उत्तराखंड सरकार ने राज्य के बाहर रोजगार के लिए NOC देने से किया इनकार, सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया

Shahadat

22 Jun 2024 5:24 AM GMT

  • उत्तराखंड सरकार ने राज्य के बाहर रोजगार के लिए NOC देने से किया इनकार, सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया

    उत्तराखंड सरकार द्वारा जारी किए गए सरकारी आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया। उक्त आदेश में उत्तराखंड राज्य के बाहर रोजगार चाहने वाले मेडिकल शिक्षकों को अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) देने से इनकार किया गया। सरकारी आदेश में कहा गया कि एनओसी केवल तभी प्रदान की जाएगी, जब राज्य के भीतर अन्य मेडिकल कॉलेजों में रोजगार मांगा जाएगा।

    जस्टिस राजेश बिंदल और जस्टिस प्रसन्ना बी वराले की वेकेशन बेंच ने याचिकाकर्ता द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई की, जो हल्द्वानी के सरकारी मेडिकल कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर (सामुदायिक मेडिकल) के रूप में तैनात हैं, उत्तराखंड हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ, जिसने याचिकाकर्ता को NOC देने से इनकार करने वाले सरकारी आदेश को बरकरार रखा। याचिकाकर्ता ने वाराणसी में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के मेडिकल साइंस इंस्टीट्यूट में फैकल्टी पोस्ट के लिए आवेदन करने के लिए NOC मांगी थी।

    याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि सरकारी आदेश द्वारा रखी गई शर्त कि NOC केवल तभी दी जाएगी, जब कोई शिक्षक राज्य के भीतर सरकारी कॉलेज में नियुक्ति के लिए आवेदन करेगा, मनमाना और अवैध है। उन्होंने तर्क दिया कि सभी मेडिकल कॉलेज एक समरूप वर्ग बनाते हैं। इसलिए, उत्तराखंड राज्य के भीतर सरकारी मेडिकल कॉलेजों और अन्य मेडिकल कॉलेजों के बीच विवादित सरकारी आदेश द्वारा किया गया कृत्रिम वर्गीकरण अस्थिर है और सरकारी आदेश रद्द किया जाना चाहिए।

    इसके विपरीत, राज्य द्वारा यह तर्क दिया गया कि NOC प्रदान करना राज्य का एकमात्र विशेषाधिकार है। यदि वह किसी व्यक्ति को संस्थान के लिए अपरिहार्य पाता है तो वह किसी भी कानून का उल्लंघन किए बिना NOC का अनुरोध ठुकरा सकता है।

    हाईकोर्ट ने राज्य के पक्ष में फैसला सुनाया और सरकारी आदेश बरकरार रखा। हाईकोर्ट द्वारा दिया गया तर्क यह है कि चूंकि उत्तराखंड पहाड़ी राज्य है और राज्य के भीतर सरकारी मेडिकल कॉलेजों को संकाय सदस्यों की कमी का सामना करना पड़ रहा है और “यदि संकाय सदस्यों की संख्या निर्धारित मानक से कम हो जाती है तो मेडिकल कॉलेज मान्यता खो सकता है, जिसका न केवल मेडिकल छात्रों पर, बल्कि आम जनता पर भी विनाशकारी प्रभाव पड़ेगा, जो गुणवत्तापूर्ण मेडिकल सेवाओं के लिए सरकारी मेडिकल कॉलेजों पर निर्भर हैं।”

    हाईकोर्ट ने कहा,

    "इस प्रकार, यदि नियोक्ता को अपने कर्मचारी के अन्यत्र रोजगार मांगने पर कोई आपत्ति है तो नियोक्ता एनओसी देने से इनकार कर सकता है। यह अधिकार प्रत्येक नियोक्ता को प्राप्त है।"

    इसके अलावा, हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता के इस तर्क को खारिज कर दिया कि सरकारी आदेश द्वारा मेडिकल कॉलेजों के बीच कृत्रिम वर्गीकरण किया गया, जो समरूप वर्ग है।

    हाईकोर्ट ने कहा,

    "सरकारी मेडिकल कॉलेज अलग वर्ग में आते हैं। संविधान के अनुच्छेद 14 में निहित समानता खंड को सरकारी मेडिकल कॉलेजों और अन्य कॉलेजों के बीच किए गए वर्गीकरण पर सवाल उठाने के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।"

    याचिकाकर्ता के वकील की सुनवाई के बाद न्यायालय ने प्रतिवादी/उत्तराखंड राज्य को दिनांक 27.08.2020 के संचार (सरकारी आदेश) की वैधता पर विचार करने के लिए नोटिस जारी किया, जिसके अनुसार याचिकाकर्ता को उत्तराखंड के बाहर रोजगार मांगने के लिए NOC जारी नहीं किया गया।

    मामले की अगली सुनवाई 7 अगस्त, 2024 को होगी।

    केस टाइटल: रुद्रेश नेगी बनाम उत्तराखंड राज्य और अन्य।

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