'COTPA की धारा 5(1) उन व्यक्तियों पर लागू नहीं होगी, जो तंबाकू के कारोबार में शामिल नहीं': सुप्रीम कोर्ट
Shahadat
17 Jan 2024 5:04 AM GMT
![COTPA की धारा 5(1) उन व्यक्तियों पर लागू नहीं होगी, जो तंबाकू के कारोबार में शामिल नहीं: सुप्रीम कोर्ट COTPA की धारा 5(1) उन व्यक्तियों पर लागू नहीं होगी, जो तंबाकू के कारोबार में शामिल नहीं: सुप्रीम कोर्ट](https://hindi.livelaw.in/h-upload/2024/01/17/750x450_516592-dhanush-and-sc.webp)
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को तमिल अभिनेता धनुष और 2014 की फिल्म 'वेला इल्ला पट्टाधारी' के निर्माताओं और वितरकों के खिलाफ सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पादों पर (Prohibition of Advertisement and Regulation of Trade and Commerce, Production, Supply and Distribution Act) 2003 (COTPA) की धारा 5 के तहत आपराधिक कार्रवाई की मांग करने वाली याचिका खारिज कर दी।
सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट के फैसले में हस्तक्षेप करने से इनकार किया, जिसने COTPA के तहत तमिलनाडु पीपुल्स फोरम फॉर टोबैको कंट्रोल (TNPFTC) के राज्य संयोजक एस. सिरिल अलेक्जेंडर द्वारा दायर शिकायत खारिज कर दी।
जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस उज्जल भुइयां की खंडपीठ ने कहा,
"विज्ञापन की प्रतियों को देखने के बाद हम पाते हैं कि हाईकोर्ट का यह मानना सही है कि COTPA की धारा 5 की उप-धारा 1 मामले में लागू नहीं होगी।"
शिकायतकर्ता द्वारा यह आरोप लगाया गया कि उल्लंघन फिल्म के निर्माता, फिल्म के मालिक और एक्टर और विभिन्न थिएटरों के मालिकों द्वारा किया गया, जहां फिल्म को रिलीज करने की मांग की गई। याचिका में एक्टर धनुष, वंडरबार फिल्म प्राइवेट लिमिटेड और ऐश्वर्या रजनीकांत (निर्माताओं) सहित कुछ थिएटर मालिकों के खिलाफ शिकायत दर्ज की गई।
यह आरोप था कि चूंकि विज्ञापन में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सिगरेट के उपयोग या उपभोग का सुझाव या प्रचार किया गया और चूंकि फिल्म में एक्टर को सिगरेट पीते दिखाया गया, इसलिए यह अनावश्यक रूप से किशोर उम्र के लोगों को आकर्षित करेगा, जिससे ऐसी आदत विकसित होगी। अंततः युवा पीढ़ी के हित के विरुद्ध जाते हैं। तदनुसार, यह आरोप लगाया गया कि आरोपी व्यक्तियों ने COTPA की धारा 5 के तहत अपराध किया, जो COTPA की धारा 22 के तहत दंडनीय है।
इस मुद्दे पर निर्णय लेते हुए कि क्या शिकायत में लगाए गए आरोप COTPA की धारा 5 के तहत अपराध होंगे, हाईकोर्ट ने इस प्रकार उत्तर दिया:
“वर्तमान मामले में शिकायत में एकमात्र आरोप यह लगाया गया कि फिल्म के विज्ञापन बैनरों पर मुख्य एक्टर की तस्वीर प्रमुखता से सिगरेट पीते हुए पाई गई। इस कृत्य को अपने आप में COTPA की धारा 5 के दायरे में नहीं लाया जा सकता, क्योंकि प्रदर्शन सिगरेट या किसी अन्य तम्बाकू उत्पादों के उत्पादन, आपूर्ति या वितरण में लगे व्यक्तियों और उस व्यक्ति द्वारा नहीं किया गया, जिसे धूम्रपान करते हुए दर्शाया गया। सिगरेट या किसी अन्य तंबाकू उत्पाद के उत्पादन, आपूर्ति या वितरण में लगी इकाई या व्यक्ति के साथ किसी भी अनुबंध के तहत नहीं है और न ही वह उनके उत्पाद का प्रचार कर रहा है।
हाईकोर्ट ने आगे कहा,
“शिकायतकर्ता को यह लग रहा था कि चूंकि फिल्म के निर्माता और वितरक बैनर/पोस्टर लगाने में लगे हुए थे, जिसमें मुख्य एक्टर को धूम्रपान करते दिखाया गया, इसलिए यह COTPA की धारा 5 के तहत एक अपराध होगा। वर्तमान मामले में निर्माता और वितरक फिल्म व्यवसाय में लगे हुए हैं और सिगरेट या अन्य तंबाकू उत्पादों के व्यवसाय में नहीं लगे हैं। प्रावधान में जो कहा गया है और शिकायत में लगाए गए आरोपों से जो सामने आता है, उसके बीच यह महत्वपूर्ण अंतर सभी अंतर पैदा करता है।”
इस प्रकार, हाईकोर्ट द्वारा अपनाए गए दृष्टिकोण को सही पाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आक्षेपित फैसले में हस्तक्षेप करने से इनकार किया।
तदनुसार, विशेष अनुमति याचिका (सीआरएल) खारिज कर दी गई।
केस का नाम: एस. सिरिल अलेक्जेंडर बनाम राज्य, जिसका प्रतिनिधित्व डॉ. वी. के. पलानी द्वारा किया गया।
डायरी नंबर- 49498 - 2023
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