PC Act के तहत मामलों में पुलिस CrPC की धारा 102 का इस्तेमाल करके बैंक अकाउंट फ़्रीज़ कर सकती है: सुप्रीम कोर्ट

Shahadat

10 Dec 2025 8:19 PM IST

  • PC Act के तहत मामलों में पुलिस CrPC की धारा 102 का इस्तेमाल करके बैंक अकाउंट फ़्रीज़ कर सकती है: सुप्रीम कोर्ट

    एक अहम फ़ैसले में सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (10 दिसंबर) को कहा कि पुलिस/जांच एजेंसियों को क्रिमिनल प्रोसीजर कोड (CrPC) की धारा 102 (भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 106) के तहत किसी ऐसे व्यक्ति का बैंक अकाउंट फ़्रीज़ करने का अधिकार है, जिसके ख़िलाफ़ प्रिवेंशन ऑफ़ करप्शन एक्ट, 1988 (PC Act) के नियमों के तहत कार्रवाई शुरू की गई हो।

    इनकम के जाने-पहचाने सोर्स से ज़्यादा संपत्ति जमा करने के आरोपी एक सरकारी कर्मचारी की चुनौती को खारिज करते हुए कोर्ट ने साफ़ किया कि CrPC के तहत ज़ब्ती की आम शक्तियां अलग-अलग काम करती हैं और PC Act में दिए गए स्पेशल अटैचमेंट सिस्टम से हटती नहीं हैं।

    कोर्ट ने माना कि CrPC के तहत ज़ब्ती की शक्ति और PC Act के तहत अटैचमेंट की शक्ति अलग-अलग हैं। इसलिए दोनों शक्तियों को एक-दूसरे के साथ मेल नहीं खाने वाला या एक-दूसरे के इस्तेमाल पर रोक लगाने वाला नहीं माना जा सकता। ऐसा मानते हुए जस्टिस संजय करोल और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की बेंच ने कलकत्ता हाईकोर्ट का फैसला पलट दिया, जिसने इसके उलट फैसला सुनाया था।

    इस बात पर ज़ोर देते हुए कि CrPC सीज़री और PC Act अटैचमेंट, दोनों कानूनी रास्ते एक साथ मौजूद हैं, बेंच ने कहा कि इन्वेस्टिगेटर को धारा 102 के तहत कार्रवाई करने से पहले स्पेशल अटैचमेंट प्रोसीजर का सहारा लेने की ज़रूरत नहीं है। कोर्ट ने कहा कि इन्वेस्टिगेशन के दौरान एसेट्स के नुकसान को रोकने के लिए संदिग्ध गैर-कानूनी फंड्स को तुरंत फ्रीज करना अक्सर ज़रूरी होता है। साथ ही CrPC शुरुआती स्टेज में ऐसा करने के लिए एक असरदार तरीका देता है।

    कोर्ट ने कहा,

    “असल में हम मानते हैं कि सीज़री और अटैचमेंट की पावर अलग-अलग और अलग हैं, भले ही खुली आँखों से ऐसा लगे कि इसका असर एक जैसा/समान है, यानी, प्रॉपर्टी को इन्वेस्टिगेटिव या ज्यूडिशियल अथॉरिटी द्वारा कस्टडी में लिया जाता है। नतीजतन, यह नतीजा निकाला जा सकता है कि PC Act की धारा 18A और CrPC की धारा 102 के तहत पावर्स एक-दूसरे से अलग नहीं हैं।”

    कोर्ट ने रतन बाबूलाल लाठ बनाम कर्नाटक राज्य, (2022) 16 SCC 287 पर रेस्पोंडेंट के भरोसे को खारिज कर दिया, जिसमें यह कहा गया था कि PC Act एक पूरा कोड है, इसलिए CrPC के तहत अकाउंट-फ्रीजिंग की इजाज़त नहीं है।

    जस्टिस करोल के लिखे फैसले में कहा गया कि यह बात आर्टिकल 141 के तहत कोई ज़रूरी मिसाल नहीं है, क्योंकि यह बिना किसी डिटेल्ड एनालिसिस या चर्चा के कही गई।

    हाईकोर्ट का फैसला खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा:

    "इस तरह ज़ब्त किए गए फंड को रिलीज़ करने से ट्रायल कोर्ट ने मना कर दिया था, लेकिन बाद में हाईकोर्ट ने इस आधार पर इसे मान लिया कि यह कानून की गलत व्याख्या पर किया गया। हम सहमत नहीं हैं। हमने ऊपर जैसा कहा कि CrPC की धारा 102, PC Act की धारा 18-A के तहत बताई गई शक्तियों और प्रक्रियाओं से अलग है, इसलिए इस मामले पर लागू होगी।"

    Cause Title: THE STATE OF WEST BENGAL VERSUS ANIL KUMAR DEY

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