सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब पंचायत चुनाव में उम्मीदवारों को नामांकन दाखिल करने से कथित तौर पर रोकने को चुनौती देने वाली एक और याचिका पर नोटिस जारी किया

Shahadat

24 Oct 2024 9:43 AM IST

  • सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब पंचायत चुनाव में उम्मीदवारों को नामांकन दाखिल करने से कथित तौर पर रोकने को चुनौती देने वाली एक और याचिका पर नोटिस जारी किया

    सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब में पंचायत चुनावों को चुनौती देने वाली एक और याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें कथित तौर पर उम्मीदवारों को नामांकन पत्र दाखिल करने से रोका गया था।

    जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस आर महादेवन की पीठ ने यह आदेश पारित किया। मामले को अगली सुनवाई के लिए 18.11.2024 को सूचीबद्ध किया गया।

    गौरतलब है कि कुछ दिन पहले कोर्ट ने पंजाब में पंचायत चुनावों के संचालन में अनियमितताओं का आरोप लगाने वाली एक और याचिका पर नोटिस जारी किया था और अधिकारियों से जवाब मांगा था। इससे पहले, 15 अक्टूबर को कोर्ट ने पंचायत चुनावों पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था, यह देखते हुए कि वे पहले ही शुरू हो चुके हैं और उस समय पर रोक लगाने से गंभीर परिणाम और अराजकता हो सकती है।

    यह मुद्दा पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा 14 अक्टूबर को दिए गए एक फैसले से उपजा है, जिसके तहत उम्मीदवारों द्वारा दाखिल नामांकन पत्रों को कथित तौर पर मनमाने ढंग से खारिज करने के आधार पर पंचायत चुनावों को चुनौती देने वाली 800 से अधिक रिट याचिकाओं को खारिज कर दिया गया।

    हाईकोर्ट की अवकाश पीठ ने चुनाव कार्यवाही पर रोक लगा दी थी, यह देखते हुए कि चुनाव शुरू होने से पहले ही अन्य उम्मीदवारों के नामांकन पत्रों को मनमाने ढंग से खारिज करके उम्मीदवारों को "निर्विरोध" विजेता घोषित कर दिया गया। कुछ मामलों में "राज्य में सत्तारूढ़ दल" के अधिकारियों ने नामांकन पत्र फाड़ दिए और दावा किया कि कागजात खो गए। कुछ अन्य मामलों में बिना किसी कारण या झूठे कारणों से नामांकन पत्र खारिज कर दिए गए।

    हालांकि, बाद में हाईकोर्ट ने रोक हटा दी। चूंकि सुप्रीम कोर्ट ने भी रोक आदेश पारित नहीं किया, इसलिए 15 अक्टूबर को चुनाव हुए।

    वर्तमान मामले में एडवोकेट अर्जुन गर्ग याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए। उन्होंने तर्क दिया कि उठाया गया मुद्दा लोकतंत्र के सबसे बुनियादी और प्राथमिक पहलू यानी स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने आगे आग्रह किया कि कथित घटनाएं भयावह हैं। याचिकाकर्ताओं के मौलिक अधिकारों की रक्षा करने में राज्य मशीनरी की पूरी तरह विफलता को दर्शाती हैं।

    याचिका क्या कहती है?

    याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि सरपंच (गांव बसरके) और पंजाब राज्य में सदस्य पंचायत के लिए अन्य लोगों के चुनाव लड़ने के लिए उनके नामांकन फॉर्म, रिटर्निंग अधिकारी के सामने विरोधी उम्मीदवार (और उनके समर्थकों) द्वारा छीन लिए गए और फाड़ दिए गए। इस तरह केवल विरोधी उम्मीदवार ही मैदान में रह गया। इससे लोकतंत्र का उद्देश्य विफल हो गया।

    दावों के अनुसार, जब याचिकाकर्ता अपने-अपने नामांकन दाखिल करने गए तो उनका सामना सत्तारूढ़ पार्टी के स्थानीय विधायक के गुंडों से हुआ, जिन्होंने याचिकाकर्ताओं को आक्रामक तरीके से धमकाया और उनकी उम्मीदवारी का विरोध किया। टकराव हिंसक हाथापाई में बदल गया।

    इसके अलावा, यह कहा गया कि पुलिस को शिकायत की गई और धारा 115 (2), 127 (1), और 171 BNS के तहत दंडनीय अपराधों के लिए जिला तरनतारन में 05.10.2024 को FIR दर्ज की गई। हालांकि, नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि तक कोई कार्रवाई नहीं की गई।

    याचिकाकर्ताओं ने इस तथ्य पर हमला किया कि हाईकोर्ट ने शुरू में चुनाव में आगे की प्रक्रिया पर रोक लगाई। हालांकि, अंततः तकनीकी (संधारणीयता) पर उनकी याचिका खारिज की।

    याचिका में कहा गया,

    "याचिकाकर्ताओं के नामांकन पत्रों को छीनना और फाड़ना पंजाब राज्य चुनाव आयोग अधिनियम, 1994 (इसके बाद '1994 का अधिनियम') और पंजाब पंचायत चुनाव नियम, 1994 (इसके बाद '1994 के नियम') के सार के खिलाफ है, जिसमें वैधानिक प्रावधान यह प्रदान करते हैं कि सुनवाई का अवसर दिए बिना उम्मीदवारी को खारिज नहीं किया जाना चाहिए। यहां तक ​​कि जांच के समय किसी त्रुटि में सुधार करने का अवसर भी प्रदान किया जाना चाहिए। एक उम्मीदवार को उस समय और स्थान की सूचना दी जानी आवश्यक है, जिस पर उसके नामांकन पत्र की जांच की जानी है।"

    याचिका एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड आकाश नंदोलिया के माध्यम से दायर की गई।

    केस टाइटल: सुमनदीप सिंह और अन्य बनाम पंजाब राज्य एवं अन्य, एसएलपी(सी) नंबर 25243/2024

    Next Story