सुप्रीम कोर्ट ने न्यायपालिका के इच्छुक उम्मीदवार को राहत दी, न्यायिक परीक्षा में बैठने से इनकार करने वाला UPPSC का आदेश रद्द किया

Shahadat

19 Jan 2024 8:08 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट ने न्यायपालिका के इच्छुक उम्मीदवार को राहत दी, न्यायिक परीक्षा में बैठने से इनकार करने वाला UPPSC का आदेश रद्द किया

    सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (19 जनवरी) को न्यायिक सेवा (जूनियर डिवीजन) परीक्षा के लिए उम्मीदवार का आवेदन खारिज करने के उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) का फैसला रद्द कर दिया और UPPSC को याचिकाकर्ता के परिणाम घोषित करने का निर्देश दिया।

    जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस सुधांशु धूलिया की खंडपीठ ने आदेश दिया कि राज्य आयोग के हाथों याचिकाकर्ता के आवेदन की अस्वीकृति याचिकाकर्ता के परिणाम की घोषणा के रास्ते में नहीं आएगी।

    कोर्ट ने UPPSC का आदेश रद्द कर दिया, जिसमें मुख्य परीक्षा में शामिल होने के लिए याचिकाकर्ता-उम्मीदवार की उम्मीदवारी को खारिज कर दिया गया था।

    खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा,

    “आक्षेपित आदेश रद्द कर दिया गया। जैसा कि हम प्रतिवादी राज्य आयोग को याचिकाकर्ता का परिणाम घोषित करने और परिणाम उत्तर प्रदेश राज्य को भेजने का निर्देश देते हैं।''

    यह मामला मई, 2023 के महीने में UPPSC द्वारा आयोजित न्यायिक सेवा (जूनियर डिवीजन) मुख्य परीक्षा - 2022 में सदफ इमरान को उपस्थित होने की अनुमति देने से प्रतिवादी UPPSC द्वारा इनकार करने से संबंधित है।

    याचिकाकर्ता ने प्रारंभिक परीक्षा उत्तीर्ण की, इसलिए वह मुख्य परीक्षा में बैठने के लिए पात्र। हालांकि, UPPSC ने याचिकाकर्ता को मुख्य परीक्षा में बैठने की अनुमति देने से इस आधार पर इनकार किया कि वह मुख्य परीक्षा आवेदन पत्र की हार्ड-कॉपी समय अवधि के भीतर जमा करने में विफल रही, क्योंकि यह एक कार्य दिवस की देरी से आयोग तक पहुंची थी।

    याचिकाकर्ता की ओर से दलील दी गई कि डाकघर की ओर से सेवाओं में कमी के कारण उनका आवेदन पत्र एक कार्य दिवस की देरी से आयोग के कार्यालय में पहुंचा। इसके अलावा, याचिकाकर्ता द्वारा यह तर्क दिया गया कि मुख्य परीक्षा का आवेदन पत्र विधिवत ऑनलाइन जमा किया गया और UPPSC द्वारा स्वीकार किया गया, लेकिन फिर भी उसे मुख्य परीक्षा में उपस्थित होने से वंचित कर दिया गया और परीक्षा में शामिल होने की उसकी उम्मीदवारी रद्द कर दी गई।

    याचिकाकर्ता ने अपनी उम्मीदवारी रद्द करने के खिलाफ UPPSC के समक्ष अपील की, लेकिन अंततः आयोग ने उसकी अपील खारिज कर दी। इस आदेश को चुनौती देते हुए याचिकाकर्ता ने संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और दावा किया कि अनुच्छेद 21 के तहत परीक्षा में बैठने के उसके मौलिक अधिकार का उल्लंघन हुआ है।

    यह उल्लेख करना उचित होगा कि अदालत ने 22.05.2023 को याचिकाकर्ता को अंतरिम राहत देते हुए आयोग को निर्देश दिया कि वह याचिकाकर्ता को मुख्य परीक्षा में उपस्थित होने की अनंतिम अनुमति दे।

    नतीजतन, याचिकाकर्ता ने मुख्य परीक्षा उत्तीर्ण की और इंटरव्यू में उपस्थित होने के लिए पात्र पाया गया।

    21.11.2023 को अदालत ने आयोग से याचिकाकर्ता के इंटरव्यू परिणाम को अदालत के अवलोकन के लिए सीलबंद लिफाफे में प्रस्तुत करने को कहा। इसके बाद कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद 12.12.2023 को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।

    केस: सदफ इमरान बनाम यूपीपीएससी। डब्ल्यू.पी.(सी) नंबर 581/2023

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