सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व मंत्री नवाब मलिक की अंतरिम जमानत छह महीने तक बढ़ाई

Shahadat

11 Jan 2024 6:41 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व मंत्री नवाब मलिक की अंतरिम जमानत छह महीने तक बढ़ाई

    सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (11 जनवरी) को महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री नवाब मलिक को पिछले साल दी गई अंतरिम जमानत छह महीने के लिए बढ़ा दी। मलिक को 23 फरवरी, 2022 को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया था, लेकिन पिछले साल अगस्त में अंतरिम जमानत पर रिहा कर दिया गया।

    जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस पंकज मित्तल की खंडपीठ बॉम्बे हाईकोर्ट के जुलाई, 2023 के आदेश के खिलाफ मलिक द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें मेडिकल आधार पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) विधायक के अंतरिम जमानत का अनुरोध खारिज कर दिया।

    सीनियर NCP नेता को शुरू में पिछले साल अगस्त में दो महीने के लिए मेडिकल आधार पर अंतरिम जमानत दी गई। बाद में अक्टूबर में इसे तीन महीने के लिए बढ़ा दिया गया, जब अदालत को सूचित किया गया कि पिछले आदेश के बाद से पूर्व मंत्री के स्वास्थ्य में सुधार नहीं हुआ। उनका मुंबई के प्राइवेट हॉस्पिटल में किडनी से संबंधित और अन्य बीमारियों का इलाज चल रहा है। ED ने किसी भी अवसर पर अदालत द्वारा मलिक को राहत देने पर आपत्ति नहीं जताई।

    सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने अंतरिम राहत को और बढ़ाने की अर्जी पर विचार किया।

    केंद्रीय एजेंसी की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर-जनरल एसवी राजू ने अदालत से कहा,

    "इस अनुरोध पर विचार किया जा सकता है और मेडिकल आधार पर विस्तार दिया जा सकता है।"

    अंतरिम जमानत को छह महीने तक बढ़ाने के मलिक का अनुरोध स्वीकार करते हुए खंडपीठ ने कहा,

    "...एडिशनल सॉलिसिटर-जनरल को कोई आपत्ति नहीं है। अंतरिम प्रार्थना स्वीकार की जाती है और आवेदन की अनुमति दी जाती है। अंतरिम जमानत को आगे की अवधि के लिए बढ़ा दिया गया है। प्रार्थना के अनुसार छह महीने। छह महीने के बाद मुख्य मामले की सूची बनाएं।''

    मामले की पृष्ठभूमि

    प्रवर्तन निदेशालय ने भगोड़े अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम और उसके सहयोगियों से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पिछले साल 23 फरवरी को नवाब मलिक को गिरफ्तार किया था। जांच एजेंसी के अनुसार, मलिक ने डी-गैंग के सदस्य और इब्राहिम की बहन, हसीना पार्कर और दो अन्य लोगों के साथ मिलकर 1999 और 2006 के बीच मुंबई के कुर्ला में संपत्ति हड़प ली।

    एजेंसी ने आरोप लगाया कि चूंकि पार्कर ने कुख्यात गैंगस्टर और वैश्विक आतंकवादी के अवैध कारोबार को संभाला, मलिक ने कथित तौर पर उसे जो पैसा दिया, उसका इस्तेमाल अंततः आतंकी फंडिंग के लिए किया गया, पूर्व विधायक पर मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम के तहत आरोप लगाए गए।

    पिछले साल नवंबर में विशेष अदालत द्वारा उन्हें जमानत देने से इनकार करने के बाद मलिक ने बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हालांकि, अपने बिगड़ते स्वास्थ्य के कारण मलिक को निरंतर मेडिकल निगरानी सुनिश्चित करने के लिए प्राइवेट हॉस्पिटल में हिरासत में रखा गया। सुनवाई के दौरान बॉम्बे हाईकोर्ट ने आश्चर्य जताया कि धन शोधन निवारण अधिनियम की धारा 45 की कठोरता के बावजूद जमानत कैसे दी जा सकती है।

    जस्टिस अनुजा प्रभुदेसाई की एकल-न्यायाधीश पीठ ने 13 जुलाई को मलिक को अस्थायी जमानत देने से इनकार कर दिया, जबकि मामले को योग्यता के आधार पर सुनवाई के लिए दो सप्ताह के बाद सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया।

    हाईकोर्ट के इस आदेश से दुखी होकर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।

    केस टाइटल- मोहम्मद नवाब मलिक बनाम महाराष्ट्र राज्य | आपराधिक अपील नंबर 2415/2023

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