सुप्रीम कोर्ट ने विधान परिषद से निष्कासन को चुनौती देने वाली RJD नेता की याचिका पर नोटिस जारी किया

Shahadat

3 Sep 2024 5:59 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट ने विधान परिषद से निष्कासन को चुनौती देने वाली RJD नेता की याचिका पर नोटिस जारी किया

    सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय जनता दल (RJD) नेता रामबली सिंह की याचिका पर नोटिस जारी किया। उक्त याचिका में उन्होंने बिहार विधान परिषद से निष्कासन को चुनौती दी है। उन्होंने राज्य की नीतियों के खिलाफ बयानबाजी की थी, जबकि उनकी पार्टी ने सरकार बनाई थी।

    जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की खंडपीठ ने यह आदेश पारित किया। मामले को अगली बार 25 अक्टूबर को विचार के लिए सूचीबद्ध किया गया।

    संक्षेप में मामला

    सिंह को बिहार विधान परिषद स्पीकर द्वारा पारित आदेश द्वारा अयोग्य घोषित किया गया। उनके खिलाफ शिकायत यह थी कि उन्होंने राज्य सरकार की नीतियों (जिन्हें विधानमंडल द्वारा अनुमोदित किया गया) के खिलाफ सार्वजनिक बयान दिए, जबकि उनकी पार्टी सरकार का हिस्सा थी।

    निष्कासन के खिलाफ सिंह ने शुरू में पटना हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिसमें कहा गया कि स्पीकर के आदेश में प्रक्रियात्मक अनियमितताएं हैं। उनके दावे के अनुसार, आदेश ने बिहार विधान परिषद (दलबदल के आधार पर अयोग्यता) नियम, 1994 (बिहार नियम) के नियम 6(6) और 7 का उल्लंघन किया।

    बिहार नियमावली के नियम 6 का हवाला देते हुए सिंह ने कहा कि बिहार विधान परिषद के किसी सदस्य के खिलाफ प्रत्येक शिकायत/याचिका पर शिकायतकर्ता द्वारा हस्ताक्षर किए जाने चाहिए तथा उसे सीपीसी (सिविल प्रक्रिया संहिता) में वर्णित तरीके से सत्यापित किया जाना चाहिए, जिससे दलीलों का सत्यापन किया जा सके (ओ6आर15 सीपीसी); दूसरी ओर, नियम 7, स्पीकर को नियम 6 की आवश्यकता का अनुपालन न करने पर याचिका को खारिज करने की अनुमति देता है।

    सिंह का कहना था कि शिकायत ओ6आर15 सीपीसी के तहत आवश्यकताओं को पूरा नहीं करती, क्योंकि इसके साथ कोई हलफनामा नहीं दिया गया। उन्होंने दावा किया कि इस मुद्दे को स्पीकर के समक्ष प्रारंभिक आपत्ति के रूप में उठाया गया, लेकिन स्पीकर ने इसे खारिज कर दिया।

    यह देखते हुए कि नियम 6 के तहत आवश्यकता निर्देशात्मक थी, अनिवार्य नहीं, हाईकोर्ट ने सिंह को अयोग्य ठहराने वाले स्पीकर का आदेश बरकरार रखा। इसने डॉ. महाचंद्र प्रसाद सिंह बनाम स्पीकर, बिहार विधान परिषद एवं अन्य का संदर्भ दिया, जहां सुप्रीम कोर्ट ने माना कि बिहार नियम अधीनस्थ विधान होने के कारण मूल प्रावधान, दसवीं अनुसूची, जो दलबदल विरोधी कानून से संबंधित है, की विषय-वस्तु और दायरे को प्रतिबंधित नहीं कर सकता है।

    दसवीं अनुसूची में यह नहीं कहा गया कि सदन के स्पीकर या स्पीकर को किसी सदस्य की अयोग्यता के बारे में आदेश देने का अधिकार नहीं है, जब तक कि सीपीसी के अनुसार याचिका प्रस्तुत न की जाए।

    हाईकोर्ट ने यह भी पाया कि सिंह के कार्यों से पता चलता है कि उन्होंने अपनी राजनीतिक पार्टी को स्वेच्छा से त्याग दिया, जिसके कारण बिहार नियमों के तहत उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया। इस आदेश से व्यथित होकर सिंह ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

    केस टाइटल: राम बली सिंह बनाम बिहार विधान परिषद, पटना, एसएलपी (सी) नंबर 016760/2024

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