कांसुलर पासपोर्ट और वीज़ा सेवाओं के थर्ड-पार्टी वेंडर्स द्वारा तय मूल्य निर्धारण को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट करेगा सुनवाई

Amir Ahmad

30 Jun 2025 1:14 PM IST

  • कांसुलर पासपोर्ट और वीज़ा सेवाओं के थर्ड-पार्टी वेंडर्स द्वारा तय मूल्य निर्धारण को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट करेगा सुनवाई

    सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में केंद्र सरकार की उस नीति की वैधता पर सुनवाई करने पर सहमति दी है, जिसमें कांसुलर पासपोर्ट और वीज़ा सेवाओं (SPV सेवाओं) के लिए एक समान मूल्य निर्धारण तय किया गया, चाहे आवेदक वैल्यू एडेड सर्विसेज़ (VAS) ले या न ले।

    जस्टिस केवी विश्वनाथन और जस्टिस एनके सिंह की खंडपीठ भारतीय नागरिक द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जो ओमान में निवास करता है।

    याचिकाकर्ता ने दिल्ली हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी, जिसमें उसकी जनहित याचिका (PIL) को खारिज कर दिया गया था।

    यह याचिका केंद्र सरकार की थर्ड-पार्टी प्रदाताओं द्वारा सीपीवी सेवाओं के मूल्य निर्धारण संबंधी नीति में किए गए बदलावों के खिलाफ थी।

    याचिकाकर्ता ने पहले दिल्ली हाईकोर्ट में फरवरी 2025 में केंद्र सरकार द्वारा संशोधित CPV सेवाओं के लिए प्रकाशित रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल (RFP) को चुनौती दी थी।

    2014 के RFP के तहत थर्ड-पार्टी वेंडर्स को केवल CPV सेवाओं में सहायता देने और आवेदक की इच्छा पर वैल्यू एडेड सर्विसेज़ (VAS) प्रदान करने और शुल्क लेने के लिए नियुक्त किया गया था। परंतु 2025 के आरएफपी के अनुसार थर्ड-पार्टी वेंडर्स को अब एक समान ऑल-इन लागत देनी होगी चाहे आवेदक ने VAS ली हो या नहीं।

    याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि इस नई नीति के कारण कुछ सेवाओं की कीमतों में 1617% तक की मनमानी वृद्धि हो जाएगी और यह नीति आवेदकों पर वैल्यू एडेड सेवाओं की लागत जबरन थोपती है, भले ही उन्होंने ये सेवाएं ली हों या नहीं।

    इसके अलावा यह नीति थर्ड-पार्टी प्रदाताओं को अनुचित लाभ पहुंचाने का उद्देश्य रखती है।

    दिल्ली हाईकोर्ट ने याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी कि याचिकाकर्ता का इस मामले में कोई अधिकारिक पक्ष (locus standi) नहीं बनता।

    कोर्ट ने कहा कि (1) केवल आरएफपी की कुछ शर्तों को चुनौती दी गई है, जबकि RPF के बोलीदाताओं ने पहले ही ऐसी शर्तों और अयोग्यताओं के खिलाफ याचिकाएं दायर कर रखी हैं; (2) नीति परिवर्तन को सीधे चुनौती नहीं दी गई; (3) यह पीआईएल क्षेत्राधिकार के तहत संदेहास्पद थी।

    सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट के तर्कों को चुनौती दी है।

    याचिकाकर्ता के वकील धीरज मल्होत्रा ने कहा कि बोलीदाता समान मूल्य निर्धारण पर कोई आपत्ति नहीं करेंगे। हाईकोर्ट ने उनकी याचिका को गलत तरीके से बोलीदाताओं की याचिकाओं से जोड़ कर खारिज कर दिया।

    सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को नोटिस जारी करने पर सहमति दी है। मामला अब 25 जुलाई को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है।

    टाइटल: राघवेंद्र बगल बनाम भारत संघ व अन्य | विशेष अनुमति याचिका (नागरिक) संख्या 16610/2025

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