सुप्रीम कोर्ट ने चंडीगढ़ पुलिस द्वारा डेंटिस्ट की गिरफ्तारी में कथित अवैधताओं की CBI जांच के आदेश दिए

Shahadat

24 Aug 2024 10:45 AM IST

  • सुप्रीम कोर्ट ने चंडीगढ़ पुलिस द्वारा डेंटिस्ट की गिरफ्तारी में कथित अवैधताओं की CBI जांच के आदेश दिए

    सुप्रीम कोर्ट ने 06 अगस्त के अपने आदेश के माध्यम से CBI को चंडीगढ़ में रहने वाले डेंटिस्ट मोहित धवन की गिरफ्तारी में कथित अवैधताओं के लिए चंडीगढ़ पुलिस के खिलाफ आरोपों की प्रारंभिक जांच करने का आदेश दिया।

    जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की खंडपीठ केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ द्वारा पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा मार्च 2023 में पारित निर्देश के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें पंजाब पुलिस की एक विशेष जांच टीम (SIT) का गठन किया गया, जो अन्य बातों के अलावा यूटी पुलिस कर्मियों द्वारा धवन के कथित 'अपहरण' की जांच करेगी।

    दरअसल, धवन पर 2018 में धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया, जिसमें अमेरिकी नागरिक गर्ट्रूड डिसूजा ने शिकायत दर्ज कराई थी, जिन्होंने 2017 में उनके क्लिनिक में डेंटल इम्प्लांट करवाया था। सितंबर 2020 में केन्या के नैरोबी की अन्य महिला एनिड नयाबुंदी ने उनके खिलाफ धोखाधड़ी का एक और मामला दर्ज कराया। इसके खिलाफ उन्होंने अग्रिम जमानत के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। इसमें उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि उन पर दो अन्य एफआईआर रिपोर्टों के संबंध में समझौता करने का दबाव बनाया जा रहा है और पुलिस अधिकारियों द्वारा उन्हें जांच में शामिल होने से रोका जा रहा है। इस संबंध में उन्होंने पुलिस अधिकारियों के खिलाफ अपहरण और सबूतों से छेड़छाड़ का आरोप लगाया।

    धवन ने तत्कालीन दिल्ली पुलिस आयुक्त और CBI के पूर्व विशेष निदेशक राकेश अस्थाना की संलिप्तता का आरोप लगाया। हाईकोर्ट ने उन्हें अंतरिम संरक्षण प्रदान करते हुए पंजाब पुलिस प्रमुख को यूटी पुलिस कर्मियों द्वारा आरोपी के कथित 'अपहरण' की जांच के लिए SIT गठित करने को भी कहा। हाईकोर्ट के निर्देश को चुनौती देते हुए यूटी ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की। न्यायालय ने कहा कि मामले ने “संविधान और कानूनों का घोर उल्लंघन” किया और आरोप व्यक्तिगत स्वतंत्रता से संबंधित हैं।

    न्यायालय ने अपने आदेश में कहा,

    “तदनुसार, यह निर्देश दिया जाता है कि CBI हाईकोर्ट के निर्देशानुसार प्रतिवादी द्वारा दी गई दिनांक 03.02.2022 की शिकायत में उल्लिखित तथ्यों के आधार पर प्रारंभिक जांच करेगी, जो उसके प्रति-शपथपत्र (अनुलग्नक आर-1) में संलग्न है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि कोई भटकावपूर्ण जांच न हो, यह स्पष्ट किया जाता है कि ऐसी प्रारंभिक जांच प्रतिवादी द्वारा दिनांक 03.02.2022 की शिकायत में दिए गए बयान के अनुसार ही सीमित रहेगी।”

    इसके अलावा, न्यायालय ने CBI द्वारा पता लगाए जाने वाले दो और मुद्दे भी शामिल किए। पहला, क्या आरोपी को हिरासत/गिरफ्तारी के 24 घंटे के भीतर स्थानीय मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया गया। दूसरा, क्या पुलिस अधिकारियों द्वारा उनकी हिरासत अपहरण के समान थी।

    अदालत ने कहा कि हाईकोर्ट को इस पर आगे निगरानी रखने की आवश्यकता नहीं है। इस प्रकार, उसने अपने समक्ष लंबित याचिका बंद कर दी। इसने यह भी निर्देश दिया कि आरोपी मुकदमे की अवधि के दौरान जमानत पर रहेगा।

    अदालत ने आदेश दिया,

    "हम यह भी बता सकते हैं कि जांच या प्रारंभिक जांच जैसा कि इसे CBI में कहा जाता है, एकल न्यायाधीश द्वारा आरोपित आदेश में दर्ज किए गए किसी भी निष्कर्ष/टिप्पणियों से पक्षपातपूर्ण नहीं होगी। CBI उपरोक्त जांच करने के बाद कानून के अनुसार आगे बढ़ेगी।"

    बता दें कि इस साल फरवरी में सुप्रीम कोर्ट ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत राकेश अस्थाना के खिलाफ मुकदमा चलाने की मांग करने वाली धवन की याचिका खारिज कर दी थी।

    उनका रुख यह था कि अस्थाना ने भ्रष्ट तरीकों और भ्रष्ट गतिविधियों के माध्यम से अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग करके याचिकाकर्ता को गलत और अवैध रूप से फंसाया और धमकाया। इसके अलावा, उन्होंने अपने निजी प्रभाव का इस्तेमाल करके मामले को निपटाने की आड़ में पुलिस अधिकारियों के साथ मिलीभगत करके उनसे पैसे ऐंठने का भी प्रयास किया।

    उन्होंने आरोप लगाया कि यह भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों, विशेष रूप से भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 और 7ए का उल्लंघन करते हुए किया गया, जिससे शिकायतकर्ता गर्ट्रूड डिसूजा और उनके पति ब्रायन डिसूजा को अपने नजदीकी रिश्तेदारों से छुटकारा दिलाने के लिए उनका पक्ष लिया जा सके।

    न्यायालय ने कहा कि वह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 136 के तहत इस अपील पर विचार करने के लिए इच्छुक नहीं है। इसलिए इसे देखते हुए अपील खारिज कर दी गई।

    केस टाइटल: चंडीगढ़ संघ शासित प्रदेश बनाम मोहित धवन, विशेष अनुमति याचिका (आपराधिक) नंबर 3405/2023

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