जम्मू कश्मीर पुलिस अधिकारी को हिरासत में दी गई यातना, सुप्रीम कोर्ट ने 50 लाख रुपये का मुआवज़ा देने का दिया आदेश
Shahadat
21 July 2025 12:49 PM IST

हिरासत में हिंसा के विरुद्ध संवैधानिक सुरक्षा उपायों को सुदृढ़ करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा स्थित संयुक्त पूछताछ केंद्र (JIC) में पुलिस कांस्टेबल को कथित हिरासत में यातना दिए जाने की केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) से जाँच कराने का आदेश दिया।
न्यायालय ने इस दुर्व्यवहार के लिए ज़िम्मेदार जम्मू-कश्मीर पुलिस के अधिकारियों को तत्काल गिरफ़्तार करने का निर्देश दिया और केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर को अपीलकर्ता-पीड़ित खुर्शीद अहमद चौहान को उनके मौलिक अधिकारों के घोर उल्लंघन की क्षतिपूर्ति के रूप में 50,00,000/- रुपये (पचास लाख रुपये) का मुआवज़ा देने का आदेश दिया।
जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की खंडपीठ ने उस मामले की सुनवाई की, जिसमें अपीलकर्ता पुलिस कांस्टेबल ने हाईकोर्ट द्वारा उसके विरुद्ध धारा 309 (आत्महत्या का प्रयास) के तहत दर्ज FIR रद्द करने से इनकार करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। उसने आरोप लगाया कि 20 से 26 फरवरी, 2023 तक JIC कुपवाड़ा में छह दिनों की अवैध हिरासत के दौरान उसे अमानवीय और अपमानजनक यातनाएं दी गईं, जिसमें उसके गुप्तांगों को क्षत-विक्षत करना भी शामिल था।
हाईकोर्ट का फैसला खारिज करते हुए जस्टिस मेहता द्वारा लिखित फैसले में कहा गया कि भारतीय दंड संहिता (IPC) धारा 309 के तहत कथित अपराध की आपराधिक कार्यवाही जारी रखना न्याय का उपहास होगा। इसलिए FIR रद्द कर दी गई। हालांकि, इसने अवैध हिरासत के दौरान अपीलकर्ता द्वारा हिरासत में झेली गई हिंसा पर कड़ी आपत्ति जताई।
दुर्व्यवहार के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के बारे में विस्तृत जांच करने के अलावा, CBI को कुपवाड़ा स्थित संयुक्त पूछताछ केंद्र में व्याप्त "व्यवस्थागत मुद्दों" की भी जांच करने का निर्देश दिया गया। अदालत ने इस बात का आकलन करने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया कि क्या संरचनात्मक या संस्थागत कमियों के कारण दंड से मुक्ति का माहौल बना, जिसके कारण हिरासत में दुर्व्यवहार हुआ।
अदालत ने आगे आदेश दिया कि कथित तौर पर यातना में शामिल पुलिस अधिकारियों को एक महीने के भीतर तुरंत गिरफ्तार किया जाए और FIR दर्ज होने की तारीख से तीन महीने के भीतर जांच पूरी की जाए।
Cause Title: KHURSHEED AHMAD CHOHAN Versus UNION OF TERRITORY OF JAMMU AND KASHMIR AND ORS.

