रिटायर जजों की मेडिकल प्रतिपूर्ति का वहन प्रथम नियुक्ति या रिटायरमेंट के समय राज्य द्वारा किया जाएगा : सुप्रीम कोर्ट
Shahadat
25 April 2025 4:29 AM

सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को आगाह किया कि रिटायर हाईकोर्ट जजों, उनके जीवनसाथी और अन्य आश्रितों के लिए मेडिकल सुविधाओं पर उसके आदेशों का पालन न करने पर न्यायालय की अवमानना अधिनियम, 1981 के तहत कार्रवाई हो सकती है।
न्यायालय ने कहा,
"हम राज्य को सूचित कर रहे हैं कि यदि हम गैर-अनुपालन पाते हैं तो न्यायालय की अवमानना अधिनियम, 1981 के तहत कार्रवाई शुरू की जाएगी।"
इन सुविधाओं में मौजूदा जजों के समान मेडिकल लाभ, बिना राज्य की पूर्व स्वीकृति के निजी अस्पतालों में उपचार के लिए प्रतिपूर्ति, हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल में निहित स्वीकृति प्राधिकारी, दूसरे राज्य में उपचार के लिए प्रतिपूर्ति और नकद रहित उपचार सुविधा शामिल हैं।
जस्टिस अभय एस. ओक और जस्टिस उज्ज्वल भुयान की खंडपीठ ने राज्यों को नए हलफनामे दाखिल करने का निर्देश दिया और मामले की सुनवाई 29 अप्रैल, 2025 को दोपहर 2 बजे के लिए स्थगित कर दी।
18 फरवरी, 2025 के अपने पिछले आदेश के पैराग्राफ 9 में कहा गया कि वर्तमान मामले में न्यायालय के आदेशों के तहत निर्देशित रिटायरमेंट लाभों के संबंध में सभी प्रतिपूर्ति संबंधित राज्य सरकारों द्वारा की जाएगी, अर्थात वह राज्य जहां हाईकोर्ट की सीट स्थित है, जहां से जज रिटायर हुए हैं।
नवीनतम आदेश में न्यायालय ने इस बारे में विसंगतियों को संबोधित किया कि किस राज्य सरकार को प्रतिपूर्ति की जिम्मेदारी उठानी है। इसने स्पष्ट किया कि यह या तो वह राज्य हो सकता है, जहां जज रिटायर हुए हाईकोर्ट स्थित है या स्थानांतरण से जुड़े मामलों में जज की पहली नियुक्ति का राज्य हो सकता है।
न्यायालय ने अपने आदेश में कहा -
“यह बताया गया कि ऐसे जजों के मामले हैं, जो एक विशेष हाईकोर्ट में नियुक्त हुए लेकिन किसी अन्य हाईकोर्ट के जज के रूप में रिटायर हुए, क्योंकि उनका स्थानांतरण हो गया। इसलिए पैराग्राफ 9 में निहित निर्देश को निम्नानुसार स्पष्ट किया जाता है: “जब हम संबंधित राज्य सरकार कहते हैं तो यह वह राज्य सरकार होगी, जहां हाईकोर्ट की सीट स्थित है, जिसमें रिटायर जज को पहली बार नियुक्त किया गया या वह राज्य सरकार होगी, जहां हाईकोर्ट की सीट स्थित है, जहां से जज रिटायर हुए हैं।””
केस टाइटल- जस्टिस वी.एस. दवे अध्यक्ष, एसोसिएशन ऑफ रिटायर्ड जजेज ऑफ सुप्रीम कोर्ट एंड हाई कोर्ट्स बनाम कुसुमजीत सिद्धू और अन्य।