Bilkis Bano Case: सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों के आत्मसमर्पण के लिए समय बढ़ाने के आवेदन को सूचीबद्ध करने के लिए सीजेआई से निर्देश मांगा

Shahadat

18 Jan 2024 5:39 AM GMT

  • Bilkis Bano Case: सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों के आत्मसमर्पण के लिए समय बढ़ाने के आवेदन को सूचीबद्ध करने के लिए सीजेआई से निर्देश मांगा

    सुप्रीम कोर्ट गुरुवार (18 जनवरी) को बिलकिस बानो मामले में जेल अधिकारियों के समक्ष आत्मसमर्पण करने के लिए समय बढ़ाने की मांग करने वाले तीन दोषियों द्वारा दायर आवेदनों पर सुनवाई करने के लिए सहमत हो गया।

    जस्टिस बीवी नागरत्ना की अगुवाई वाली खंडपीठ के समक्ष तीनों दोषियों की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट वी चितांबरेश ने मामले का उल्लेख करते हुए तत्काल सुनवाई की मांग की, क्योंकि आत्मसमर्पण करने का समय रविवार, 21 जनवरी को समाप्त हो रहा है।

    जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि बिलकिस बानो मामले में फैसला सुनाने वाली खंडपीठ, जिसमें वह और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां शामिल हैं, उसको आवेदनों पर सुनवाई के लिए गठित किया जाना है। तदनुसार, खंडपीठ के गठन और आवेदनों को सूचीबद्ध करने के लिए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) से आदेश लेने के लिए रजिस्ट्री को निर्देश जारी किया गया।

    खंडपीठ को एक अन्य वकील ने बताया कि दिन के दौरान अन्य दोषियों द्वारा भी आवेदन दायर किये जायेंगे।

    जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि यदि आवेदन क्रम में हैं तो उन्हें एक साथ सूचीबद्ध किया जाएगा।

    कोर्ट ने सुनाया फैसला,

    "तीन उत्तरदाताओं की ओर से यह उल्लेख किया गया कि आत्मसमर्पण करने के लिए समय बढ़ाने के लिए आवेदन दायर किए गए। चूंकि संबंधित खंडपीठ का पुनर्गठन किया जाना है, इसलिए रजिस्ट्री को खंडपीठ के पुनर्गठन और सूचीबद्ध करने के लिए सीजेआई से आदेश लेने होंगे। यह प्रस्तुत किया गया कि समय रविवार को समाप्त हो रहा है।"

    आवेदन गोविंदभाई नाई, मितेश चिमनलाल भट्ट और रमेश रूपाभाई चंदना द्वारा दायर किए गए, जो उन 11 दोषियों में से हैं, जिन्हें गुजरात में 2002 के सांप्रदायिक दंगों की पृष्ठभूमि में कई हत्याओं और सामूहिक बलात्कार के लिए आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी, लेकिन 14 साल की सजा काटने के बाद अगस्त 2022 में गुजरात सरकार द्वारा रिहा कर दिया गया।

    गोविंदभाई ने अपने स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों का हवाला देते हुए चार सप्ताह का अतिरिक्त समय मांगा। उन्होंने कहा कि वह अपने वृद्ध माता-पिता के एकमात्र देखभालकर्ता हैं। रमेश रूपाभाई चंदना ने अपने बेटे की शादी का कारण बताते हुए छह सप्ताह का समय मांगा। मितेश चिमनलाल भट्ट ने फसलों की आसन्न कटाई का कारण बताते हुए छह सप्ताह का समय मांगा।

    2002 के गुजरात दंगों के दौरान बिलकिस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार और उसके परिवार के कई सदस्यों की हत्या के लिए दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।

    सुप्रीम कोर्ट ने 8 जनवरी को गुजरात सरकार द्वारा पारित सजा माफी के आदेशों को रद्द कर दिया, जिसमें 14 साल की सजा काटने के बाद अगस्त 2022 में दोषियों की समयपूर्व रिहाई की अनुमति दी गई थी।

    जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस उज्जल भुइयां की खंडपीठ ने यह मानते हुए कि गुजरात राज्य के पास मामले में छूट देने का अधिकार क्षेत्र नहीं है, क्योंकि मुकदमा महाराष्ट्र राज्य में हुआ था, दोषियों को आत्मसमर्पण करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया गया।

    केस टाइटल- बिलकिस याकूब रसूल बनाम भारत संघ एवं अन्य। | रिट याचिका (आपराधिक) नंबर 491 2022

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