सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस ऋषिकेश रॉय को विदाई दी, उनकी करुणा की सराहना की; कहा- जस्टिस रॉय बुद्ध जैसे, कला और खेल प्रेमी, सदा-मुस्कुराते रहने वाले

Avanish Pathak

31 Jan 2025 7:52 AM

  • सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस ऋषिकेश रॉय को विदाई दी, उनकी करुणा की सराहना की; कहा- जस्टिस रॉय बुद्ध जैसे, कला और खेल प्रेमी, सदा-मुस्कुराते रहने वाले

    सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस ऋषिकेश रॉय आज सेवानिवृत्त हो रहे हैं। इस मौके पर आज शुक्रवार (31 जनवरी) सुप्रीम कोर्ट की पहली अदालत में भावपूर्ण विदाई समारोह आयोजित किया गया, जिसमें चीफ ज‌स्टिस ऑफ इंडिया संजीव खन्ना की अगुवाई में एक रसमी पीठ ने निवर्तमान जज ज‌स्टिस रॉय को सम्मानित किया।

    पीठ की एक रसमी कार्यवाही में बार मेंबर्स ने उल्लास भरी आवाज़ में जस्टिस रॉय को विदाई दी, जिससे पता चलता है कि सुप्रीम कोर्ट बार में उन्हें कितना प्यार और सम्मान दिया जाता था। वकीलों ने जस्टिस रॉय के दयालु दृष्टिकोण और न्याय के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता की सराहना की।

    अटॉर्नी जनरल ऑफ इंडिया आर वेंकटरमणी ने जस्टिस रॉय की सदा-उपस्थ‌ित मुस्कान की चर्चा की। उन्होंने कहा कि यह कि तीखी बहसों और तनावपूर्ण सुनवाई के बीच भी मौजूद रहती है। उन्होंने बताया कि जस्टिस रॉय का मानना ​​था कि "मुस्कान एक ऐसा वक्र है, जो कई चीजों को सरल कर सकता है।"

    जस्टिस रॉय की तारीफ में एजी ने कहा, "आपमें एक दुर्लभ आकर्षण हैं, जिसने बार को बहुत प्रोडक्टिव बना दिया।" सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया तुषार मेहता ने भी इस भावना को दोहराया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कैसे जस्टिस रॉय के हास्य ने कोर्ट रूम के तनाव को कम किया।

    सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल, जो सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष हैं, उन्होंने कानून के प्रति जस्टिस रॉय के मानवीय दृष्टिकोण की प्रशंसा की। सिब्बल ने असम बाढ़ के दौरान राहत की व्यवस्था करने के लिए जस्टिस रॉय द्वारा की गई पहलों का भी उल्लेख किया।

    सिब्बल ने कहा, "मुझे पता है कि आपने असम बाढ़ में लोगों की मदद की है, मुझे पता है कि आप बहरे और गूंगे लोगों से उनकी सांकेतिक भाषा में बात करते हैं, मुझे पता है कि आप पार्टियों में अकेले महसूस करने वाले जूनियर्स के पास जाते हैं।"

    उन्होंने कहा, "आपके पास एक पुराने जमाने का आकर्षण है, जिसकी कमी आने वाले वर्षों में कोर्ट में खलेगी और आपकी निर्भीकता कुछ ऐसी है जो बहुत कम जजों में होती है।"

    SCAORA के अध्यक्ष विपिन नायर, सीनियर एडवोकेट दुष्यंत दवे, मीनाक्षी लेखी, शादान फरासत, ASG ऐश्वर्या भाटी और एन वेंकटरमन आदि ने जस्टिस रॉय की विदाई के मौके पर अपनी बात रखी। ASG भाटी ने कहा कि जस्टिस रॉय का न्यायालय "बुद्ध जैसा, शांत और संयमित न्यायालय" था। फरासत ने कहा कि जस्टिस रॉय ने हास्य और अनुशासन के बीच बेहतरीन संतुलन बनाए रखा।

    CJI संजीव खन्ना ने जस्टिस रॉय की "असाधारण कानूनी सूझबूझ और अनुशासन" की प्रशंसा की, उन्हें कला, खेल और साहित्य के प्रति प्रेम रखने वाला एक बहुमुखी व्यक्तित्व बताया।

    जस्टिस संजय कुमार ने जस्टिस रॉय की खेल उपलब्धियों के बारे में जानकारी साझा की, दिल्ली पब्लिक स्कूल में हॉकी चैंपियन और फुटबॉलर के रूप में उनके दिनों को याद किया। उन्होंने एक शानदार मैच का जिक्र किया जिसमें DPS ने मॉडर्न स्कूल को हराया था, जो काफी हद तक जस्टिस रॉय के कौशल की वजह से था। जस्टिस कुमार ने यह भी कहा कि हाल के वर्षों में जस्टिस रॉय ने गोल्फ को पसंद करना शुरु किया है।

    जस्टिस रॉय के थिएटर और कला के प्रति जुनून की व्यापक रूप से चर्चा की गई। जस्टिस कुमार ने बताया कि वकील के तौर पर अपने कार्यकाल के दौरान जस्टिस रॉय ने नाटकों का निर्देशन किया। जस्टिस कुमार ने बताया कि न्यायाधीश के तौर पर जब भी वे नाटकों और कला कार्यक्रमों में जाते हैं, तो अपने विधिक क्लर्कों को भी साथ ले जाते हैं। इसके अलावा, उन्हें किताबों से प्यार था और वे अक्सर उन्हें दोस्तों को उपहार में देते थे।

    अपने सफ़र पर विचार करते हुए जस्टिस रॉय ने 1982 में सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष अपने पहली पेशी को याद किया, जो उन्होंने तत्कालीन चीफ जस्टिस वाईवी चंद्रचूड़ के समक्ष पास-ओवर के लिए अनुरोध करने के लिए की थी। जस्टिस रॉय ने याद करते हुए कहा, "मेरे लिए यह बहुत भयावह था कि मैं पास-ओवर कह रहा था, कोई आवाज़ नहीं आ रही थी, मेरे स्वर-तंत्र जम गए थे। वह मेरी पहली पेशी थी। मुझे यकीन है कि हम सभी ने इसी तरह से सीखा है।"

    उन्होंने कहा कि एक युवा वकील के तौर पर उन्हें बहुत खुशी होती थी जब उनका नाम अदालती कार्यवाही में आता था और यही वजह है कि एक न्यायाधीश के तौर पर वे सुनिश्चित करते हैं कि जूनियर वकीलों के नाम भी रिकॉर्ड में दर्ज हों।

    जस्टिस रॉय ने कहा, "मुझे उम्मीद है कि अपने 23 साल के करियर में मैंने न्याय किया है...आखिरकार जब मैं कोर्ट एक से बाहर निकल रहा हूं, तो मुझे उम्मीद है कि मेरे माता-पिता को लगेगा कि मैंने उनकी उम्मीदों को पूरा किया है।"

    जस्टिस हृषिकेश रॉय का जन्म एक फरवरी 1960 को हुआ था। उन्होंने 1982 में दिल्ली विश्वविद्यालय के कैंपस लॉ सेंटर से एलएलबी की डिग्री प्राप्त की।

    21 दिसंबर 2004 को उन्हें गुवाहाटी उच्च न्यायालय द्वारा सीनियर एडवोकेट के रूप में नामित किया गया।

    जस्टिस रॉय ने 12 दिसंबर 2006 को गुवाहाटी हाईकोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में शपथ ली और 15 जुलाई 2008 से स्थायी न्यायाधीश के रूप में कार्य किया। अगस्त 2018 में जस्टिस रॉय को केरल हाईकोर्ट का चीफ जस्टिस नियुक्त किया गया। उन्हें 23 सितंबर, 2019 को सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नत किया गया।

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