सुप्रीम कोर्ट ने एमपी सिविल जज परीक्षा के लिए 70% LL.B अंकों की आवश्यकता को चुनौती देने वाली याचिका खारिज की

Shahadat

26 July 2024 9:57 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट ने एमपी सिविल जज परीक्षा के लिए 70% LL.B अंकों की आवश्यकता को चुनौती देने वाली याचिका खारिज की

    सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश न्यायिक सेवाओं में एडमिशन स्तर के पदों के लिए LLB में 70% अंकों की पात्रता आवश्यकता को चुनौती देने वाली याचिका पर विचार करने से इनकार किया। कोर्ट ने कहा कि इस तरह के पात्रता नियम से यह सुनिश्चित होता है कि बेहतर लोग न्यायपालिका में शामिल हों।

    याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट संतोष पॉल ने लॉ कॉलेजों में व्यक्तिपरक अंकन की चिंता को उठाया, जिससे सरकारी कॉलेजों से संबंधित कुछ उम्मीदवारों के लिए पात्रता आवश्यकता को पूरा करना मुश्किल हो जाता है। याचिकाकर्ता ने राज्य में संस्थानों में अंकन मानकों में असमानता के आधार पर नियम को चुनौती दी। जबकि कुछ प्राइवेट कॉलेज उदारतापूर्वक अंकन करते थे, राज्य के कॉलेजों में सख्त अंकन प्रणाली थी।

    उन्होंने कहा,

    "मुश्किल यह है कि कुछ संस्थान हैं, जहां अंकन उदार है, कुछ संस्थान हैं, जहां राज्य के भीतर अंकन उदार नहीं है। अब 70% कैसे उचित है?"

    तर्क की इस पंक्ति से असहमत प्रतीत होते हुए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) ने कहा कि महाराष्ट्र जैसे अन्य राज्य न्यायिक सेवा नियमों में भी ऐसी ही आवश्यकताएं हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे नियमों को बनाए रखने से यह सुनिश्चित होता है कि न्यायिक अधिकारियों की गुणवत्ता से समझौता नहीं किया जाता है।

    उन्होंने कहा,

    "आखिरकार इस (नियम) का उद्देश्य यह है कि बेहतर लोग न्यायपालिका में शामिल हों। अन्य राज्यों में भी ऐसी ही आवश्यकताएं हैं। गुणवत्ता में वास्तव में सुधार किया जाना चाहिए।"

    सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की अगुवाई वाली बेंच ने यह देखते हुए याचिका खारिज कर दी कि 70% अंकों की पात्रता नियम को चुनौती देने वाली याचिका को पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था।

    उल्लेखनीय है कि उक्त पात्रता नियम को चुनौती देने वाली याचिका को गरिमा खरे बनाम मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में न्यायालय के हाल के निर्णय द्वारा पहले ही सुलझा लिया गया। इसमें न्यायालय ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के उस आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार किया, जिसमें राज्य में प्रवेश स्तर की न्यायिक सेवा के उम्मीदवारों के लिए कम से कम तीन साल की प्रैक्टिस या लॉ ग्रेजुएट में 70 प्रतिशत अंकों की पात्रता निर्धारित करने वाला नियम बरकरार रखा गया।

    जस्टिस हृषिकेश रॉय और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की खंडपीठ ने कहा कि हाईकोर्ट के दृष्टिकोण में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं है। इस प्रकार, आरोपित आदेश के खिलाफ दायर विशेष अनुमति याचिका खारिज कर दी।

    वर्ष 2023 में मध्य प्रदेश न्यायिक सेवा (भर्ती और सेवा की शर्तें) नियम, 1994 के नियम 7 में संशोधन किया गया। इस संशोधन के माध्यम से सिविल जज, जूनियर डिवीजन (प्रवेश स्तर) के पद के लिए अतिरिक्त पात्रता योग्यता पेश की गई थी। संशोधन के अनुसार, वे सभी लोग जिन्होंने आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि को कम से कम तीन साल तक लगातार वकील के रूप में प्रैक्टिस की हो, वे आवेदन करने के पात्र हैं। इसके अलावा, वैकल्पिक रूप से शानदार शैक्षणिक कैरियर वाला उत्कृष्ट लॉ ग्रेजुएट, जिसने कुल मिलाकर कम से कम 70% अंक प्राप्त करके पहले प्रयास में सभी परीक्षाएं उत्तीर्ण की हों, आवेदन करने के पात्र हैं।

    केस टाइटल: वर्षा पटेल बनाम मध्य प्रदेश राज्य और अन्य एसएलपी (सी) संख्या 14322/2024

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