सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री के भतीजे को जमानत देने के हाईकोर्ट के आदेश को दी गई ED की चुनौती खारिज की

Shahadat

8 Feb 2024 11:32 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री के भतीजे को जमानत देने के हाईकोर्ट के आदेश को दी गई ED की चुनौती खारिज की

    सुप्रीम कोर्ट ने (05 फरवरी को) पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के भतीजे भूपिंदर सिंह को जमानत देने की अनुमति देने वाले पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के आदेश की पुष्टि की। सिंह ने कथित अवैध रेत खनन मामले से उत्पन्न धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत मामले में हाईकोर्ट के समक्ष जमानत याचिका दायर की थी।

    जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की खंडपीठ ने इसके बावजूद, प्रवर्तन निदेशालय (ED) के जवाब के बिना पारित आदेश पर कुछ आपत्तियां भी व्यक्त कीं।

    खंडपीठ ने कहा,

    “हालांकि हमें विवादित आदेश पर कुछ आपत्तियां हैं, क्योंकि ऐसा प्रतीत होता है कि यह आदेश याचिकाकर्ता-प्रवर्तन निदेशालय को जवाब दाखिल करने का अवसर दिए बिना पारित किया गया है। फिर भी हम विवादित आदेश में हस्तक्षेप करने के इच्छुक नहीं हैं। इसलिए विशेष अनुमति याचिकाएं खारिज की जाती हैं।”

    सुप्रीम कोर्ट ने साथ ही स्पष्ट किया कि ED को कोई भी आपराधिक अपराध दर्ज होने की स्थिति में कदम उठाने की अनुमति दी जाएगी।

    कोर्ट ने कहा,

    "हालांकि, हम स्पष्ट करते हैं कि यदि किसी भी आपराधिक अपराध को रजिस्टर्ड किया जाता है तो यह याचिकाकर्ता- प्रवर्तन निदेशालय के लिए कदम उठाने और कानून के अनुसार आगे बढ़ने के लिए खुला होगा।"

    यह मामला मूल रूप से 2018 में राहोन में दर्ज की गई 2018 एफआईआर से उपजा है, जिसमें हनी के बिजनेस पार्टनर कुदरतदीप के नाम का उल्लेख किया गया। हालांकि, बाद में उसका नाम हटा दिया गया और पुलिस चालान कॉपी में दिखाई नहीं दिया।

    ED के मामले के अनुसार, कुदरतदीप सिंह अवैध रूप से रेत खनन करता था और भूपिंदर सिंह उक्त रेत खदान के दैनिक मामलों का प्रबंधन करता था। उत्तरार्द्ध सभी भुगतान नकद के माध्यम से प्राप्त करता था।

    यह भी आरोप लगाया गया कि रेत खदान से एकत्र किया गया सारा पैसा अवैध था, क्योंकि निर्धारित सीमा से अधिक खनन किया गया। निर्धारित सीमा को दरकिनार करने के लिए जाली वजन पर्ची बनाई गई।

    हालांकि, हाईकोर्ट के समक्ष भूपिंदर सिंह ने तर्क दिया कि ED की शिकायत अवैध और कानून का दुरुपयोग है। यह प्रस्तुत किया गया कि ऐसा कोई अपराध नहीं था, जिसके लिए वर्तमान प्रतिवादी और कुदरतदीप सिंह आरोपी हैं।

    अदालत ने माना कि याचिकाकर्ता अधिनियम की धारा 45 के तहत ट्रिपल टेस्ट के लिए योग्य है, जो जमानत देने के लिए शर्तें तय करता है। यह तर्क देते हुए न्यायालय ने अन्य बातों के साथ-साथ यह भी कहा कि वर्तमान प्रतिवादी के खिलाफ कोई सीधा आरोप नहीं है कि वह कुदरतदीप सिंह के वित्त को देख रहा था। इसके अलावा, न्यायालय ने दर्ज किया कि उसके आचरण के प्रतिकूल मानने के लिए उसके पास कुछ भी नहीं है।

    इसके अलावा, यह भी बताया गया कि हालांकि एफआईआर 2018 में दर्ज की गई, लेकिन ED द्वारा शिकायत चार साल बाद दर्ज की गई।

    हाईकोर्ट ने जमानत देते हुए अपने आदेश में दर्ज किया,

    "यह कानून के अच्छी तरह से स्थापित सिद्धांतों है कि जब जांच पूरी हो जाती है और अदालत में आरोप पत्र दायर किया जाता है तो मुकदमे के निष्कर्ष में लंबा समय लगने की संभावना होती है। वर्तमान याचिकाकर्ता की तरह व्यक्ति/आरोपी, जिसकी उम्र लगभग 36 वर्ष है , जमानत पर रिहा किया जा सकता है।”

    केस टाइटल: प्रवर्तन निदेशालय बनाम भूपिंदर सिंह @ हनी। डायरी नंबर- 33730 - 2022

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