सुप्रीम कोर्ट ने राज्य की उधार क्षमता पर केंद्र सरकार की सीमाओं के खिलाफ याचिका पर नोटिस जारी किया
Shahadat
12 Jan 2024 6:04 PM IST
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस केवी विश्वनाथन की खंडपीठ ने केरल राज्य द्वारा राज्य की उधार लेने की क्षमता पर केंद्र द्वारा सीमा लगाए जाने को चुनौती देने वाले मामले में केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया।
उक्त मुकदमे के माध्यम से राज्य ने वित्त मंत्रालय (सार्वजनिक वित्त-राज्य प्रभाग), व्यय विभाग, भारत सरकार द्वारा जारी 27 मार्च, 2023 और 11 अगस्त, 2023 के पत्रों और वित्त अधिनियम, 2018 के माध्यम से राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन अधिनियम, 2003 की धारा 4 में किए गए संशोधनों को चुनौती दी।
इसका दावा है कि संघ शुद्ध उधार सीमा लगाकर राज्य के वित्त में हस्तक्षेप कर रहा है। इसमें आगे कहा गया कि लगाई गई सीमाओं के कारण राज्य वार्षिक बजट के तहत अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में असमर्थ है।
याचिका में कहा गया,
“बजट को संतुलित करने और राजकोषीय घाटे को पूरा करने के लिए राज्य की उधारी निर्धारित करने की क्षमता विशेष रूप से राज्यों के अधिकार क्षेत्र में है। यदि राज्य राज्य के बजट के आधार पर आवश्यक सीमा तक उधार लेने में सक्षम नहीं है तो राज्य विशेष वित्तीय वर्ष के लिए अपनी राज्य योजनाओं को पूरा करने में सक्षम नहीं होगा। इसलिए राज्य और राज्य के लोगों की प्रगति, समृद्धि और विकास के लिए यह आवश्यक है कि राज्य अपने संवैधानिक अधिकारों का प्रयोग करने में सक्षम हो और उसकी उधारी किसी भी तरह से बाधित न हो।”
मुकदमे में यह भी तर्क दिया गया कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 293(3) सपठित अनुच्छेद 293(3) के तहत शक्तियों के प्रयोग की आड़ में शर्तें लगाने से राज्य की विशेष संवैधानिक शक्तियां कम हो जाती हैं।
सुनवाई के दौरान, सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल केरल राज्य की ओर से पेश हुए और कहा कि यह मुकदमा गंभीर सवाल उठाता है, जिसमें अनुच्छेद 293(3) से संबंधित सवाल भी शामिल है। उन्होंने अनुरोध किया कि अंतरिम राहत की प्रार्थना पर विचार किया जाए, क्योंकि राज्य को पेंशन आदि का भुगतान करना है।
तदनुसार, पीठ ने अंतरिम राहत के लिए राज्य के आवेदन पर भी नोटिस जारी किया और मामले को 25 जनवरी, 2023 के लिए सूचीबद्ध किया।
केस टाइटल: केरल राज्य बनाम भारत संघ, ओआरजीएनएल सूट नंबर 1/2024