIR दर्ज हुई।”

    उन्होंने बताया कि ट्रैप में कथित तौर पर तीन लोग रिश्वत देते पकड़े गए, और रेवंथ रेड्डी पर Prevention of Corruption Act, 1988 की धारा 12 के तहत मुकदमा चलाया गया। रोहतगी ने कहा कि 2015 में धारा 12 सिर्फ रिश्वत लेने वालों (bribe takers) पर लागू होती थी, रिश्वत देने वालों पर नहीं। रिश्वत देने वाले को कानून में शामिल 2018 के संशोधन के बाद किया गया।

    रोहतगी ने तर्क दिया कि धारा 7, 11 और 12 केवल सार्वजनिक सेवक द्वारा आधिकारिक कर्तव्य में किए गए कार्य पर लागू होती थीं। उन्होंने कहा कि विधान परिषद चुनाव में वोट डालना या वोट से परहेज़ करना कानूनी रूप से आधिकारिक कृत्य नहीं है।

    उन्होंने अदालत को 2015 के Prevention of Corruption Act की प्रावधानों के अनुसार समझाया कि रेवंथ रेड्डी पर आरोपित मुकदमा कानूनी दृष्टि से टिकाऊ नहीं है। उन्होंने कहा कि उस समय धारा 12 केवल धारा 7 और 11 के अपराध की उकसाने (abetment) तक सीमित थी।

    रोहतगी ने बताया कि 2018 के संशोधन के बाद धारा 12 को किसी भी अपराध की उकसाने तक बढ़ा दिया गया, जो “तर्कसंगत” है, लेकिन इसे 2015 के घटनाओं पर पूर्ववर्ती रूप से लागू नहीं किया जा सकता।

    जस्टिस महेश्वरी ने पूछा, “तो पहले यह धारा 7 और 11 के उकसाने तक सीमित थी, और अब…?”

    रोहतगी ने जवाब दिया कि अब यह पूरी अधिनियम के किसी भी अपराध के उकसाने तक लागू है, लेकिन यह परिवर्तन 2015 की घटनाओं पर लागू नहीं होगा।

    सुनवाई कल जारी रहेगी।

    पिछले महीने, सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना हाईकोर्ट के उस फैसले को मंजूरी दी, जिसमें मामले के अन्य आरोपी जेरुसलम मैथाई के खिलाफ मामला खारिज किया गया था।

    मामला उस आरोप के इर्द-गिर्द है कि रेवंथ रेड्डी ने तत्कालीन नामित विधायक एल्विस स्टीफेंसन को MLC चुनाव में वोट सुनिश्चित करने के लिए रिश्वत दी थी। उस समय रेवंथ रेड्डी तेलुगु देशम पार्टी (TDP) के सदस्य थे।

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