सुप्रीम कोर्ट ने ED को तमिलनाडु के जिला कलेक्टरों को समन जारी करने की अनुमति दी, राज्य की रिट याचिका को प्रथम दृष्टया गलत बताया
Shahadat
27 Feb 2024 11:33 AM GMT
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (27 फरवरी) को कथित अवैध रेत खनन-मनी लॉन्ड्रिंग मामलों के संबंध में तमिलनाडु में जिला कलेक्टरों को जारी किए गए समन पर रोक लगाने वाले मद्रास हाईकोर्ट द्वारा जारी अंतरिम आदेश के संचालन और निष्पादन को निलंबित कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत केंद्रीय एजेंसी द्वारा जारी किए गए इन समन के संचालन पर रोक लगाने वाले हाईकोर्ट के 28 नवंबर के फैसले के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिका के जवाब में अंतरिम राहत दी।
जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस पंकज मित्तल की खंडपीठ ने जांच जारी रखने की अनुमति देते हुए जिला कलेक्टरों को अगली निर्दिष्ट तिथि पर ED द्वारा जारी समन का जवाब देने और उपस्थित होने का निर्देश दिया।
अपने आदेश में खंडपीठ ने कहा कि सम्मन के खिलाफ हाईकोर्ट के समक्ष तमिलनाडु राज्य की रिट याचिका प्रथम दृष्टया 'गलत समझी गई' और 'कानून की गलत धारणा' पर आधारित प्रतीत होती है।
खंडपीठ ने इस बात पर प्रकाश डाला कि संविधान का अनुच्छेद 256 राज्य सरकारों को संसद द्वारा बनाए गए कानूनों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए बाध्य करता है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि ED के पास मनी लॉन्ड्रिंग रोधी कानून के तहत जांच के दौरान व्यक्तियों को बुलाने की शक्ति है।
खंडपीठ ने अंतरिम आदेश में कहा,
"चूंकि प्रवर्तन निदेशालय चार एफआईआर के संबंध में पीएमएलए के तहत पूछताछ/जांच कर रहा है, यह अधिनियम के तहत एक जांच या कार्यवाही हो सकती है। इसलिए जिला कलेक्टर और जिन व्यक्तियों को समन जारी किया गया है, वे उक्त समन का सम्मान करने और जवाब देने के लिए बाध्य हैं।"
केस टाइटल- प्रवर्तन निदेशालय बनाम तमिलनाडु राज्य और अन्य। | विशेष अनुमति याचिका (आपराधिक) नंबर 1959-1963 2024