BREAKING| सुप्रीम कोर्ट ने वंतारा वन्यजीव केंद्र और जानवरों के अधिग्रहण मामलों की SIT से जांच कराने का आदेश दिया
Shahadat
26 Aug 2025 10:39 AM IST

सुप्रीम कोर्ट ने रिलायंस फाउंडेशन द्वारा जामनगर, गुजरात में संचालित वंतारा (ग्रीन्स जूलॉजिकल रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर) के मामलों की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (SIT) के गठन का आदेश दिया।
SIT को अन्य बातों के अलावा, भारत और विदेशों से जानवरों, विशेष रूप से हाथियों के अधिग्रहण में वन्यजीव संरक्षण अधिनियम और अन्य प्रासंगिक कानूनों के प्रावधानों के अनुपालन की जांच करनी है।
SIT का नेतृत्व सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस जे. चेलमेश्वर करेंगे।
जस्टिस राघवेंद्र चौहान (उत्तराखंड और तेलंगाना हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस), मिस्टर हेमंत नागराले (पूर्व मुंबई पुलिस आयुक्त), मिस्टर अनीश गुप्ता (IRS) (अतिरिक्त आयुक्त सीमा शुल्क) SIT के अन्य सदस्य हैं।
जस्टिस पंकज मित्तल और जस्टिस प्रसन्ना बी. वराले की खंडपीठ ने एडवोकेट सीआर जया सुकिन द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया, जिन्होंने केंद्र के कामकाज पर व्यापक आरोप लगाए।
खंडपीठ ने कहा कि याचिका में बिना किसी समर्थन सामग्री के केवल आरोप लगाए गए और सामान्यतः ऐसी याचिका पर विचार नहीं किया जाना चाहिए।
साथ ही न्यायालय ने आगे कहा:
"हालांकि, इन आरोपों के मद्देनजर कि वैधानिक प्राधिकारी या न्यायालय अपने कार्य को पूरा करने के लिए अनिच्छुक या असमर्थ हैं, विशेष रूप से तथ्यात्मक स्थिति की सत्यता के सत्यापन के अभाव में हम न्याय की दृष्टि से एक स्वतंत्र तथ्यात्मक मूल्यांकन की मांग करना उचित समझते हैं, जो कथित उल्लंघन, यदि कोई हो, उसको स्थापित कर सके। तदनुसार, हम बेदाग निष्ठा और उच्च प्रतिष्ठा वाले सम्मानित व्यक्तियों, जिनकी सार्वजनिक सेवा लंबी हो, की SIT के गठन का निर्देश देना उचित समझते हैं।"
SIT का अधिदेश:
SIT अन्य बातों के साथ-साथ निम्नलिखित पर जांच करेगी और रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी:-
(1) भारत और विदेश से पशुओं, विशेषकर हाथियों का अधिग्रहण करना।
(2) वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 और उसके अंतर्गत चिड़ियाघरों के लिए बनाए गए नियमों का अनुपालन करना।
(3) वनस्पतियों और जीवों की लुप्तप्राय प्रजातियों के व्यापार पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन (CITES) और जीवित पशुओं के आयात/निर्यात से संबंधित आयात/निर्यात कानूनों और अन्य वैधानिक आवश्यकताओं का अनुपालन करना।
(4) पशुपालन, पशु मेडिकल देखभाल, पशु कल्याण के मानकों, मृत्यु दर और उसके कारणों का अनुपालन करना।
(5) जलवायु परिस्थितियों से संबंधित शिकायतें और औद्योगिक क्षेत्र के निकट स्थान से संबंधित आरोप करना।
(6) वैनिटी या निजी संग्रह, प्रजनन, संरक्षण कार्यक्रमों और जैव विविधता संसाधनों के उपयोग से संबंधित शिकायतें करना।
(7) जल और कार्बन क्रेडिट के दुरुपयोग से संबंधित शिकायतें करना।
(8) याचिकाओं में उल्लिखित लेखों/कहानियों/शिकायतों में लगाए गए कानून के विभिन्न प्रावधानों के उल्लंघन, पशुओं या पशु उत्पादों के व्यापार, वन्यजीव तस्करी आदि के आरोपों से संबंधित शिकायतें करना।
(9) वित्तीय अनुपालन, धन शोधन आदि के मुद्दों से संबंधित शिकायतें करना।
(10) इन याचिकाओं में लगाए गए आरोपों से संबंधित किसी अन्य विषय, मुद्दे या मामले से संबंधित शिकायतें करना।
SIT को केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण, CITES प्रबंधन प्राधिकरण, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और गुजरात राज्य, जिसमें उसके वन और पुलिस विभाग शामिल हैं, द्वारा पूरी सहायता प्रदान की जानी चाहिए।
न्यायालय ने स्पष्ट किया कि यह आदेश याचिका नहीं होना चाहिए और न ही इस आदेश को किसी भी वैधानिक प्राधिकरण या 'वंतारा' की कार्यप्रणाली पर कोई संदेह उत्पन्न करने वाला माना जाना चाहिए। न्यायालय ने कहा कि उसने आरोपों के गुण-दोष पर कुछ भी व्यक्त नहीं किया और SIT की जांच केवल एक तथ्य-खोज प्रक्रिया है।
SIT को 12 सितंबर, 2025 तक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया।
Case : C R Jaya Sukin v Union of India

