SEBI के दोहरे मापदंड पर सुप्रीम कोर्ट की फटकार; इंडियाबुल्स जांच में ढिलाई पर CBI के 'ठंडे रवैये' पर भी सवाल

Praveen Mishra

19 Nov 2025 4:04 PM IST

  • SEBI के दोहरे मापदंड पर सुप्रीम कोर्ट की फटकार; इंडियाबुल्स जांच में ढिलाई पर CBI के ठंडे रवैये पर भी सवाल

    सिटीज़न्स व्हिसलब्लोअर फ़ोरम की इंडियाबुल्स हाउसिंग फ़ाइनेंस लिमिटेड (अब सम्मान कैपिटल) के विरुद्ध SIT जांच की मांग वाली याचिका की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने आज SEBI की जांच को लेकर अनिच्छा पर कड़ी नाराज़गी जताई।

    जस्टिस सूर्यकांत ने तीखे शब्दों में कहा—

    “जब संपत्तियाँ कब्ज़े में लेकर बेचने की बात आती है तो आप कहते हैं कि पूरे देश में एकमात्र हमारे पास अधिकार है। लेकिन जब जांच की बात आती है? क्या आपके अधिकारियों के कुछ निहित स्वार्थ हैं? जब कोर्ट आपको अधिकार दे रहा है तो दिक्कत क्या है? हर दिन हम SEBI के दोहरे मापदंड देखते हैं! जिस मामले में मैंने उच्चाधिकार प्राप्त समिति बनाई थी, वहाँ आपका रूख था कि सिर्फ SEBI ही नीलामी कर सकता है। और आप क्या नीलामी कर रहे हैं, हम जानते हैं—30 करोड़ की संपत्ति कुछ लाख में बेच दी। कोर्ट आपको कर्तव्य निभाने को कहता है तो आप कहते हैं आपके पास शक्ति नहीं है। अगर शक्ति नहीं है तो आपके अधिकारी तनख्वाह किस बात की ले रहे हैं?”

    जस्टिस सूर्यकांत ने CBI के “ढीले रवैये” और कॉरपोरेट अफ़ेयर्स मंत्रालय (MCA) द्वारा दो दिनों में लगभग 100 उल्लंघनों के कथित कम्पाउंडिंग पर भी गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा—

    “हमने कभी CBI का इतना दोस्ताना रवैया नहीं देखा। यहाँ तो मामला सार्वजनिक धन का है, किसी निजी कमाई का नहीं। यदि 10% आरोप भी सही हों, तो भी बड़े पैमाने पर संदिग्ध लेन-देन हुए हैं। शक पैदा होते ही FIR दर्ज की जानी चाहिए, चाहे किसी A या B व्यक्ति के नाम पर नहीं भी हो। FIR से ED, SFIO, SEBI—सभी की जांच मजबूत होती है। फिर ये एजेंसियाँ कार्रवाई करने में पीछे क्यों हट रही हैं? MCA इस तरह मामला बंद करने में क्यों लगा है?”

    जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस उज्ज्वल भूषण और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की बेंच ने मामला सुना। याचिका में आरोप है कि इंडियाबुल्स और उसकी कंपनियों के प्रमोटरों द्वारा फंड राउंड-ट्रिपिंग, कंपनी अधिनियम के उल्लंघन और धन की siphoning जैसे गंभीर वित्तीय अनियमितताएँ हुई हैं।

    पहले CBI ने कोर्ट को बताया था कि मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप पहली नज़र में सही लगते हैं और ED इंडियाबुल्स व इसके प्रमोटरों के मामलों की जांच आगे बढ़ा सकती है। आज भी मुख्य मुद्दा यही रहा कि अब तक मूल अपराध (predicate offence) पर कोई FIR दर्ज नहीं हुई।

    ASG एस.वी. राजू ने बताया कि CBI और SFIO ने मजिस्ट्रेट कोर्ट में शिकायत (धारा 156(3) CrPC), दिल्ली EOW आदि के माध्यम से कार्रवाई की कोशिश की, लेकिन सफलता नहीं मिली। याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण ने CBI से FIR दर्ज कराने का निर्देश देने का आग्रह किया, और वरिष्ठ अधिकारियों की एक संयुक्त SIT बनाने का प्रस्ताव भी रखा।

    ASG राजू ने आश्वासन दिया कि CBI निदेशक सभी एजेंसियों—CBI, SFIO, ED और SEBI—के वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक बुलाएँगे। इसी दौरान SEBI के वकील ने अनिच्छा दिखाई, जिसके चलते जस्टिस सूर्यकांत ने SEBI पर कठोर टिप्पणियाँ कीं।

    कोर्ट ने CBI से एक नया हलफ़नामा मांगा है क्योंकि ASG राजू ने बताया कि ED CBI को एक नया विस्तृत शिकायत पत्र देने जा रहा है। साथ ही, कोर्ट ने दिल्ली पुलिस आयुक्त को निर्देश दिया कि EOW का एक वरिष्ठ अधिकारी रिकॉर्ड सहित पेश हो, जिसमें ED की शिकायत पर हुई “जांच” और यह निष्कर्ष शामिल हो कि शिकायत में कोई सुसंगत संज्ञेय अपराध नहीं पाया गया।

    Next Story