सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयुक्तों के चयन के लिए बने नए कानून पर रोक लगाने से इनकार किया, मामले पर सुनवाई अप्रैल 2024 में

LiveLaw News Network

14 Feb 2024 2:00 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयुक्तों के चयन के लिए बने नए कानून पर रोक लगाने से इनकार किया, मामले पर सुनवाई अप्रैल 2024 में

    सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (13 फरवरी) को मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त अधिनियम, 2023 की धारा 7 के संचालन पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। एक नई याचिका में प्रावधान की संवैधानिकता को चुनौती दी गई थी।

    एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की ओर से दायर याचिका पर नोटिस जारी करते हुए जस्टिस संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की खंडपीठ ने कहा कि इसी तरह का एक मामला अदालत के समक्ष लंबित था और अप्रैल 2024 में उस पर सुनवाई होनी है। तदनुसार, पीठ ने निर्देश दिया कि वर्तमान मामले को अप्रैल, 2024 में उसी के साथ सूचीबद्ध किया जाए।

    याचिकाकर्ता की ओर से एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड प्रशांत भूषण ने धारा 7 पर रोक लगाने की प्रार्थना की थी, जिसके के जवाब में यह देखते हुए कि चुनाव आयुक्त अनूप चंद्र पांडे 14 फरवरी को सेवानिवृत्त हो रहे हैं, पीठ ने कहा कि वह वस्तुत: अंतरिम राहत के रूप में मुख्य याचिका की प्रार्थना को स्वीकार नहीं कर सकती।

    भूषण ने कहा कि यदि आगामी लोकसभा चुनाव से पहले रोक नहीं दी गई तो प्रार्थनाएं निरर्थक हो सकती हैं, हालांकि जस्टिस खन्ना ने कहा कि "संवैधानिक वैधता के मामले कभी भी निष्फल नहीं होते" और अनुरोध पर विचार करने से इनकार कर दिया।

    भूषण ने सॉलिसिटर जनरल को नोटिस जारी करने और मामले को अगले सप्ताह सूचीबद्ध करने का सुझाव दिया, जिससे कोर्ट ने नहीं माना। जस्टिस खन्ना ने कहा, "यह ऐसा मामला नहीं है जिस पर इस तरह निर्णय लिया जा सकता है। इसमें समय लगेगा...हमे अब न्यायिक पुनर्विचार की शक्तियों के संदर्भ में जांच करना है...हमें उन सभी पहलुओं पर गौर करना होगा।"

    अदालत संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत याचिकाकर्ता की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यालय की अवधि) अधिनियम, 2023 की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई थी, विशेष रूप से धारा 7 को। याचिका में कहा गया था कि धारा 7 संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्‍लंघन करती है। यह संविधान की बुनियादी विशेषताएं और आधार में बदलाव किए बिना इस माननीय न्यायालय के फैसले को खारिज करती है।"

    2023 अधिनियम की धारा 7 में कहा गया है कि मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा एक चयन समिति की सिफारिश पर की जाएगी जिसमें प्रधान मंत्री (अध्यक्ष), लोक सभा में विपक्ष के नेता (सदस्य) और प्रधान मंत्री द्वारा नामित एक केंद्रीय कैबिनेट मंत्री (सदस्य) के रूप में शामिल होंगे।

    केस टाइटलः एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स बनाम यूनियन ऑफ इंडिया, डब्ल्यू.पी.(सी) नंबर 87/2024

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