BREAKING| Delhi LG मानहानि मामले में मेधा पाटकर को राहत नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने दोषसिद्धि बरकरार रखी
Shahadat
11 Aug 2025 12:07 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (11 अगस्त) को नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता और एक्टिविस्ट मेधा पाटकर की दोषसिद्धि में हस्तक्षेप करने से इनकार किया। यह आपराधिक मानहानि का मामला दिल्ली के वर्तमान उपराज्यपाल (Delhi LG) और लेफ्टिनेंट जनरल विनय कुमार सक्सेना ने 2001 में उनके खिलाफ दर्ज कराया था।
जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की खंडपीठ ने हालांकि पाटकर पर लगाया गया एक लाख रुपये का जुर्माना रद्द कर दिया। निचली अदालत ने प्रोबेशन अवधि लागू करके उन्हें जेल की सजा से छूट दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने प्रोबेशन आदेश में संशोधन किया, जिसके तहत उन्हें समय-समय पर उपस्थित होना अनिवार्य था। इसके बजाय उन्हें मुचलके भरने की अनुमति दी।
पाटकर की ओर से सीनियर एडवोकेट संजय पारिख ने दलील दी कि अपीलीय अदालत ने दो प्रमुख गवाहों पर विश्वास नहीं किया। इसके अलावा, जिस ईमेल को महत्वपूर्ण साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किया गया, वह भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 65बी के अनुसार प्रमाणित नहीं था, जिससे वह अग्राह्य हो गया।
हालांकि, खंडपीठ ने दोषसिद्धि में हस्तक्षेप करने में अनिच्छा व्यक्त की, लेकिन दंड आदेश रद्द करने पर सहमति व्यक्त की। सक्सेना की ओर से सीनियर एडवोकेट मंनिंदर सिंह ने दलील दी कि पाटकर पर कम से कम प्रतीकात्मक जुर्माना लगाया जाना चाहिए।
29 जुलाई को दिल्ली हाईकोर्ट ने 2001 में विनय कुमार सक्सेना द्वारा दायर आपराधिक मानहानि मामले में नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर की दोषसिद्धि बरकरार रखी थी। सक्सेना उस समय अहमदाबाद स्थित गैर सरकारी संगठन नेशनल काउंसिल फॉर सिविल लिबर्टीज के प्रमुख थे।
Case Title – Medha Patkar v. VK Saxena

