सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब पंचायत चुनाव को चुनौती देने वाली याचिका पर नोटिस जारी किया

Praveen Mishra

19 Oct 2024 5:54 PM IST

  • सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब पंचायत चुनाव को चुनौती देने वाली याचिका पर नोटिस जारी किया

    सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब में 15 अक् तूबर को हुए पंचायत चुनावों में अनियमितताओं का आरोप लगाने वाली याचिका पर कल नोटिस जारी किया।

    जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की खंडपीठ ने यह आदेश पारित करते हुए पंजाब सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग से जवाब मांगा है। मामले की सुनवाई 19 नवंबर को होगी।

    इससे पहले, 15 अक्टूबर को, सुप्रीम कोर्ट ने पंचायत चुनावों पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था, यह देखते हुए कि वे पहले ही शुरू हो चुके हैं और उस बिंदु पर रहने से गंभीर परिणाम और अराजकता हो सकती है।

    इससे पहले, पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने उम्मीदवारों द्वारा दाखिल नामांकन पत्रों की कथित मनमानी अस्वीकृति के आधार पर पंचायत चुनावों को चुनौती देने वाली 800 से अधिक रिट याचिकाओं को खारिज कर दिया था। वर्तमान याचिका इस फैसले को चुनौती देते हुए दायर की गई है।

    शुरू में हाईकोर्ट की अवकाश पीठ ने चुनाव प्रक्रिया पर रोक लगाते हुए कहा था कि अन्य उम्मीदवारों के नामांकन पत्र को मनमाने ढंग से खारिज करके उम्मीदवारों को चुनाव शुरू होने से पहले ही निर्विरोध विजेता घोषित कर दिया गया था। कुछ मामलों में "राज्य में गवर्निंग पार्टी" के अधिकारियों ने नामांकन पत्र फाड़ दिए और दावा किया कि कागजात खो गए थे। कुछ अन्य मामलों में नामांकन पत्र बिना कारण या गलत कारणों से खारिज कर दिए गए।

    हालांकि, बाद में हाईकोर्ट ने स्थगन हटा दिया था और चूंकि सुप्रीम कोर्ट ने भी स्थगन आदेश पारित नहीं किया था, इसलिए चुनाव 15 अक्टूबर को हुए।

    वर्तमान याचिका में हाईकोर्ट के फैसले (जिसने उनकी रिट को खारिज कर दिया) को रद्द करने के अलावा, जांच रिपोर्ट में दिखाए गए उम्मीदवारों को "निर्विरोध निर्विवाद" घोषित करने पर रोक लगाने की मांग की गई है।

    क्या कहती है याचिका?

    अनुसूचित जाति श्रेणी से संबंधित याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि वे पंचायत चुनावों के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने के लिए जलालाबाद गए थे, लेकिन आम आदमी पार्टी के समर्थकों ने उन पर हमला किया और उन्हें नामांकन दाखिल करने से रोक दिया।

    दावा किया जा रहा है कि जलालाबाद (पश्चिम) के पुलिस उपाधीक्षक ने उनसे नामांकन पत्र छीनकर ले गए। याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि उनकी शिकायतों के बावजूद, उन्हें नामांकन दाखिल करने का कोई अवसर दिए बिना 05.10.2024 को एक जांच रिपोर्ट प्रकाशित की गई थी।

    यह उल्लेख किया गया है कि आरोपों के संबंध में भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 304(2), 74, 115(2), 127(2), 351(2), 3(5) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है।

    लिए गए आधार

    याचिकाकर्ताओं ने चुनावों को अपनी चुनौती और हाईकोर्ट के आदेश को खारिज करने के समर्थन में निम्नलिखित आधार उठाए हैं:

    1. हाईकोर्ट ने दिनांक 09.10.2024 के आदेश के तहत चुनाव प्रक्रिया पर रोक लगा दी और मामले को 16.10.2024 के लिए सूचीबद्ध कर दिया। हालांकि, याचिकाकर्ताओं को पर्याप्त नोटिस या सुनवाई के अवसर के बिना अंतिम सुनवाई को समय से पहले कर दिया गया और याचिका 14.10.2024 को खारिज कर दी गई। वही कानून में विकृत और बुरा था;
    2. रिटर्निंग अधिकारी को कथित अनियमितताओं के बारे में सूचित किया गया था, हालांकि, कोई कार्रवाई नहीं की गई। यह रिटर्निंग अधिकारी के पक्षपातपूर्ण आचरण को इंगित करता है;
    3. आरोपों को लेकर जलालाबाद में एक प्राथमिकी दर्ज की गई है। हालांकि, इसकी जांच किए बिना, अपराधियों को "निर्विरोध निर्वाचित" घोषित किया जा रहा है। वही लोकतांत्रिक प्रक्रिया का मजाक है;
    4. हाईकोर्ट इस बात की सराहना करने में विफल रहा कि ग्राम पंचायत चक सोहना संदर के सरपंच/पंच की सीट अनुसूचित जाति वर्ग की महिला उम्मीदवार के लिए आरक्षित सीट है। उक्त श्रेणी से संबंधित याचिकाकर्ताओं को रिटर्निंग अधिकारी की दृष्टि और जानकारी के भीतर नामांकन दाखिल करने से रोका गया था।

    यह याचिका एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड अजीत प्रवीण वाघ के माध्यम से दायर की गई है।

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