आरोपी के पापों का भार उसके परिवार के सदस्यों पर नहीं डाला जा सकता: सुप्रीम कोर्ट
Shahadat
17 Nov 2025 9:57 AM IST

एक आरोपी के भाई द्वारा दिया गया वचन खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक आदेश में कहा कि आरोपी के पापों का भार उसके परिवार के सदस्यों पर नहीं डाला जा सकता।
जस्टिस मनमोहन और जस्टिस एनवी अंजारिया की खंडपीठ ने लगभग 2.91 करोड़ रुपये मूल्य के 731.075 किलोग्राम गांजा रखने के आरोपी व्यक्ति की जमानत रद्द करते हुए यह टिप्पणी की।
सुप्रीम कोर्ट के समक्ष, प्रतिवादी के वकील ने दलील दी कि आरोपी के भाई, जो भारतीय सेना में सिपाही है, ने वचन दिया कि आरोपी फरार नहीं होगा।
इस दलील को खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा,
"यदि प्रतिवादी फरार हो जाता है तो उसके भाई को जेल नहीं भेजा जा सकता। भारत में किसी आरोपी के कथित पापों का भार उसके भाई या परिवार के अन्य सदस्यों पर नहीं डाला जा सकता।"
कोर्ट ने आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें अभियुक्त को ज़मानत दी गई। कोर्ट ने यह भी कहा कि हाईकोर्ट ने यह जांच नहीं की कि NDPS Act की धारा 37 के तहत शर्तें पूरी होती हैं या नहीं।
कोर्ट ने आगे कहा कि आरोपों से संगठित तस्करी का संकेत मिलता है, जिसमें प्रतिबंधित पदार्थ के परिवहन के लिए ट्रेलर के नीचे गुप्त गुहाएं बनाना भी शामिल है। ऐसी परिस्थितियों में एक वर्ष और चार महीने की हिरासत अवधि को अनुचित रूप से लंबा नहीं माना जा सकता, क्योंकि इन अपराधों के लिए न्यूनतम दस वर्ष के कारावास का प्रावधान है।
आदेश में कोर्ट ने भारतीय युवाओं में नशीली दवाओं की लत में खतरनाक वृद्धि के बारे में कुछ प्रासंगिक टिप्पणियां भी कीं।
Case : UNION OF INDIA v. NAMDEO ASHRUBA NAKADE

