धारा 197 CrPC PMLA पर लागू होती है: सुप्रीम कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग अपराध के लिए लोक सेवकों पर मुकदमा चलाने के लिए पूर्व मंजूरी अनिवार्य माना
Amir Ahmad
6 Nov 2024 1:46 PM IST
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि CrPC की धारा 197(1) जो यह प्रावधान करती है कि सार्वजनिक कर्तव्यों के निर्वहन के दौरान कथित अपराधों के लिए लोक सेवकों और जज पर मुकदमा चलाने के लिए सरकार से पूर्व मंजूरी की आवश्यकता होती है, मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम के तहत मामलों पर लागू होगी।
जस्टिस अभय ओक और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने प्रवर्तन निदेशालय द्वारा तेलंगाना हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली अपील खारिज की, जिसमें पूर्व मंजूरी के अभाव के आधार पर आईएएस अधिकारी के खिलाफ संज्ञान आदेशों को रद्द कर दिया गया था।
जस्टिस ओक ने कहा,
“अपील खारिज की गई। हमने माना कि धारा 197(1) CrPC के प्रावधान PMLA पर लागू होंगे।”
प्रतिवादी बिभु प्रसाद आचार्य के खिलाफ आरोपों में भूमि आवंटन में आधिकारिक पद का दुरुपयोग संपत्तियों का कम मूल्यांकन और अनधिकृत रियायतें शामिल थीं, जिनसे कथित तौर पर आंध्र प्रदेश के पूर्व सीएम वाईएस जगन मोहन रेड्डी से जुड़ी निजी कंपनियों को फायदा हुआ, जबकि सरकार को काफी वित्तीय नुकसान हुआ। ED ने आरोप लगाया कि आचार्य ने इन लेन-देन को सुविधाजनक बनाने के लिए प्रमुख हस्तियों के साथ साजिश रची।
एचसी के समक्ष आचार्य ने तर्क दिया कि उन्होंने आधिकारिक क्षमता के भीतर काम किया, यह तर्क देते हुए कि अभियोजन के लिए सीआरपीसी की धारा 197 के तहत पूर्व सरकारी मंजूरी आवश्यक थी।
ED ने तर्क दिया कि PMLA धारा 65 और 71 के तहत अधिभावी प्रावधानों वाला एक विशेष क़ानून है, जिसके लिए इस तरह की मंजूरी की आवश्यकता नहीं है।
ED ने कहा कि आरोपों में निजी लाभ के लिए आधिकारिक शक्तियों का दुरुपयोग शामिल है। इस प्रकार धारा 197 CrPC द्वारा दी गई सुरक्षा को नकार दिया गया।
ED ने आगे तर्क दिया कि PMLA के तहत कार्यवाही के लिए मंजूरी की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि PMLA हर चीज के लिए पूर्ण कोड प्रदान करने वाली प्रक्रिया है।
तेलंगाना हाईकोर्ट ने 21 जनवरी 2019 को PMLA के तहत कार्यवाही में विशेष न्यायाधीश द्वारा जारी किए गए संज्ञान आदेशों को खारिज करते हुए रद्द करने की याचिका को अनुमति दी।
हाईकोर्ट ने माना कि CrPC की धारा 197 के तहत आवश्यक पूर्व मंजूरी की कमी ने संज्ञान आदेशों को अस्थिर बना दिया।
केस टाइटल – प्रवर्तन निदेशालय आदि बनाम बिभु प्रसाद आचार्य आदि आदि।