सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार की CBI का आय से अधिक संपत्ति मामला खारिज करने की याचिका खारिज की

Shahadat

15 July 2024 8:32 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार की CBI का आय से अधिक संपत्ति मामला खारिज करने की याचिका खारिज की

    सुप्रीम कोर्ट ने आज (15 जुलाई) कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार की याचिका खारिज की। उक्त याचिका में उन्होंने हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी, जिसके तहत भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (PC Act) के तहत उनके खिलाफ केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) के आय से अधिक संपत्ति (डीए) मामला खारिज करने की उनकी याचिका खारिज कर दी गई थी।

    जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई की।

    शिवकुमार की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने कहा कि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 17ए के तहत मंजूरी प्राप्त किए बिना जांच शुरू कर दी गई। उन्होंने आगे तर्क दिया कि यह मुद्दा कि क्या धारा 17ए 2018 के संशोधन (जिसमें धारा 17ए डाली गई) से पहले कथित रूप से किए गए अपराधों पर लागू होती है, उसको बड़ी पीठ [संदर्भ चंद्रबाबू नायडू मामला] को भेजा जाता है।

    हालांकि, जस्टिस त्रिवेदी ने जवाब दिया कि कार्यवाही को विभाजित फैसले के आधार पर रद्द नहीं किया जा सकता। रोहतगी ने कहा कि वह केवल याचिका पर नोटिस जारी करने का अनुरोध कर रहे थे।

    हालांकि, खंडपीठ ने अनिच्छा व्यक्त की।

    जस्टिस त्रिवेदी ने आरोप पर गौर किया कि शिवकुमार से 41 लाख रुपये बरामद किए गए। रोहतगी ने स्पष्ट किया कि यह आयकर अधिनियम के तहत कार्यवाही में आरोप था। उन्होंने तर्क दिया कि इसी मुद्दे पर CBI की एफआईआर नहीं हो सकती।

    असहमति जताते हुए जस्टिस त्रिवेदी ने कहा कि मामला भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत अलग अपराध से संबंधित है। न्यायाधीश ने कहा कि आयकर अधिकारी PC Act के तहत मुकदमा नहीं चला सकते।

    खंडपीठ ने CBI को दी गई मंजूरी पर रोक लगाने के हाईकोर्ट के आदेश पर भी अपनी असहमति व्यक्त की।

    जस्टिस त्रिवेदी ने कहा,

    "हाईकोर्ट मंजूरी पर रोक कैसे लगा सकता है? यह अनसुना है।"

    इस पहलू पर शिवकुमार के वकीलों ने बताया कि कर्नाटक सरकार ने CBI को दी गई सहमति वापस ले ली है।

    संक्षेप में आयकर विभाग ने अगस्त 2017 में नई दिल्ली और अन्य स्थानों पर शिवकुमार के विभिन्न परिसरों पर छापेमारी की। इसने कुल 8,59,69,100 रुपये एकत्र किए, जिनमें से 41 लाख रुपये कथित तौर पर शिवकुमार के परिसर से बरामद किए गए।

    इसके बाद आयकर अधिनियम, 1961 के प्रावधानों के तहत आर्थिक अपराधों के लिए विशेष न्यायालय के समक्ष शिवकुमार के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। आयकर मामले के आधार पर ED ने भी मामला दर्ज किया और शिवकुमार को 3 सितंबर, 2019 को गिरफ्तार किया गया।

    09.09.2019 को ED ने PMLA की धारा 66 (2) के तहत कर्नाटक सरकार को एक पत्र जारी किया। उसी के बाद शिवकुमार के खिलाफ मंजूरी दी गई और मामले को जांच के लिए CBI को भेज दिया गया। शिवकुमार ने अपने खिलाफ मंजूरी और कार्यवाही को चुनौती देते हुए कर्नाटक हाईकोर्ट का रुख किया।

    अप्रैल में एकल न्यायाधीश की पीठ ने उनकी याचिका खारिज कर दी, लेकिन सुनवाई के दौरान, कई मौकों पर CBI जांच पर रोक लगाकर कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रमुख को अस्थायी राहत दी।

    एकल न्यायाधीश की बर्खास्तगी के कारण शिवकुमार ने खंडपीठ के समक्ष अपील दायर की। अंतरिम आदेशों को CBI ने विशेष अनुमति याचिका के माध्यम से चुनौती दी, लेकिन जुलाई में सुप्रीम कोर्ट ने एजेंसी की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जो 'पूरी तरह से अंतरिम' आदेशों से उत्पन्न हुई।

    इसके बाद अक्टूबर में सुप्रीम कोर्ट ने CBI की याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें कर्नाटक हाईकोर्ट के जून 2023 के आदेश को चुनौती दी गई, जिसमें आय से अधिक संपत्ति के मामले में शिवकुमार के खिलाफ जांच पर रोक लगा दी गई थी।

    इस याचिका को अंततः 10 नवंबर को खारिज कर दिया गया। हालांकि, हाईकोर्ट से अनुरोध किया गया कि वह CBI द्वारा दिए गए स्थगन को हटाने के लिए दायर आवेदन और उसके समक्ष लंबित अपील पर अधिमानतः 2 सप्ताह के भीतर विचार करे।

    इसके बाद कर्नाटक सरकार ने CBI को दी गई सहमति वापस ले ली और हाईकोर्ट ने शिवकुमार को उनके खिलाफ मुकदमा चलाने की सहमति को चुनौती देने वाली अपनी याचिका वापस लेने की अनुमति दी।

    केस टाइटल: डी. के. शिवकुमार बनाम केंद्रीय जांच ब्यूरो, डायरी नंबर- 47121/2023

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