सुप्रीम कोर्ट ने पेड़ों की कटाई से पहले Delhi LG के साइट विजिट के बारे में जानकारी न देने पर DDA को फटकार लगाई

Shahadat

26 Jun 2024 4:10 PM IST

  • सुप्रीम कोर्ट ने पेड़ों की कटाई से पहले Delhi LG के साइट विजिट के बारे में जानकारी न देने पर DDA को फटकार लगाई

    सुप्रीम कोर्ट ने उसने दिल्ली के उपराज्यपाल (Delhi LG) वी के सक्सेना के साइट पर जाने के बारे में जानकारी नहीं देने पर दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) की आलोचना की। उक्त साइट पर कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन करते हुए पेड़ों की कटाई की गई थी।

    DDA के वाइस चेयरमैन पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का उल्लंघन करते हुए राजधानी के रिज फॉरेस्ट में पेड़ों की कटाई करने के लिए अवमानना ​​का मामला चल रहा है।

    जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच ने पाया कि एग्जीक्यूटिव इंजीनियर द्वारा ठेकेदार को भेजे गए ईमेल में साइट पर जाने के बाद पेड़ों को काटने के लिए Delhi LG द्वारा जारी निर्देशों का उल्लेख किया गया। एग्जीक्यूटिव इंजीनियर द्वारा ईमेल से इनकार किए जाने पर कोर्ट ने DDA को निर्देश दिया कि वह एलजी के दौरे के बारे में स्पष्ट जानकारी दे और इससे संबंधित आधिकारिक रिकॉर्ड दिखाए।

    DDA वाइस चेयरमैन की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट मनिंदर सिंह ने बेंच को बताया कि DDA रिकॉर्ड का पता लगाने की कोशिश कर रहा है।

    इस जवाब से नाखुश जस्टिस ओक ने कहा,

    "आपको नोटिस दिया गया और आप इतनी साधारण जानकारी भी नहीं ढूंढ पा रहे हैं? यह सही नहीं है, हम इसकी सराहना नहीं करते। हम इस बात से खुश नहीं हैं कि आपको उपलब्ध रिकॉर्ड पर साधारण जानकारी भी नहीं मिल पा रही है।"

    जस्टिस ओक ने सिंह से पूछा कि क्या उपाध्यक्ष ने संबंधित विभाग से पूछताछ की, रिपोर्ट मंगवाई है या बैठक में मौजूद अधिकारियों से पूछा है।

    जस्टिस ओक ने कहा,

    "जब ईमेल में कहा गया कि एलजी ने दौरा किया तो क्या इसकी जांच करना DDA का काम नहीं था? आप केवल उच्च अधिकारियों को बचा रहे हैं और निचले अधिकारियों को दोषी ठहरा रहे हैं।"

    सिंह ने दोहराया कि एलजी का दौरा किसी दूसरी जगह पर था, न कि उस जगह पर जहां पेड़ काटे गए।

    आदेश में बेंच ने अपनी नाराजगी दर्ज की,

    "DDA 3 फरवरी, 2024 को माननीय एलजी के साइट विजिट के रिकॉर्ड पर जानकारी प्राप्त नहीं कर सका। DDA के पास उपलब्ध है। DDA के सीनियर वकील ने समय मांगा है। हमें नहीं लगता कि इतनी सरल जानकारी प्राप्त करने के लिए समय का अनुरोध सही है।"

    न्यायालय ने DDA वाइस चेयरमैन को 24 जून को पारित आदेश में दिए गए निर्देशों का पालन करने के लिए एक और सप्ताह का समय दिया।

    बेंच के प्रश्नों का उत्तर देते हुए सिंह ने एलजी के दौरे के समय मौजूद अधिकारी का नाम बताया- अशोक कुमार गुप्ता।

    न्यायालय ने उक्त अधिकारी को नोटिस जारी किया और आदेश दिया:

    "इसलिए हम अशोक कुमार गुप्ता को हलफनामा दाखिल करने का निर्देश देते हैं कि वास्तव में क्या हुआ और क्या माननीय एलजी द्वारा कोई निर्देश जारी किए गए। हम यह स्पष्ट करते हैं कि गुप्ता इसे DDA अधिकारी की हैसियत से नहीं बल्कि इस न्यायालय के अधिकारी के रूप में दाखिल कर रहे हैं।"

    बेंच ने अधिकारियों द्वारा लकड़ी का पता न लगा पाने पर भी आश्चर्य व्यक्त किया।

    जस्टिस ओक ने मौखिक रूप से कहा,

    "जब हमने पेड़ो के काटे जाने के बारे में पूछताछ की तो DDA के अधिकारी ने कोई जवाब नहीं दिया। हमें 100% यकीन है कि लकड़ी ठेकेदार द्वारा ही ली गई होगी। हमें 100% यकीन है कि यह हिमशैल का सिरा है, ऐसा कई मामलों में हुआ होगा और पेड़ों को काटा गया होगा। इसलिए हम मजबूत दृष्टिकोण अपना रहे हैं, जिससे संदेश जाए।"

    इस अवसर पर जस्टिस ओक ने शर्लक होम्स की कहानी "सिल्वर ब्लेज़" का उल्लेख किया, जिसमें अपराधी के बारे में जासूस के लिए सुराग निगरानी कुत्ते का भौंकना न होना था।

    जस्टिस ओक ने कहा,

    "हम यह जानने के लिए उत्सुक हैं कि कुत्ता क्यों नहीं भौंका। क्योंकि सब कुछ छिपा हुआ है। कोई भी कोई आपत्ति नहीं उठाना चाहता। जब कोई अंदरूनी व्यक्ति ऐसा करता है तो कोई भी भौंकता नहीं है। यही (शरलॉक होम्स) कहानी का नैतिक मूल्य है।"

    जस्टिस ओक ने DDA के वाइस चेयरमैन से यह भी कहा कि न्यायालय उन्हें न्यायालय की अवमानना ​​के लिए जेल भेजने में रुचि नहीं रखता है; लेकिन मामले की सच्चाई सामने आनी चाहिए।

    उन्होंने आगे कहा,

    "हमने अवमानना ​​नोटिस जारी किया। इसका मतलब यह नहीं है कि हम चाहते हैं कि वह जेल जाए...लेकिन उसे यह बताना चाहिए कि निर्देश किसने जारी किए। अगर सर्वोच्च अधिकारी ने कुछ गलत किया तो अदालत को बताने में कोई बुराई नहीं है। सच्चाई सामने आनी चाहिए।"

    न्यायालय ने पेड़ों की कटाई की अनुमति देने के लिए दिल्ली सरकार की भी खिंचाई की और उसे नोटिस जारी किया, जिसमें कहा गया कि दिल्ली सरकार से कई जवाब मांगे जाने चाहिए। न्यायालय ने पाया कि दिल्ली सरकार ने DDA को लगभग 443 पेड़ों को काटने की अनुमति देते हुए दिल्ली वृक्ष संरक्षण अधिनियम 1994 के तहत वृक्ष अधिकारी की शक्तियों का "अतिक्रमण" किया। न्यायालय ने यह भी पाया कि अभिलेखों से पता चलता है कि DDA ने इसके अतिरिक्त 200 पेड़ भी काटे।

    न्यायालय ने अपने आदेश में कहा,

    "राज्य सरकार को कई सवालों के जवाब देने होंगे, जिसमें यह सवाल भी शामिल है कि सरकार अनुमति देने के लिए वृक्ष अधिकारी की शक्ति का कैसे अतिक्रमण कर सकती है। दिल्ली सरकार को यह बताना होगा कि इस तरह की घोर अवैधता कैसे की जा सकती है। हालांकि वन विभाग को DDA द्वारा 1994 अधिनियम के घोर उल्लंघन के बारे में पूरी जानकारी है, लेकिन अपराधियों पर मुकदमा चलाने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया।"

    पर्यावरण और वन विभाग के प्रधान सचिव के माध्यम से दिल्ली सरकार को अवमानना ​​याचिका पर नोटिस जारी किया गया। सचिव को हलफनामा दाखिल कर यह बताना चाहिए कि सरकार ने पेड़ों की कटाई की अनुमति कैसे दी और DDA ने 22 जुलाई तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं की।

    केस टाइटल: बिंदु कपूरिया बनाम सुभाशीष पांडा डेयरी नंबर 21171-2024, सुभाशीष पांडा उपाध्यक्ष DDA एसएमसी (सीआरएल) नंबर 2/202 के संबंध में

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