सुप्रीम कोर्ट ने NGT दिल्ली बार एसोसिएशन में महिला आरक्षण बढ़ाया; कहा- NGT बार चुनावों में मतदान के लिए BCD नामांकन आवश्यक नहीं
Shahadat
20 Jan 2025 3:31 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि दिल्ली हाईकोर्ट और जिला बार एसोसिएशन में महिला वकीलों के लिए पद आरक्षित करने का उसका आदेश राजधानी में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) बार एसोसिएशन पर भी यथावश्यक परिवर्तनों के साथ लागू होगा। इसके अलावा, यह माना गया कि NGT बार एसोसिएशन के वकील-सदस्य के लिए वोट डालने के लिए दिल्ली बार काउंसिल के साथ रजिस्ट्रेशन अनिवार्य नहीं है, क्योंकि कई राज्यों के वकील NGT के समक्ष उपस्थित होते हैं और बहस करते हैं।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की खंडपीठ ने आदेश पारित करते हुए कहा,
"यह निर्देश दिया जाता है कि दिल्ली हाईकोर्ट/जिला बार संघों में कोषाध्यक्ष और कार्यकारी समिति के कुछ सदस्यों के पद महिला उम्मीदवारों के लिए निर्धारित करने के संबंध में अंतरिम निर्देश यथावश्यक परिवर्तनों के साथ NGT बार संघ पर भी लागू होंगे। अपेक्षित प्रक्रिया का पालन किया जाना चाहिए और NGT बार संघ के चुनाव में भी महिला उम्मीदवारों के लिए आरक्षण प्रदान किया जाना चाहिए।"
NGT बार संघ के चुनाव में मतदान करने के लिए दिल्ली बार परिषद के साथ रजिस्ट्रेशन की आवश्यकता के मुद्दे पर न्यायालय ने कहा,
"NGT बार संघ के मामले में अकेले दिल्ली बार परिषद के साथ नामांकन की आवश्यकता की शर्त लागू नहीं होगी, क्योंकि उक्त बार संघ में देश भर के विभिन्न बार परिषदों के साथ रजिस्टर्ड वकील शामिल हैं।"
न्यायालय डी.के. शर्मा मामले में दायर दो अंतरिम आवेदनों पर विचार कर रहा था, जिसमें दिल्ली हाईकोर्ट के उस निर्देश को चुनौती दी गई कि राष्ट्रीय राजधानी में सभी बार संघों की कार्यकारी समिति के चुनाव एक ही दिन एक समान दो वर्ष की अवधि के लिए एक साथ आयोजित किए जाएं।
आवेदकों में से एक (यू.पी. बार काउंसिल में रजिस्टर्ड और NGT बार एसोसिएशन चुनावों में मतदान का मुद्दा उठाने वाले) की ओर से पेश सीनियर वकील ने कहा कि दिल्ली में NGT की मुख्य पीठ 5 राज्यों - हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के लिए है। फिर भी अधिकारी NGT बार एसोसिएशन चुनावों में मतदान करने में सक्षम होने के लिए वकील के लिए दिल्ली बार काउंसिल के साथ अनिवार्य पंजीकरण की मांग कर रहे हैं।
सीनियर एडवोकेट ए.डी.एन. राव ने प्रस्तुतियों का जवाब देते हुए कहा कि आवेदक ने अपेक्षित घोषणा पत्र दाखिल नहीं किया। उन्होंने बताया कि यू.पी. बार काउंसिल में रजिस्टर्ड अन्य वकील, जिन्होंने अपना घोषणा पत्र दिया, उन्हें मंजूरी दे दी गई।
"जिस मामले की निगरानी दिल्ली हाईकोर्ट कर रहा है। उसने एक घोषणा पत्र जारी किया। सिद्धांत है एक बार, एक वोट। याचिकाकर्ता एनजीटी बार में प्रैक्टिस कर रहा है। हमें इस बात से कोई सरोकार नहीं है कि वह कहां नामांकित है, क्योंकि NGT में हर कोई प्रैक्टिस करता है। जिन लोगों ने कहीं और नामांकन कराया और NGT में प्रैक्टिस कर रहे हैं, उन्होंने अपने फॉर्म दिए और उन्हें मंजूरी मिल गई। मेरे दोस्त ने घोषणा पत्र नहीं दिया!"
इस बिंदु पर आवेदक की ओर से यह दावा किया गया कि घोषणा पत्र दाखिल नहीं किया गया, क्योंकि इसमें दिल्ली बार काउंसिल के नामांकन नंबर (जो आवेदक के पास नहीं है) का उल्लेख करने की आवश्यकता है।
जस्टिस कांत ने राव से पूछा,
"आप दिल्ली में नामांकन के लिए कैसे जोर दे सकते हैं?"
जब राव ने बचाव किया कि आवेदक प्रासंगिक तिथि बीत जाने के बाद शिकायत दर्ज कर रहा है तो न्यायालय ने अपना आदेश पारित कर दिया।
केस टाइटल: डी.के. शर्मा और अन्य बनाम दिल्ली बार काउंसिल और अन्य, सी.ए. नंबर 10496-10497/2024