'आप किसी को भी चुनकर आरोपी नहीं बना सकते' : सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली शराब नीति मामले में ED/CBI जांच की निष्पक्षता पर सवाल उठाए

Shahadat

27 Aug 2024 5:21 PM IST

  • आप किसी को भी चुनकर आरोपी नहीं बना सकते : सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली शराब नीति मामले में ED/CBI जांच की निष्पक्षता पर सवाल उठाए

    सुप्रीम कोर्ट ने भारत राष्ट्र समिति (BRS) की नेता के कविता को जमानत देते हुए केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा अभियोजन की निष्पक्षता के बारे में तीखी टिप्पणियां कीं।

    जस्टिस बीआर गवई जस्टिस और केवी विश्वनाथन की खंडपीठ ने स्पष्ट रूप से कहा कि अभियोजन पक्ष को निष्पक्ष होना चाहिए और किसी को भी चुनकर आरोपी नहीं बनाया जा सकता। कोर्ट ने कहा कि जिस व्यक्ति ने खुद को दोषी ठहराया है, उसे गवाह बनाया गया। उक्त गवाह द्वारा निभाई गई भूमिका को देखते हुए कोर्ट ने आश्चर्य व्यक्त किया कि उसे आरोपी नहीं बनाया गया और वह गवाह बन गया।

    जस्टिस गवई ने कहा,

    "अभियोजन पक्ष को निष्पक्ष होना चाहिए। खुद को दोषी ठहराने वाले व्यक्ति को गवाह बनाया गया! कल आप अपनी मर्जी से किसी को भी चुन सकते हैं और अपनी मर्जी से किसी को भी छोड़ सकते हैं? आप किसी भी आरोपी को चुनकर नहीं रख सकते। यह निष्पक्षता क्या है? बहुत निष्पक्ष और उचित विवेक!!"

    कविता ने दिल्ली हाईकोर्ट के 1 जुलाई, 2024 के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिसके तहत शराब नीति मामलों (CBI और ED द्वारा दर्ज) में उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी गई। 12 अगस्त को इस पर नोटिस जारी किया गया, जब रोहतगी ने बताया कि कविता 5 महीने से जेल में है और ED और CBI दोनों मामलों में आरोपपत्र/अभियोजन शिकायत दायर की गई।

    उक्त टिप्पणी तब आई, जब पीठ ने नोट किया कि दक्षिण भारतीय शराब व्यवसायी मगुंटा श्रीनिवासुलु रेड्डी को आरोपी नहीं बनाया गया और उनके बेटे राघव मगुंटा रेड्डी को आरोपी बनाया गया। फिर उसे सरकारी गवाह बना दिया गया।

    इस पृष्ठभूमि में जस्टिस गवई ने कहा,

    "इन हालात को देखकर दुख होता है। अगर उनकी कोई भूमिका है तो उनकी भूमिका कविता के बराबर ही है। तो आप किसी को भी चुनेंगे?"

    ED/CBI के आरोपों के अनुसार, रेड्डी की पहली मुलाकात दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से हुई, जस्टिस गवई ने कहा:

    "पहली मुलाकात केजरीवाल से हुई और केजरीवाल ने बताया कि कविता भी इसमें रुचि रखती हैं, इसलिए आप उनके साथ समन्वय करें। उन्हें आरोपी नहीं बनाया गया। उनके आवास पर सब कुछ तय हो चुका है। उन्हें गवाह बनाया गया। आप किसी को भी चुनेंगे? बहुत ही निष्पक्ष और उचित विवेक!!"

    इसके अलावा, जस्टिस विश्वनाथन ने कहा कि रेड्डी का दर्जा सरकारी गवाह से भी ऊंचा है, क्योंकि वह गवाह है और उसकी गवाही अपने आप में स्वीकार्य होगी। हालांकि, मामले की सामग्री से पता चलता है कि वह सीधे तौर पर शामिल है।

    जब राजू ने कहा कि गवाह के तौर पर भी उससे जिरह करनी होगी तो जस्टिस विश्वनाथन ने जवाब दिया कि वह सहयोगी की हैसियत नहीं रखता।

    कार्यवाही के दौरान, न्यायालय ने वर्तमान मामले में लंबी सुनवाई पर आपत्ति जताई, जस्टिस गवई ने ASG से कहा,

    “यदि आप इस तरह से जमानत के मामलों पर बहस करने जा रहे हैं तो हम हर दिन केवल एक या दो जमानत के मामले ही लेंगे।”

    उन्होंने कहा कि केवल इसलिए कि पक्षकार मशहूर हस्तियां हैं, घंटों सुनवाई की अनुमति नहीं दी जा सकती। हालांकि, राजू ने जोर देकर कहा कि न्यायालय में केवल प्रासंगिक दस्तावेज ही दिखाए गए हैं। इसके बाद न्यायालय ने एएसजी को कई महत्वपूर्ण मुद्दे (उपर्युक्त सहित) बताए।

    जस्टिस गवई ने यह भी पूछा कि क्या बुची बाबू (जिनके बयान का भी एएसजी ने उल्लेख किया था) आरोपी हैं। इस पर राजू ने जवाब दिया कि वे इस मामले में आरोपी नहीं हैं। उन्होंने कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग में आपकी भूमिका होने पर ही आपको आरोपी बनाया जाता है। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए जस्टिस गवई ने तुरंत कहा कि बाबू की भूमिका है। एएसजी के अनुसार बाबू एक माध्यम है।

    जस्टिस गवई ने कहा कि आप जितना अधिक तर्क देंगे, उतनी ही अधिक टिप्पणियां आमंत्रित की जाएंगी। सुनवाई के दौरान एएसजी राजू ने राघव मगुंटा रेड्डी और बुची बाबू सहित कुछ व्यक्तियों के बयानों का उल्लेख किया। हालांकि, न्यायालय ने कहा कि केजरीवाल में इन बयानों पर भरोसा किया गया और उन्हें ED मामले में जमानत दी गई। जहां तक CBI मामले का सवाल है, उनकी जमानत याचिका दूसरी बेंच के समक्ष लंबित है।

    कविता को 15 मार्च की शाम को ED ने गिरफ्तार किया और तब से वह हिरासत में है। CBI ने उसे तब गिरफ्तार किया, जब वह ED मामले में न्यायिक हिरासत में थी।

    अदालत ने उन्हें दोनों मामलों में 10-10 लाख रुपये की जमानत देने पर जमानत पर रिहा करने की अनुमति दी। अदालत ने उसे पासपोर्ट जमा करने का भी निर्देश दिया और कहा कि उसे जमानतदारों को प्रभावित करने या उन्हें डराने का प्रयास नहीं करना चाहिए।

    केस टाइटल: कलवकुंतला कविता बनाम प्रवर्तन निदेशालय | एसएलपी (सीआरएल) संख्या 10778/2024 और कलवकुंतला कविता बनाम केंद्रीय जांच ब्यूरो | एसएलपी (सीआरएल) संख्या 10785/2024

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