RG Kar Hospital Case | अगर प्रदर्शनकारी डॉक्टर काम पर लौटते हैं तो उनके खिलाफ कोई प्रतिकूल कार्रवाई नहीं की जाएगी: सुप्रीम कोर्ट

Shahadat

22 Aug 2024 8:07 AM GMT

  • RG Kar Hospital Case | अगर प्रदर्शनकारी डॉक्टर काम पर लौटते हैं तो उनके खिलाफ कोई प्रतिकूल कार्रवाई नहीं की जाएगी: सुप्रीम कोर्ट

    आरजी कर अस्पताल में हत्या-बलात्कार अपराध पर स्वत: संज्ञान मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (22 अगस्त) को प्रदर्शनकारी डॉक्टरों से अपनी ड्यूटी पर लौटने की अपील दोहराई। कोर्ट ने आश्वासन दिया कि वह अधिकारियों से अनुरोध करेगा कि वे विरोध प्रदर्शन करने वाले डॉक्टरों के खिलाफ कोई प्रतिकूल कार्रवाई न करें।

    सुनवाई की शुरुआत में एम्स नागपुर के रेजिडेंट डॉक्टरों का प्रतिनिधित्व करने वाले एक वकील ने कहा कि प्रदर्शनकारी डॉक्टरों को अनुपस्थित माना गया। उन्हें परीक्षा में भाग लेने की अनुमति नहीं दी जा रही है।

    चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने प्रदर्शनकारी डॉक्टरों से काम पर लौटने की अपील की और कहा कि उनके अनुपस्थित रहने से सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं की जरूरत वाले लोगों पर असर पड़ेगा।

    सीजेआई ने कहा,

    "उन्हें काम पर वापस लौटना चाहिए। हम कुछ सामान्य आदेश पारित करेंगे, कृपया आश्वस्त रहें कि एक बार जब डॉक्टर काम पर लौट आएंगे तो हम अधिकारियों पर प्रतिकूल कार्रवाई न करने का दबाव बनाएंगे। अगर वे काम पर वापस नहीं लौटेंगे तो सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रशासनिक ढांचा कैसे चलेगा?"

    बात दें कि सुनवाई की पिछली तारीख (20 अगस्त) पर कोर्ट ने प्रदर्शनकारियों से अपने काम पर लौटने का आग्रह किया था।

    न्यायालय ने 20 अगस्त को पारित आदेश में कहा,

    "हम देश भर में काम से विरत रहने वाले सभी डॉक्टरों से जल्द से जल्द काम पर लौटने का अनुरोध करते हैं। सबसे बढ़कर डॉक्टरों के काम से विरत रहने से समाज के वे वर्ग प्रभावित होते हैं, जिन्हें रोजमर्रा की सेवाओं तक पहुंच से मेडिकल देखभाल की सबसे अधिक आवश्यकता होती है। काम से विरत रहने वाले डॉक्टर और मेडिकल पेशेवर निश्चिंत हो सकते हैं कि उनकी चिंताओं को सुप्रीम कोर्ट द्वारा सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है।"

    रेजिडेंट डॉक्टरों ने NTF में शामिल किए जाने की मांग की

    दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन की ओर से सीनियर एडवोकेट विजय हंसारिया और डॉक्टरों के संगठन की ओर से वरिष्ठ देवदत्त कामत ने न्यायालय से नेशनल टास्क फोर्स (NTF) में रेजिडेंट डॉक्टरों के प्रतिनिधियों को शामिल करने का अनुरोध किया। जवाब में सीजेआई ने कहा कि सभी एसोसिएशनों के प्रतिनिधियों को शामिल करने से NTF काम नहीं कर पाएगा। हालांकि, सीजेआई ने आश्वासन दिया कि NTF सभी हितधारकों की बात सुनेगा।

    सुनवाई के दौरान, सीजेआई ने रेजिडेंट डॉक्टरों के व्यस्त कार्य शेड्यूल के बारे में चिंता व्यक्त की।

    सीजेआई ने कहा,

    "हम देश भर में रेजिडेंट डॉक्टरों के अमानवीय काम के घंटों को लेकर बेहद चिंतित हैं। कुछ डॉक्टर 36 घंटे की शिफ्ट में काम करते हैं। नियुक्त समिति को सभी डॉक्टरों के ऑन-ड्यूटी घंटों को सुव्यवस्थित करने पर विचार करना चाहिए। 36 या 48 घंटे की शिफ्ट बिल्कुल अमानवीय है!"

    सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ के समक्ष सुनवाई चल रही है। मामले के रिकॉर्ड को देखने के बाद पीठ ने कोलकाता पुलिस की ओर से कई चूकों की ओर इशारा किया।

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