Bilkis Bano case: आत्मसमर्पण के लिए समय-सीमा बढ़ाने के लिए दोषियों के बताए कारणों पर आज होगी सुनवाई
Shahadat
19 Jan 2024 5:08 AM

सुप्रीम कोर्ट बिलकिस बानो मामले में दोषियों द्वारा जेल अधिकारियों के समक्ष आत्मसमर्पण करने के लिए समय बढ़ाने की मांग को लेकर दायर कई अर्जियों पर सुनवाई करेगा।
पिछले हफ्ते, एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में सुप्रीम कोर्ट ने 2002 के गुजरात सांप्रदायिक दंगों की पृष्ठभूमि में कई हत्याओं और सामूहिक बलात्कारों के लिए आजीवन कारावास की सजा पाए 11 दोषियों की समयपूर्व रिहाई की अनुमति देने वाले गुजरात सरकार द्वारा पारित छूट के आदेशों को रद्द कर दिया था।
1992 की छूट नीति के तहत केवल 14 साल की सजा काटने के बाद अगस्त, 2022 में गुजरात राज्य द्वारा आजीवन कारावास की सजा पाए कैदियों को रिहा कर दिया गया। हालांकि,
जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस उज्जल भुइयां की खंडपीठ ने अब फैसला सुनाया कि गुजरात राज्य के पास मामले में छूट देने का अधिकार क्षेत्र नहीं है, क्योंकि मुकदमा महाराष्ट्र राज्य में हुआ था और दोषियों को आत्मसमर्पण करने के लिए इस रविवार तक दो सप्ताह का समय दिया गया।
आसन्न समय-सीमा के मद्देनजर, तीन दोषियों की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट वी चितांबरेश ने जस्टिस नागरत्ना की अगुवाई वाली खंडपीठ के समक्ष उनके आवेदनों का उल्लेख किया और विस्तार याचिकाओं पर तत्काल सुनवाई की मांग की।
न्यायाधीश को यह भी बताया गया कि दिन के दौरान और अधिक आवेदन दायर किये जाएंगे।
जस्टिस नागरत्ना ने रजिस्ट्री को यह फैसला सुनाने वाली खंडपीठ के पुनर्गठन और आवेदनों को सूचीबद्ध करने के मुद्दे पर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ से निर्देश प्राप्त करने का निर्देश दिया।
जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की खंडपीठ आवेदनों पर सुनवाई करेगी।
केस टाइटल- बिलकिस याकूब रसूल बनाम भारत संघ एवं अन्य। | रिट याचिका (आपराधिक) संख्या 491 2022