सुप्रीम कोर्ट का त्योहारों के दौरान लेजर बीम और लाउडस्पीकर के इस्तेमाल को विनियमित करने की याचिका पर सुनवाई से इनकार

Shahadat

18 Sep 2024 9:40 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट का त्योहारों के दौरान लेजर बीम और लाउडस्पीकर के इस्तेमाल को विनियमित करने की याचिका पर सुनवाई से इनकार

    सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (17 सितंबर) को त्योहारों के दौरान सार्वजनिक स्थानों, समारोहों और कार्यक्रमों में लेजर बीम और लाउडस्पीकर के इस्तेमाल को विनियमित करने के लिए निर्देश देने की मांग वाली याचिका पर विचार करने से इनकार किया।

    यह याचिका बॉम्बे हाईकोर्ट के 20 अप्रैल के आदेश के खिलाफ दायर की गई थी, जिसमें धार्मिक जुलूसों और अन्य समारोहों के दौरान लेजर बीम और लाउड साउंड सिस्टम के इस्तेमाल के खिलाफ जनहित याचिका का निपटारा किया गया था। हाईकोर्ट ने यह कहते हुए ठोस निर्देश देने से इनकार किया कि पीड़ित व्यक्ति अधिकारियों के समक्ष शिकायत दर्ज करा सकते हैं।

    हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने कहा कि लेजर बीम लाइट के इस्तेमाल को विनियमित करने वाला कोई कानून नहीं है।

    चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की अगुवाई वाली बेंच मामले की सुनवाई कर रही थी।

    सीजेआई ने बताया कि हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को संबंधित अधिकारियों के समक्ष प्रतिनिधित्व करने की अनुमति दी थी।

    सीजेआई ने कहा,

    "आप अभ्यावेदन पेश करें और वापस आएं।"

    बॉम्बे हाईकोर्ट के समक्ष मामला

    अपने आदेश में कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता प्रकाश लेजर बीम के उपयोग को विनियमित करने के लिए उपाय करने के लिए उपयुक्त प्राधिकारी/राज्य सरकार को अभ्यावेदन प्रस्तुत कर सकता है। इसने यह भी नोट किया कि याचिकाकर्ता भारतीय न्याय संहिता, 2023 में किसी भी प्रासंगिक प्रावधान के बारे में पुलिस को सूचित कर सकता है और शिकायत दर्ज कर सकता है।

    कोर्ट ने कहा,

    "यदि तथ्य ऐसी शिकायत दर्ज करने को उचित ठहराते हैं तो याचिकाकर्ता के लिए भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 125 या किसी अन्य प्रासंगिक प्रावधान की प्रयोज्यता को पुलिस अधिकारियों के ध्यान में लाना खुला होगा।"

    ध्वनि प्रदूषण के संबंध में न्यायालय ने देखा कि याचिकाकर्ता ने पिछले दो वर्षों से ध्वनि प्रदूषण की शिकायतों और ऐसी शिकायतों पर की गई कार्रवाई पर रिपोर्ट और डेटा के लिए राहत मांगी। इसने कहा कि प्रार्थनाएं 'घूमती हुई जांच' की प्रकृति की प्रतीत होती हैं।

    न्यायालय ने टिप्पणी की,

    “याचिकाकर्ता को स्वतंत्र रूप से प्रथम दृष्टया मामला स्थापित करना आवश्यक है। वह इस न्यायालय से अभिलेख तलब करने का आदेश नहीं मांग सकता।”

    केस टाइटल: अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत बनाम महाराष्ट्र राज्य और अन्य. एसएलपी (सी) नंबर 20675/2024

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