सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के पूर्व मंत्री पोनमुडी की सजा निलंबित की, कहा- दोषसिद्धि निलंबित करने की याचिका पर विचार नहीं किया गया

Shahadat

11 March 2024 10:54 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के पूर्व मंत्री पोनमुडी की सजा निलंबित की, कहा- दोषसिद्धि निलंबित करने की याचिका पर विचार नहीं किया गया

    सुप्रीम कोर्ट ने आय से अधिक संपत्ति के मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद तमिलनाडु के पूर्व उच्च शिक्षा मंत्री के पोनमुडी को दी गई 3 साल की सजा निलंबित कर दी।

    जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की खंडपीठ ने कहा,

    "हम निर्देश देते हैं कि अपीलकर्ता को विशेष अदालत द्वारा उचित नियमों और शर्तों पर जमानत दी जाएगी।"

    बेंच ने निर्देश दिया कि पोनमुडी विशेष अदालत के सामने पेश होंगे और 1 महीने की अवधि के भीतर जमानत की औपचारिकताएं पूरी करेंगे। इसमें कहा गया कि जब तक ये औपचारिकताएं पूरी नहीं हो जातीं, आत्मसमर्पण से छूट देने वाला आदेश लागू रहेगा।

    आदेश पारित होने के बाद सीनियर वकील सिद्धार्थ लूथरा (पोनमुडी की ओर से पेश) ने स्पष्ट करना चाहा,

    "माय लॉर्ड्स सजा को निलंबित कर रहे हैं?"

    जस्टिस ओक ने इसकी पुष्टि करते हुए उत्तर दिया,

    "दोषी नहीं"।

    लूथरा ने आग्रह किया,

    "दोषी ठहराए जाने के पहलू पर माई लॉर्ड्स 'इस चरण' में कह सकते हैं... अन्यथा, मुझे वापस आना पड़ सकता है।"

    जस्टिस ओक ने उत्तर दिया,

    "आप हमेशा वापस आ सकते हैं...हमने [दोषी] के लिए आपकी प्रार्थना पर विचार नहीं किया.."

    संक्षेप में कहें तो पोनमुडी ने आय से अधिक संपत्ति के मामले में खुद को बरी करने का फैसला खारिज करने वाले मद्रास हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। उनके (और उनकी पत्नी के) खिलाफ सतर्कता और भ्रष्टाचार निरोधक विभाग (डीवीएसी) द्वारा इस आरोप के आधार पर मामला दर्ज किया गया कि उन्होंने द्रविड़ मुनेत्र में खान और खनिज मंत्री के रूप में कज़गम (डीएमके) सरकार (2006-2010) में अपने कार्यकाल के दौरान आय के स्रोतों से अधिक संपत्ति अर्जित की थी।

    ट्रायल कोर्ट ने इस जोड़ी को यह कहते हुए बरी कर दिया कि अभियोजन पक्ष यह साबित करने में विफल रहा कि उन्होंने आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक 1.36 करोड़ रुपये की संपत्ति अर्जित की। हालांकि, दिसंबर, 2023 में मद्रास हाईकोर्ट की एक पीठ ने ट्रायल कोर्ट के आदेश में त्रुटि पाई और बरी करने का फैसला रद्द कर दिया। इसने पूर्व मंत्री और उनकी पत्नी को सजा पर सुनवाई के लिए उपस्थित होने का निर्देश दिया। सुनवाई के बाद दोनों को तीन-तीन साल के साधारण कारावास और जुर्माने की सजा सुनाई गई।

    बरी किए जाने का फैसला पलटने वाले हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए पोनमुडी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। अंतर्निहित आदेश के खिलाफ अपील का निपटारा होने तक उनकी सजा निलंबित कर दी गई।

    केस टाइटल: के पोनमुडी@देवासिगमानी बनाम तमिलनाडु राज्य, सीआरएल.ए. क्रमांक 530-531/2024

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