उम्मीदवार की दोषसिद्धि को छिपाने से चुनाव रद्द, यह अप्रासंगिक है कि खुलासा न करने से परिणाम प्रभावित हुए या नहीं: सुप्रीम कोर्ट

Shahadat

7 Nov 2025 1:32 PM IST

  • उम्मीदवार की दोषसिद्धि को छिपाने से चुनाव रद्द, यह अप्रासंगिक है कि खुलासा न करने से परिणाम प्रभावित हुए या नहीं: सुप्रीम कोर्ट

    यह देखते हुए कि 'दोषसिद्धि का खुलासा न करना' महत्वपूर्ण जानकारी को छिपाना है, जो मतदाताओं के सूचित चुनाव करने के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करता है, सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (6 नवंबर) को एक पूर्व पार्षद की अयोग्यता बरकरार रखी, जिन्होंने चुनावी हलफनामे में अपने आपराधिक इतिहास का खुलासा नहीं किया था कि उन्हें चेक अनादर मामले में दोषी ठहराया गया और एक साल की कैद हुई।

    पूर्व पार्षद की अपील खारिज करते हुए जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस एएस चंदुरकर की खंडपीठ ने चुनावी पारदर्शिता के महत्व पर ज़ोर देते हुए कहा,

    "आपराधिक इतिहास से संबंधित जानकारी न देने से अनुचित प्रभाव पड़ता है, जो मतदाता द्वारा अपने स्वतंत्र चुनावी अधिकार के प्रयोग में बाधा उत्पन्न करता है।"

    कोर्ट ने आगे कहा कि चुनाव अवैध माना जाएगा, चाहे आपराधिक पृष्ठभूमि का खुलासा न करने से चुनाव पर भौतिक रूप से प्रभाव पड़ा हो या नहीं।

    कोर्ट ने आगे कहा,

    “एक बार यह पाया जाता है कि किसी उम्मीदवार ने अपनी पिछली दोषसिद्धि का खुलासा नहीं किया तो यह मतदाता के स्वतंत्र चुनावी अधिकार के प्रयोग में बाधा उत्पन्न करता है। इस प्रकार मतदाता सूचित और सलाह-मशविरा के आधार पर चुनाव करने से वंचित हो जाता है। यह ऐसे उम्मीदवार द्वारा जानकारी छिपाने/खुलासा न करने का मामला होगा, जिससे चुनाव अमान्य हो जाता है... ऐसे मामले में यह प्रश्न ही नहीं उठता कि चुनाव भौतिक रूप से प्रभावित हुआ या नहीं।”

    अदालत ने कहा,

    "इस प्रकार यह स्पष्ट है कि 1881 के अधिनियम की धारा 138 के तहत अपनी दोषसिद्धि का खुलासा न करके याचिकाकर्ता ने महत्वपूर्ण जानकारी छिपाई और इस प्रकार 1994 के नियमों के नियम 24-ए(1) की अनिवार्य आवश्यकताओं का पालन करने में विफल रही। इसलिए उसके नामांकन पत्र को स्वीकार करना अनुचित माना गया है। चूंकि वह निर्वाचित उम्मीदवार थी, इसलिए उसका चुनाव रद्द कर दिया गया। इस प्रकार यह स्पष्ट है कि उसके नामांकन पत्र को इस तरह गलत तरीके से स्वीकार करने के कारण चुनाव पर भौतिक रूप से प्रभाव पड़ा। याचिकाकर्ता का यह तर्क भी विफल है।"

    अपील खारिज कर दी गई।

    Cause Title: POONAM VERSUS DULE SINGH & ORS.

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