बिना मूल्य चुकाए सेल डीड अमान्य : सुप्रीम कोर्ट

Praveen Mishra

15 Sept 2025 9:56 AM IST

  • बिना मूल्य चुकाए सेल डीड अमान्य : सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया कि यदि बिक्री विलेख (Sale Deed) बिना किसी प्रतिफल (Consideration) के निष्पादित किया जाता है, तो उसे स्थानांतरण संपत्ति अधिनियम, 1882 (Transfer of Property Act), की धारा 54 के तहत मान्य "बिक्री" नहीं माना जाएगा। ऐसा विलेख शून्य (Void) और अमान्य होगा।

    अदालत ने कवल कृष्ण बनाम राजेश कुमार व अन्य, (2022) 18 SCC 489 मामले का हवाला दिया, जिसमें यह स्पष्ट किया गया था कि मूल्य का भुगतान बिक्री का आवश्यक हिस्सा है। यदि किसी अचल संपत्ति का बिक्री विलेख बिना मूल्य चुकाए निष्पादित किया जाता है और उसमें भविष्य में मूल्य चुकाने का भी प्रावधान नहीं है, तो वह कानून की नजर में "बिक्री" नहीं है।

    न्यायालय ने कहा:
    "अचल संपत्ति की बिक्री मूल्य के लिए ही हो सकती है और मूल्य का भुगतान अनिवार्य है, भले ही वह भविष्य में देय हो। यदि बिना मूल्य चुकाए बिक्री विलेख बनाया गया है, तो वह धारा 54 के तहत बिक्री नहीं मानी जाएगी। ऐसी बिक्री बिना प्रतिफल के शून्य होगी और संपत्ति के हस्तांतरण पर उसका कोई प्रभाव नहीं होगा।"

    जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और जस्टिस आर. महादेवन की पीठ ने वादी के पक्ष में फैसला सुनाया, जिसने प्रतिवादी के पक्ष में बनाए गए बिक्री विलेख को चुनौती दी थी। अदालत ने पाया कि प्रतिवादी वादी को मूल्य चुकाने का सबूत पेश करने में असफल रहा, जिससे बिक्री विलेख अमान्य हो गया।

    मामले में बिक्री विलेख में दावा किया गया था कि ₹9,000 पहले दिए गए थे और पंजीकरण के समय ₹6,000 का भुगतान किया गया था। लेकिन प्रतिवादी इन भुगतानों को साबित नहीं कर सका। महत्वपूर्ण बात यह रही कि प्रतिवादी का पति, जिसने कथित तौर पर अंतिम भुगतान किया था, गवाही देने अदालत में पेश नहीं हुआ। एक गवाह की मृत्यु हो चुकी थी और दूसरा गवाह प्रतिवादी का भाई था, जिसकी गवाही अविश्वसनीय पाई गई। मूल बिक्री विलेख भी अदालत में पेश नहीं किया गया, जिससे प्रतिवादी के खिलाफ प्रतिकूल अनुमान (Adverse Inference) लगाया गया।

    चूँकि बिक्री मूल्य का भुगतान सिद्ध नहीं हुआ, अदालत ने माना कि बिक्री विलेख शुरुआत से ही शून्य (Void Ab Initio) है। और जब विलेख शून्य हो, तो उसके निरस्तीकरण की प्रार्थना करने की आवश्यकता नहीं है। ऐसे में, संपत्ति वापस लेने का वाद (Suit for Possession) सीमा अधिनियम (Limitation Act) की धारा 65 के अंतर्गत आएगा।


    Next Story