सुप्रीम कोर्ट ने अदालत की अवमानना के आरोप में जेल में बंद वकील से जजों के सामने माफी मांगने को कहा

Shahadat

13 Jan 2024 6:03 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट ने अदालत की अवमानना के आरोप में जेल में बंद वकील से जजों के सामने माफी मांगने को कहा

    सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (12 जनवरी) को वकील से उन जजों के सामने बिना शर्त माफी मांगने को कहा, जिनके खिलाफ उसने आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। उक्त वकील को अदालत की अवमानना के लिए दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा छह महीने कारावास की सजा सुनाई गई है।

    चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने सीनियर एडवोकेट विभा दत्ता मखीजिया द्वारा तत्काल उल्लेख किए जाने के बाद मामले की सुनवाई की, जिन्होंने कहा कि वकील को जेल की सजा सुनाई गई।

    दिल्ली हाईकोर्ट की खंडपीठ ने 9 जनवरी के आदेश में याचिकाकर्ता-वकील को आपराधिक अवमानना का दोषी ठहराया और उसे 6 महीने की सजा और 2000 रुपये का जुर्माना लगाया। साथ ही डिफ़ॉल्ट पर 7 दिन की कैद भुगतने का आदेश दिया।

    यह मुद्दा तब उठा जब याचिकाकर्ता 60 वर्षीय वकील ने आपराधिक मामले में दोषसिद्धि के खिलाफ दायर अपील में ट्रायल जज के खिलाफ तीखी टिप्पणी की। हालांकि हाईकोर्ट ने उन्हें चेतावनी दी, लेकिन उन्होंने कहा कि वह अपनी टिप्पणी पर कायम हैं।

    मखीजिया ने कहा,

    "उन्होंने जज का नाम इस्तेमाल करने की गलती की..."।

    उन्होंने बताया कि वकील द्वारा सबसे खराब बात यह कही गई कि ट्रायल कोर्ट के जज का नाम लिया जा रहा है और कहा जा रहा है कि मुकदमा प्रक्रिया के अनुसार नहीं चल रहा है, जो सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के खिलाफ है।

    सीजेआई ने आक्षेपित फैसले का हवाला देते हुए मौखिक रूप से कहा कि हाईकोर्ट के पास कोई विकल्प नहीं था।

    हालांकि उन्हें माफी मांगने का मौका दिया गया था।

    सीजेआई ने कहा,

    "अवमाननाकर्ता ने जो भी बयान दिया है, उस पर कायम रहा..."।

    इस बात पर प्रकाश डालते हुए कि वकील अब क्षमाप्रार्थी है, मखीजिया ने कम सजा की मांग की। उन्होंने बताया कि ऐसे मामलों में भी जहां अधिक गंभीर आरोप लगाए गए हैं, सुप्रीम कोर्ट ने अवमाननाकर्ताओं को 1 रुपये का जुर्माना या एक दिन की कैद की सजा देकर छोड़ दिया।

    मखीजिया ने विनती करते हुए कहा,

    "वह अब पश्चाताप से भर गए हैं, उन्होंने निश्चित रूप से अपना सबक सीख लिया है।"

    उक्त दलीलों के आलोक में पीठ ने अवमाननाकर्ता को हाईकोर्ट और जिला न्यायपालिका के उन जजों के समक्ष व्यक्तिगत रूप से बिना शर्त माफी मांगने का निर्देश दिया, जिनके खिलाफ उसने ऐसे आरोप लगाए थे।

    आदेश के अनुसार, पीठ ने कहा:

    “हम निर्देश देते हैं कि याचिकाकर्ता को हाईकोर्ट और ट्रायल कोर्ट के उन जजों के समक्ष बिना शर्त माफी मांगनी चाहिए, जिनके समक्ष उसने आरोप लगाए। याचिकाकर्ता को मंगलवार 16.1.24 को दोपहर 2 बजे तक कार्य पूरा करना है। मंगलवार अपराह्न 3 बजे पुनः सूचीबद्ध करें। पुलिस अधिकारी याचिकाकर्ता को प्रत्येक जज के समक्ष व्यक्तिगत रूप से पेश करने की व्यवस्था करेंगे, जिनके समक्ष माफी मांगी जानी है।

    सीनियर वकील ने अंतरिम जमानत के लिए भी दबाव डाला।

    हालांकि, सीजेआई ने कहा,

    "पहले उन्हें पुलिस के साथ जाने दें। हम इसे मंगलवार को सूचीबद्ध करेंगे।"

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