पुलिस अधिकारी का किसी आरोपी से जांच के दौरान अपनी बेगुनाही साबित करने की उम्मीद करना चौंकाने वाला: सुप्रीम कोर्ट
Shahadat
10 Feb 2024 6:14 PM IST
सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी से जांच के दौरान अपनी बेगुनाही साबित करने की उम्मीद करने पर बिहार पुलिस की आलोचना की। कोर्ट ने इस तरह के रवैये को चौंकाने वाला बताया।
कोर्ट ने कहा,
“ऐसा लगता है कि पुलिस अधिकारी इस धारणा के तहत है कि आरोपी को उसके सामने पेश होना होगा और अपनी बेगुनाही साबित करनी होगी। इस तरह के दृष्टिकोण को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।”
जस्टिस अभय एस. ओक और जस्टिस उज्जल भुइयां की खंडपीठ पटना हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ आपराधिक अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसने वर्तमान आरोपी को अग्रिम जमानत देने से इनकार किया था। सुप्रीम कोर्ट ने 6 दिसंबर, 2023 को अंतरिम सुरक्षा देते हुए शर्त लगाई कि आरोपी जांच में सहयोग करेगा।
जब मामला 08 फरवरी, 2023 को सुनवाई के लिए बुलाया गया तो कोर्ट ने पाया कि आरोपी को केवल एक बार जांच में शामिल होने के लिए कहा गया। इसके अलावा, कोर्ट ने पुलिस द्वारा दायर जवाबी हलफनामे के पैरा 9 पर भी ध्यान आकर्षित किया।
इसे इस प्रकार पढ़ा गया:
“9. इसके अलावा माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार आई.ओ. ने याचिकाकर्ता तौहिद उर्फ कल्लू, मनोज सिंह को 15/01/2024 को जांच में शामिल होने के लिए नोटिस दिया, जैसा कि सी.डी. के पैराग्राफ -71 में बताया गया है। उसके बाद तौहीद उर्फ कल्लू, मनोज सिंह आई.ओ. के समक्ष उपस्थित हुए। 24/01/2024 को और पूछताछ पर खुद को निर्दोष बताया लेकिन अपने दावे के समर्थन में कोई सामग्री पेश नहीं की।
इस पर गौर करने के बाद अदालत ने कहा कि पुलिस को पूछताछ के लिए नहीं, बल्कि किसी अन्य कारण से आरोपी की हिरासत की जरूरत है।
कोर्ट ने कहा,
“जवाबी हलफनामे के पैराग्राफ 9 से यह स्पष्ट है कि पुलिस को अपीलकर्ता-एमडी तौहीद उर्फ कल्लू पूछताछ के लिए नहीं बल्कि किसी और वजह से हिरासत की आवश्यकता है। हमें यह भी दर्ज करना चाहिए कि जवाबी हलफनामे के पैराग्राफ 9 से प्रतिबिंबित पुलिस का दृष्टिकोण, कम से कम, चौंकाने वाला है।
इसे देखते हुए कोर्ट ने आरोपी के पक्ष में पारित अंतरिम आदेश पूर्ण करार दिया।
केस टाइटल: मोहम्मद तौहीद बनाम बिहार राज्य