तेजस्वी यादव ने गुजरातियों पर टिप्पणी वापस ली; सुप्रीम कोर्ट ने शिकायतकर्ता से पूछा, क्या मानहानि केस की जरूरत है?

Shahadat

22 Jan 2024 10:13 AM GMT

  • तेजस्वी यादव ने गुजरातियों पर टिप्पणी वापस ली; सुप्रीम कोर्ट ने शिकायतकर्ता से पूछा, क्या मानहानि केस की जरूरत है?

    राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता और बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामे में कहा कि उन्होंने गुजरातियों के बारे में की गई अपनी टिप्पणी वापस ले ली।

    यादव ने यह हलफनामा उस ट्रांसफर याचिका में दायर किया, जिसमें उन्होंने "गुजराती ही ठग हो सकता है" टिप्पणी पर उनके खिलाफ दायर आपराधिक मानहानि के मामले को अहमदाबाद से किसी तटस्थ स्थान पर ट्रांसफर करने की मांग की थी।

    ये आरोप 22 मार्च, 2023 को मीडिया संबोधन के दौरान दिए गए कथित बयान से संबंधित हैं।

    उक्त बयान में तेजस्वी ने कथित तौर पर कहा था,

    "जो दो ठग है ना, जो ठग है, ठग को जो अनुमति है, आज के देश के हालात में देखा जाए तो सिर्फ गुजराती ही ठग" हो सकता है और उसके ठग को माफ किया जाएगा। एलआईसी का पैसा, बैंक का पैसा दे दो, फिर वो लोग लेके भाग जाएंगे, तो कौन जिम्मेदार होगा। आज देश की स्थिति देखी जाए तो गुजराती ही धोखेबाज हो सकते हैं और उनकी धोखाधड़ी माफ की जाएगी। उन्हें एलआईसी का पैसा दिया जाएगा, बैंकों का पैसा दिया जाएगा और वे इसे लेकर भाग जाएंगे। कौन जिम्मेदार होगा?

    जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की खंडपीठ ने शिकायतकर्ता के वकील हरेश मेहता से पूछा कि क्या अभियोजन अब आवश्यक है, क्योंकि यादव ने अपनी टिप्पणी वापस ले ली।

    खंडपीठ ने शिकायतकर्ता के वकील से पूछा,

    "बयान अब बहुत स्पष्ट है, अब अपना मन बना लें कि आप शिकायत पर मुकदमा क्यों चलाना चाहते हैं?"

    इसके बाद वकील ने निर्देश प्राप्त करने के लिए समय मांगा।

    खंडपीठ ने आगे कहा,

    “बस उनके द्वारा दिए गए बयान का पृष्ठ 2 देखें। उन्होंने बयान के उस हिस्से को वापस ले लिया है, जिसमें उन्होंने कुछ भावों का इस्तेमाल किया। तो अब और क्या बचा है?”

    खंडपीठ ने वकील को चेतावनी के साथ निर्देश लेने की अनुमति दी कि अदालत मानहानि मामले में तेजस्वी यादव का अभियोजन रद्द करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत निहित अपनी अंतर्निहित विवेकाधीन शक्तियों का प्रयोग करेगी।

    नतीजतन, अदालत ने प्रतिवादी के वकील को याचिकाकर्ता द्वारा 19.01.2024 को दायर लिखित बयान पर क्लाइंट से निर्देश लेने के लिए एक सप्ताह का समय दिया। मामले की अगली तारीख 29 जनवरी है।

    6 नवंबर को कोर्ट ने ट्रांसफर याचिका पर नोटिस जारी करते हुए आपराधिक मानहानि मामले की कार्यवाही पर रोक लगा दी थी।

    यह शिकायत अहमदाबाद स्थित स्वयंसेवी संगठन, अखिल भारतीय भ्रष्टाचार विरोधी और अपराध निवारक परिषद (गुजरात राज्य) के उपाध्यक्ष हरेश मेहता ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 499 और 500 के तहत दर्ज की थी।

    केस टाइटल: तेजस्वी प्रसाद यादव बनाम हरेशभाई प्राणशंकर मेहता

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