क्या SREI इक्विपमेंट फाइनेंस लिमिटेड पर लागू होते हैं RBI के सर्कुलर? सुप्रीम कोर्ट करेगा विचार
Amir Ahmad
1 July 2025 12:07 PM IST

सुप्रीम कोर्ट यह तय करने जा रहा है कि क्या SREI इक्विपमेंट फाइनेंस लिमिटेड जो भारत सरकार समर्थित कंपनी है, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) द्वारा जारी सर्कुलरों का पालन करने के लिए बाध्य है या नहीं।
कोर्ट ने SREI इक्विपमेंट फाइनेंस लिमिटेड द्वारा यूनाइटेड एशियन ट्रेडर्स लिमिटेड से संबंधित कर्ज को स्विस चैलेंज पद्धति के तहत सौंपने की प्रक्रिया पर अंतरिम रोक लगा दी है। अगली सुनवाई 5 अगस्त 2025 को होगी।
जस्टिस उज्जल भुइयां और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की अवकाशकाल खंडपीठ ने यह आदेश पारित किया। यह मामला नियामकीय गैर-अनुपालन के आरोपों और याचिकाकर्ता इंटरनेशनल फाइनेंशियल सर्विस लिमिटेड (IFSL) की वैधता (लोकस स्टैंडी) पर सवालों के बीच सामने आया। कोर्ट ने SREI को यह भी निर्देश दिया कि वह फिलहाल एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (EoI) को अंतिम रूप न दे।
यह मामला 9 जून, 2025 को कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले से शुरू हुआ, जिसमें ट्रायल कोर्ट द्वारा दी गई अंतरिम निषेधाज्ञा रद्द कर दी गई थी। हाईकोर्ट ने माना कि IFSL ने न तो बोली लगाई और न ही स्विस चैलेंज प्रक्रिया में भाग लेने की पात्रता साबित की।
हाईकोर्ट ने स्विस चैलेंज पद्धति को RBI की 2021 मास्टर सर्कुलर और सुप्रीम कोर्ट के फैसले Ravi Development बनाम श्रीकृष्ण प्रतिष्ठान (2009) 7 SCC 462 के तहत वैध माना। हालांकि, कुछ कानूनी मुद्दों की गंभीरता को देखते हुए हाईकोर्ट ने अपने आदेश पर 15 दिन की रोक दी ताकि IFSL सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सके।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान IFSL की ओर से सीनियर एडवोकेट विक्रम नंकानी ने दलील दी कि SREI को NARCL (नेशनल एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी लिमिटेड) ने अधिग्रहित कर लिया, जो एक सरकारी संस्था है।
अतः SREI अब सरकारी कंपनी मानी जाएगी और उस पर RBI के दिशानिर्देशों के तहत पारदर्शिता की अधिक सख्त शर्तें लागू होती हैं। उन्होंने यह भी कहा कि SREI की कर्ज हस्तांतरण प्रक्रिया RBI द्वारा निर्धारित मानकों जैसे दो स्वतंत्र मूल्यांकनकर्ताओं की नियुक्ति (100 करोड़ से अधिक कर्ज के लिए) उचित जांच की समय-सीमा और एंकर बिडर के चयन के मानदंडों के स्पष्ट प्रकटीकरण का पालन नहीं करती।
वहीं SREI की ओर से सीनियर एडवोकेट राजन बाचावत ने याचिका की स्वीकार्यता पर कड़ा विरोध जताया। उन्होंने कहा कि IFSL न तो कर्ज लेने वाला है और न ही बोलीदाता, इसलिए उसके पास इस प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है। हाईकोर्ट पहले ही यह बात मान चुका है।
मामले की अहमियत को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इसे विस्तृत रूप से सुनने का फैसला किया और सभी प्रतिवादियों को नोटिस जारी करते हुए 5 अगस्त, 2025 की अगली सुनवाई तक EoI को अंतिम रूप न देने का आदेश दिया।
केस टाइटल: इंटरनेशनल फाइनेंशियल सर्विस लिमिटेड बनाम SREI इक्विपमेंट फाइनेंस लिमिटेड एवं अन्य

