सुप्रीम कोर्ट के वकीलों ने सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ को पत्र लिखकर स्थगन पत्र प्रसारित करने की परंपरा फिर से शुरू करने की मांग की

Shahadat

18 Jan 2024 4:38 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट के वकीलों ने सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ को पत्र लिखकर स्थगन पत्र प्रसारित करने की परंपरा फिर से शुरू करने की मांग की

    चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ को 281 वकीलों ने पत्र लिखकर किसी मामले को सूचीबद्ध होने से एक दिन पहले स्थगन पत्र या पर्चियां प्रसारित करने की परंपरा को अगले आदेश तक बंद करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर आपत्ति जताई।

    पिछले साल, वार्षिक शीतकालीन अवकाश से पहले सुप्रीम कोर्ट ने "मुकदमदारों के हित में" स्थगन मांगने की प्रक्रिया में बदलाव को अधिसूचित किया। 5 दिसंबर को जारी सर्कुलर ने वर्ष के अंतिम कार्य दिवस तक स्थगन पत्र या पर्चियां प्रसारित करने की मौजूदा परंपरा पर रोक लगा दी।

    सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स-ऑन-रिकॉर्ड एसोसिएशन (SCAORA और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) दोनों ने इस बदलाव का विरोध किया और अदालत से इस प्रथा को बंद न करने का आग्रह किया। उनके अभ्यावेदन के जवाब में सुप्रीम कोर्ट ने बार के सदस्यों सहित सभी हितधारकों के इनपुट के साथ स्थगन पर मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) तैयार करने के लिए न्यायाधीशों की समिति का गठन किया। हालांकि पत्रों या पर्चियों के माध्यम से सुनवाई को स्थगित करने का अनुरोध करने की परंपरा को अगले आदेश तक बंद करने की घोषणा की गई।

    22 दिसंबर को जारी सर्कुलर में लिखा-

    “स्थगन पर्चियों के प्रसार को जारी रखने के संबंध में SCBA और SCAORA के अनुरोध के आलोक में सक्षम प्राधिकारी ने बार और सभी हितधारकों के सुझावों को आमंत्रित करने के बाद मानक संचालन प्रक्रिया तैयार और आगे के तौर-तरीकों पर काम करने के लिए माननीय न्यायाधीशों की समिति का गठन करने की कृपा की। इस बीच, स्थगन पर्चियों के प्रसार की परंपरा अगले आदेश तक बंद कर दी गई।

    हालांकि, सीजेआई को पत्र लिखने वाले वकीलों का तर्क है कि अंतराल के दौरान मौजूदा प्रक्रिया को समाप्त करने से बार और बेंच दोनों के लिए 'गंभीर परिणाम' होंगे। इन संभावित परिणामों को देखते हुए उन्होंने जजों की समिति और सीजेआई चंद्रचूड़ से नई व्यवस्था लागू होने तक पर्चियों के प्रसार के माध्यम से स्थगन मांगने की पिछली प्रणाली को बहाल करने का आग्रह किया।

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