कर्मचारियों से परामर्श न लेने मात्र से बायोमेट्रिक उपस्थिति प्रणाली अवैध नहीं: सुप्रीम कोर्ट
Praveen Mishra
4 Nov 2025 2:51 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा ओडिशा के महालेखाकार (लेखांकन एवं व्यय) कार्यालय में बायोमेट्रिक उपस्थिति प्रणाली (Biometric Attendance System - BAS) लागू करने के फैसले को सही ठहराया है। कोर्ट ने कर्मचारियों की इस दलील को खारिज कर दिया कि इस प्रणाली को लागू करने से पहले उनसे परामर्श नहीं किया गया था।
जस्टिस पंकज मित्तल और जस्टिस प्रसन्ना बी. वराले की खंडपीठ ने ओडिशा हाईकोर्ट के उस फैसले को रद्द कर दिया, जिसमें बायोमेट्रिक उपस्थिति प्रणाली की शुरुआत को अवैध ठहराया गया था।
कोर्ट ने कहा कि,“मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए, जब बायोमेट्रिक उपस्थिति प्रणाली का उद्देश्य सभी हितधारकों के लाभ के लिए है, तो केवल इस आधार पर कि कर्मचारियों से लागू करने से पहले परामर्श नहीं किया गया, इस प्रणाली की शुरुआत को अवैध नहीं ठहराया जा सकता।”
यह विवाद तब शुरू हुआ जब विभाग ने 1 जुलाई, 22 अक्टूबर और 6 नवंबर 2013 को परिपत्र जारी कर कर्मचारियों के लिए बायोमेट्रिक उपस्थिति लागू की। कर्मचारियों ने इन परिपत्रों को केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (CAT) में चुनौती दी, यह कहते हुए कि यह निर्णय उनकी सहमति के बिना लिया गया और यह स्वामीज़ कम्प्लीट मैनुअल ऑन एस्टैब्लिशमेंट एंड एडमिनिस्ट्रेशन फॉर सेंट्रल गवर्नमेंट ऑफिसेज़ में उल्लिखित मानदंडों का उल्लंघन है। सीएटी ने उनकी याचिका खारिज कर दी, लेकिन 2014 में हाईकोर्ट ने यह कहते हुए इसे स्वीकार कर लिया कि पहले कर्मचारियों से परामर्श नहीं किया गया था।
सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने तर्क दिया कि स्वामीज़ कम्प्लीट मैनुअल ऑन एस्टैब्लिशमेंट एंड एडमिनिस्ट्रेशन फॉर सेंट्रल गवर्नमेंट ऑफिसेज़ में ऐसा कोई नियम नहीं है, जिसे महालेखाकार (लेखांकन एवं व्यय) के कार्यालय द्वारा बनाया गया या लागू किया गया हो। इसलिए, बायोमेट्रिक उपस्थिति प्रणाली की शुरुआत को किसी भी विभागीय नियम का उल्लंघन नहीं कहा जा सकता।
सुप्रीम कोर्ट के समक्ष कर्मचारियों ने भी बायोमेट्रिक प्रणाली का समर्थन करते हुए कहा कि यह उनके हित में है। कोर्ट ने कहा, “जब कर्मचारियों को बायोमेट्रिक उपस्थिति प्रणाली की शुरुआत पर कोई आपत्ति नहीं है, तो हमारे विचार में इस विषय में अब कोई विवाद शेष नहीं रहता और विभाग इस प्रणाली को लागू करने के लिए आगे बढ़ सकता है।”
इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की अपील स्वीकार कर ली।

