सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को ग्रीन बेल्ट में कार पार्किंग की जगह के लिए हाईकोर्ट के आदेश पर अपनी आपत्तियों के साथ पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट जाने की अनुमति दी

Avanish Pathak

19 Feb 2025 10:00 AM

  • सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को ग्रीन बेल्ट में कार पार्किंग की जगह के लिए हाईकोर्ट के आदेश पर अपनी आपत्तियों के साथ पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट जाने की अनुमति दी

    सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को चंडीगढ़ प्रशासन के एक वरिष्ठ वास्तुकार और एक नगर पार्षद को पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में चार पहिया वाहन पार्किंग स्थल बनाने के लिए हाईकोर्ट द्वारा 7 फरवरी को पारित आदेश पर अपनी आपत्तियां उठाने की अनुमति दी।

    याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि इन निर्देशों में पेड़ों की कटाई शामिल होगी और इससे पर्यावरण को नुकसान होगा, जिससे हाईकोर्ट भवन की विरासत की स्थिति प्रभावित होगी।

    जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस संजय करोल की पीठ ने उनकी ओर से दायर विशेष अनुमति याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया और उन्हें इसके बजाय हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने की अनुमति दी।

    पीठ ने कहा कि उसने पहले पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के न्यायालय एक के बाहर बरामदा बनाने के लिए हाईकोर्ट के नवंबर 2024 के आदेश के खिलाफ चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा दायर याचिका पर विचार किया था।

    पीठ ने कहा कि उक्त याचिका पर विचार किया गया क्योंकि अधिकारी हाईकोर्ट से अवमानना ​​नोटिस का सामना कर रहे थे। हालांकि, वर्तमान याचिकाकर्ता हाईकोर्ट के समक्ष पक्ष नहीं थे और इसलिए उनके लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाना उचित होगा।

    जस्टिस नाथ ने कहा,

    "हमने याचिका पर विचार किया क्योंकि अवमानना ​​नोटिस जारी किए गए थे और अधिकारियों को हाईकोर्ट द्वारा तलब किया गया था...हम आपको अपनी किसी भी शिकायत के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने की स्वतंत्रता देंगे। जब तक आपकी बात वहां नहीं सुनी जाती और आपके कारण पर विचार नहीं किया जाता, हम इस याचिका पर विचार नहीं करेंगे।"

    सीनियर एडवोकेट मनोज स्वरूप ने याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व किया। याचिकाकर्ता त्रिलोचन सिंह आनंद और पल्लव कुमार मुखर्जी ने तर्क दिया कि हाईकोर्ट के निर्देशों के परिणामस्वरूप वन भूमि का रूपांतरण होगा जिससे चंडीगढ़ शहर की यूनेस्को विरासत की स्थिति प्रभावित होगी। उन्होंने बताया कि चंडीगढ़ की विरासत की स्थिति को सर्वोच्च न्यायालय ने रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन बनाम यूटी ऑफ चंडीगढ़ (2023) में मान्यता दी थी।

    याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि "पर्यावरणीय क्षरण की कीमत पर हाईकोर्ट परिसर के भीतर अतिरिक्त पार्किंग स्थान प्रदान करने के उद्देश्य से साइट के विकास के संबंध में हाईकोर्ट द्वारा जारी निर्देश, इस माननीय न्यायालय द्वारा निर्धारित कानून का उल्लंघन है।"

    हाईकोर्ट का निर्देश यू.टी. प्रशासन की आपत्ति के बावजूद पारित किया गया था कि कच्ची पार्किंग का उक्त क्षेत्र राजधानी परिसर के भीतर हरित पट्टी/वन के रूप में चिह्नित है।

    पिछले महीने, चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा भवन परिसर की यूनेस्को विरासत स्थिति के बारे में चिंता जताए जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने HC भवन में बरामदे के निर्माण के लिए हाईकोर्ट के निर्देशों पर रोक लगा दी थी। हाईकोर्ट की इमारत कैपिटल कॉम्प्लेक्स का एक हिस्सा है जिसे प्रसिद्ध फ्रांसीसी वास्तुकार ली कोर्बुसिएर ने डिजाइन किया था। 2016 में इसे विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था।

    हाईकोर्ट का यह आदेश पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के सचिव विनोद धत्तरवाल द्वारा न्यायालय के अवसंरचना विकास से संबंधित 2023 जनहित याचिका में पारित किया गया था।

    केस ‌डिटेल: त्रिलोचन सिंह आनंद एवं अन्य बनाम रजिस्ट्रार जनरल, पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट, चंडीगढ़ और अन्य | डायरी नंबर 8978-2025

    Next Story