विशिष्ट निर्देश के बावजूद मामला सूचीबद्ध न होने पर रजिस्ट्री से कुछ स्पष्टीकरण अपेक्षित : सुप्रीम कोर्ट
Shahadat
28 Aug 2024 12:00 PM IST
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि न्यायालय द्वारा किसी विशेष तिथि पर सूचीबद्ध करने का स्पष्ट आदेश दिया गया मामला उस तिथि पर सूचीबद्ध नहीं होता है तो रजिस्ट्री को कारण बताना चाहिए।
जस्टिस अभय ओक और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की खंडपीठ ने यह बात तब कही, जब संपत्ति विवाद से संबंधित मामले में पक्षकार के वकील ने न्यायालय को सूचित किया कि विशेष रूप से आज यानी मंगलवार को सूचीबद्ध करने के लिए निर्देशित एसएलपी को सूचीबद्ध नहीं किया गया।
न्यायालय ने आदेश दिया,
“12 अगस्त, 2024 के विशिष्ट आदेश के बावजूद, रजिस्ट्री ने एसएलपी (सी) डायरी नंबर 25687/2024 को आज सूचीबद्ध नहीं किया। जब न्यायालय का विशिष्ट आदेश होता है कि किसी विशेष याचिका को सूचीबद्ध किया जाएगा तो हम रजिस्ट्री से कम से कम यही अपेक्षा करते हैं कि रिकॉर्ड पर कुछ स्पष्टीकरण रखा जाए कि इस न्यायालय के आदेश का अनुपालन क्यों नहीं किया गया। रजिस्ट्रार (न्यायिक लिस्टिंग) को इस चूक पर ध्यान देना चाहिए।”
न्यायालय निर्देश दिया कि मामले को 6 सितंबर, 2024 को सूचीबद्ध किया जाए।
इसी से जुड़े एक मामले में न्यायालय की अन्य पीठ ने पिछले सप्ताह रजिस्ट्री को चेतावनी दी कि यदि भविष्य में त्रुटियां पाई गईं तो इसके गंभीर परिणाम होंगे। उस मामले में जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की खंडपीठ ने पाया कि एसएलपी की पेपर बुक में पिछले साल अगस्त का पिछला आदेश नहीं था और उसमें आवश्यक कार्यालय रिपोर्ट का अभाव था।
सुप्रीम कोर्ट ने विभिन्न पिछले मामलों में न्यायिक आदेशों के बावजूद मामलों को सूचीबद्ध करने में रजिस्ट्री की विफलता पर नाराजगी व्यक्त की।
जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस संजय करोल की सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने 6 मई को उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना मामले को सूचीबद्ध करने के खिलाफ अपने रजिस्ट्रार (न्यायिक) से स्पष्टीकरण मांगा था।
इस साल जनवरी में जस्टिस ओक और जस्टिस उज्ज्वल भुयान की पीठ ने निराशा के साथ कहा कि सिविल अपील को शुक्रवार को सूचीबद्ध करने के बजाय, निर्देशानुसार गुरुवार को सूचीबद्ध किया जाना चाहिए था।
एक अन्य मामले में, जस्टिस ओक ने पिछले साल न्यायालय के आदेशों का पालन न करने के लिए न्यायालय के मास्टरों पर दोष मढ़ने के लिए रजिस्ट्री की खिंचाई की तथा इसे 'बहुत खेदजनक स्थिति' बताया था।