डिफेंस कॉलोनी में शेख अली गुमटी के संरक्षण पर ASI और केंद्र सरकार ने क्यों कदम पीछे खींच लिएः सुप्रीम कोर्ट ने CBI से पूछा

Shahadat

31 Aug 2024 6:56 AM GMT

  • डिफेंस कॉलोनी में शेख अली गुमटी के संरक्षण पर ASI और केंद्र सरकार ने क्यों कदम पीछे खींच लिएः सुप्रीम कोर्ट ने CBI से पूछा

    सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को निर्देश दिया कि वह भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) और केंद्र सरकार के उस फैसले की प्रारंभिक जांच शुरू करे, जिसमें डिफेंस कॉलोनी वेलफेयर एसोसिएशन (DCWA) की एकमात्र आपत्ति के आधार पर नई दिल्ली के डिफेंस कॉलोनी में शेख अली 'गुमटी' को संरक्षित न करने का फैसला लिया गया था।

    कोर्ट ने सवाल किया,

    "कैसे और किन परिस्थितियों में, जब केंद्र सरकार और ASI ने शुरू में सिफारिश की थी कि गुमटी को संरक्षित स्मारक घोषित किया जाए, केवल DCWA द्वारा किए गए परिवर्तनों/परिवर्धन और उसके द्वारा प्रस्तुत एकमात्र आपत्ति के आधार पर ASI और केंद्र सरकार दोनों ने अपना रुख बदल दिया?"

    जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और जस्टिस उज्जल भुयान की खंडपीठ ने गुमटी को राष्ट्रीय महत्व का स्मारक घोषित करने के मामले में ASI और केंद्र सरकार के रुख में आए बदलाव को देखते हुए उनकी ईमानदारी पर सवाल उठाए।

    शुरू में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने गुमटी को संरक्षित स्मारक घोषित करने की सिफारिश की थी, लेकिन बाद में DCWA द्वारा किए गए संशोधनों का हवाला देते हुए इस सिफारिश को वापस ले लिया गया, जो इस ढांचे का इस्तेमाल अपने कार्यालय के रूप में कर रहा है।

    न्यायालय ने टिप्पणी की,

    “हम घटनाक्रम से हैरान हैं। वर्ष 2004 में ढांचे को राष्ट्रीय महत्व का स्मारक घोषित करने की सिफारिश करने वाली सक्षम संस्था यानी ASI ने अधीक्षण पुरातत्वविद् की टिप्पणियों के आधार पर ऐसा करने का समर्थन किया, लेकिन बाद में ASI ने रिपोर्ट दी कि चूंकि DCWA ने ढांचे पर कब्जा करते समय इसमें बदलाव किए, इसलिए गुमटी अपनी मौलिकता खो चुकी थी। यह ASI और केंद्र सरकार की ईमानदारी पर संदेह पैदा करता है, जहां तक ​​मूल प्रस्ताव के उचित प्रसंस्करण का सवाल है।”

    न्यायालय राजीव सूरी नामक व्यक्ति द्वारा प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल एवं अवशेष अधिनियम, 1958 (AMASR Act) के तहत गुमटी के संरक्षण की मांग करने वाली याचिका पर विचार कर रहा था।

    16 अप्रैल, 2024 के अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी की दलील दर्ज की कि संरचना को कभी भी आधिकारिक तौर पर DCWA को आवंटित नहीं किया गया और संपत्ति को पुनः प्राप्त करने की संभावना पर विचार किया जा रहा था।

    सुप्रीम कोर्ट ने CBI को निम्नलिखित पहलुओं की जांच करने का निर्देश दिया:

    1. वे परिस्थितियां, जिनके तहत DCWA ने गुमटी पर कब्ज़ा कर लिया।

    2. DCWA द्वारा एकमात्र आपत्ति के आधार पर ASI और केंद्र सरकार के रुख में बदलाव के कारण स्मारक की सुरक्षा के लिए उनकी प्रारंभिक सिफारिश को देखते हुए।

    3. वह प्राधिकर,ण जिसके तहत गुमटी में परिवर्तन और परिवर्धन किए गए।

    4. गुमटी में संशोधन को रोकने में संबंधित अधिकारियों की विफलता।

    न्यायालय ने CBI को प्रतिवादी बनाया है तथा रजिस्ट्री को पार्टियों के ज्ञापन में तदनुसार संशोधन करने का आदेश दिया। CBI को प्रारंभिक जांच के दौरान याचिकाकर्ता के विचारों पर विचार करना होगा तथा दो महीने के भीतर जांच की प्रगति पर रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी।

    न्यायालय ने 12 मार्च, 2024 के अपने पिछले आदेश को भी दोहराया, जिसमें अगले आदेश तक गुमटी में किसी भी तरह के बदलाव पर रोक लगाई गई तथा चेतावनी दी गई कि किसी भी तरह के बदलाव के गंभीर परिणाम होंगे।

    न्यायालय ने कहा,

    "यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि यदि इस बीच संबंधित आधिकारिक प्रतिवादी ऐसा चाहते हैं तो वे कानून के अनुसार गुमटी की सुरक्षा के लिए कदम उठाने के लिए स्वतंत्र होंगे। हालांकि, 12.03.2024 के आदेश के अनुसार, अगले आदेश तक किसी भी व्यक्ति/निकाय द्वारा गुमटी में किसी भी तरह का कोई भी बदलाव नहीं किया जाएगा। इस संबंध में किसी भी तरह के बदलाव के गंभीर परिणाम होंगे।"

    सुप्रीम कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 12 नवंबर, 2024 को तय की।

    केस टाइटल- राजीव सूरी बनाम भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण एवं अन्य।

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