पदोन्नत कर्मचारियों को पिछली तिथि से सीनियरिटी नहीं दी जा सकती, जब वे कैडर में पैदा ही नहीं हुए हों: सुप्रीम कोर्ट

Shahadat

31 Aug 2024 5:20 PM IST

  • पदोन्नत कर्मचारियों को पिछली तिथि से सीनियरिटी नहीं दी जा सकती, जब वे कैडर में पैदा ही नहीं हुए हों: सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी विशेष कैडर में पदोन्नत कर्मचारी पदोन्नति का लाभ नहीं ले सकते, जब वे उस कैडर में पैदा ही नहीं हुए हों।

    यह विवाद नागालैंड सरकार द्वारा जूनियर इंजीनियरों की प्रकाशित सीनियरिटी लिस्ट से संबंधित है। जूनियर इंजीनियरों के पद पर नियुक्तियों के दो सेट थे, जिसमें से एक सेट को 01.05.2003 की अधिसूचना के माध्यम से सीधे भर्ती किया गया। दूसरे सेट को 11.10.2007 के पत्र के माध्यम से चयन ग्रेड-I कर्मचारियों के पद से जूनियर इंजीनियर के पद पर पदोन्नत किया गया।

    राज्य सरकार द्वारा प्रकाशित सीनियरिटी लिस्ट में सीधे भर्ती किए गए जूनियर इंजीनियरों को पदोन्नत किए गए जूनियर इंजीनियरों की तुलना में उच्च रैंक पर रखा गया। इसके कारण पदोन्नत जूनियर इंजीनियरों/प्रतिवादियों द्वारा हाईकोर्ट के समक्ष रिट याचिका दायर की गई।

    एकल न्यायाधीश ने याचिकाओं को खारिज कर दिया और सीनियरिटी लिस्ट बरकरार रखी। इसके बाद प्रतिवादियों द्वारा अंतर-न्यायालय अपील पेश की गई, जिसमें खंडपीठ ने एकल न्यायाधीश के निर्णय को पलट दिया और सीनियरिटी लिस्ट अलग रखी।

    खंडपीठ के फैसले से व्यथित होकर अपीलकर्ता/जूनियर इंजीनियर, जिनकी सीधी भर्ती की गई थी, उसने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपील पेश की। न्यायालय के विचारार्थ यह मुद्दा आया कि क्या प्रतिवादी पिछली तिथि से सीनियरिटी का लाभ लेने के हकदार थे, अर्थात जूनियर इंजीनियर के पद पर उनकी नियुक्ति की तिथि से पहले।

    खंडपीठ का फैसला रद्द करते हुए जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस राजेश बिंदल की खंडपीठ ने कहा कि खंडपीठ ने प्रतिवादी को उस तिथि से सीनियरिटी का लाभ देने में त्रुटि की, जिस तिथि को वे संवर्ग का हिस्सा भी नहीं थे।

    जस्टिस राजेश बिंदल द्वारा लिखित निर्णय में कहा गया,

    "हाईकोर्ट की खंडपीठ द्वारा की गई घोर त्रुटि यह है कि उन्नत अनुभागीय अधिकारी, ग्रेड-I को जूनियर इंजीनियर के संवर्ग में उस तिथि से वरिष्ठता दिए जाने का निर्देश दिया गया, जिस तिथि को वे उस संवर्ग में पैदा भी नहीं हुए थे, क्योंकि 11.10.2007 के उन्नयन आदेश के बाद ही वे जूनियर इंजीनियर बने थे, जो 01.05.2003 को की गई सीधी भर्ती के बहुत बाद की बात थी।"

    न्यायालय ने पाया कि चूंकि वर्ष 2003 से पहले भर्ती के दो अलग-अलग तरीके नहीं थे और 2003 में पहली बार सीधी भर्ती की गई थी, इसलिए प्रतिवादी सीधे भर्ती किए गए नियुक्तियों के साथ समानता का दावा नहीं कर सकते।

    अदालत ने कहा,

    "हाईकोर्ट की खंडपीठ ने 01.05.2003 से पहले अनुभागीय अधिकारी और कुछ अन्य पदों को जूनियर इंजीनियर के पद पर उन्नत करने पर विचार करके और भी गलत कदम उठाया, जब जूनियर इंजीनियर के पद पर पहली बार सीधी भर्ती की गई। उस ऐतिहासिक पृष्ठभूमि का कोई महत्व नहीं है, क्योंकि 2003 से पहले जूनियर इंजीनियर्स के कैडर में कभी भी दो अलग-अलग स्रोतों से भर्ती नहीं हुई थी। विवाद उसके बाद ही पैदा हुआ।''

    तदनुसार, हाईकोर्ट की खंडपीठ द्वारा पारित विवादित आदेश रद्द कर दिया गया और जूनियर इंजीनियरों की परिचालित सीनियरिटी लिस्ट बरकरार रखी गई।

    केस टाइटल: महाबेमो ओवुंग और अन्य बनाम एम. मोआनंगबा और अन्य, सिविल अपील संख्या 9927 वर्ष 2024

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