वैज्ञानिक मैपिंग तक अरावली में नई खनन लीज पर रोक: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को सस्टेनेबल माइनिंग प्लान बनाने का निर्देश दिया

Praveen Mishra

20 Nov 2025 9:18 PM IST

  • वैज्ञानिक मैपिंग तक अरावली में नई खनन लीज पर रोक: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को सस्टेनेबल माइनिंग प्लान बनाने का निर्देश दिया

    अरावली क्षेत्र में नई खनन गतिविधियों पर सुप्रीम कोर्ट की रोक; केंद्र को 'सस्टेनेबल माइनिंग मैनेजमेंट प्लान' तैयार करने का निर्देश

    सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (20 नवंबर) को केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि अरावली पर्वतमाला और क्षेत्र—जो दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और गुजरात में फैला है—में किसी भी नई खनन गतिविधि की अनुमति देने से पहले एक व्यापक मैनेजमेंट प्लान फॉर सस्टेनेबल माइनिंग (MPSM) तैयार किया जाए।

    चीफ़ जस्टिस बी.आर. गवई, जस्टिस के. विनोद चंद्रन और जस्टिस एन.वी. अंजारिया की खंडपीठ ने कहा कि विशेषज्ञ निकाय (जैसे ICFRE) द्वारा वैज्ञानिक मूल्यांकन के बिना नई खनन गतिविधियों को अनुमति देना पर्यावरण और पारिस्थितिकी के हित में नहीं होगा। Court ने कहा कि MPSM तैयार होने के बाद ही यह तय होगा कि किन क्षेत्रों में खनन संभव है और किन क्षेत्रों को संरक्षण की आवश्यकता है।

    यह निर्देश टी.एन. गोदावर्मन थिरुमुलपद बनाम भारत संघ (1995) के दशकों पुराने मामले की सुनवाई के दौरान दिया गया, जो राष्ट्रीय वन संरक्षण से जुड़ा है।

    अरावली की परिभाषा पर कोर्ट की मुहर

    कई राज्यों में अरावली की भिन्न-भिन्न परिभाषाओं के कारण अवैध खनन और नियामक भ्रम पैदा हो रहा था। इस समस्या को हल करने के लिए पहले गठित उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशें आज स्वीकार करते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने MoEFCC (पर्यावरण मंत्रालय) द्वारा दी गई कार्यपरक (operational) परिभाषा को मंजूरी दी।

    नई परिभाषा के अनुसार:

    • अरावली हिल्स: किसी भी ऐसे स्थलरूप (landform) को माना जाएगा जिसकी ऊँचाई स्थानीय सतह से कम से कम 100 मीटर हो, जिसमें उसकी ढलानें और जुड़ी हुई स्थलाकृतियाँ भी शामिल हों।

    • अरावली रेंज: जब ऐसे दो या अधिक पहाड़ियाँ 500 मीटर की दूरी में हों, तो वे 'रेंज' बनाती हैं।

    हालांकि अमिकस क्यूरी ने आशंका जताई कि 100 मीटर से कम ऊँचाई वाली पहाड़ियाँ छूट सकती हैं, लेकिन कोर्ट ने मंत्रालय के इस स्पष्टीकरण को स्वीकार किया कि यह परिभाषा क्षेत्र को और व्यापक रूप से कवर करती है और आगे आने वाला पारिस्थितिक अध्ययन इसे और सटीक करेगा।

    कोर्ट ने अरावली पारिस्थितिकी को “थार मरुस्थल के पूर्वी विस्तार को रोकने वाली प्रभावी ढाल (shield)” बताया।

    केंद्र को वैज्ञानिक 'सस्टेनेबल माइनिंग प्लान' तैयार करने का आदेश

    सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि MoEFCC, ICFRE की मदद से पूरे अरावली क्षेत्र के लिए MPSM तैयार करे, जिसमें:

    a) खनन योग्य क्षेत्रों, पर्यावरण-संवेदी क्षेत्रों और उन क्षेत्रों की पहचान हो जहाँ खनन पूरी तरह प्रतिबंधित होना चाहिए।

    b) पूरे क्षेत्र की पर्यावरणीय वहन क्षमता और संचयी प्रभावों का वैज्ञानिक विश्लेषण हो।

    c) खनन के बाद पुनर्वास और बहाली (restoration) की विस्तृत योजना शामिल हो।

    कोर्ट ने पूरे अरावली क्षेत्र में पूर्ण खनन प्रतिबंध की मांग ठुकरा दी और कहा कि इससे अवैध खनन को बढ़ावा मिल सकता है।

    कोर्ट ने निर्देश दिया:

    “जब तक MPSM तैयार नहीं हो जाता, तब तक कोई नई खनन लीज नहीं दी जाएगी।”

    साथ ही, जो खनन गतिविधियाँ पहले से चल रही हैं, वे समिति की सिफारिशों का कड़ाई से पालन करते हुए जारी रह सकती हैं।

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